**कामरान खान का क्रिकेट सफर: सपनों की उड़ान और ठोकरें**
कामरान खान, मऊ जिले के एक होनहार क्रिकेटर, ने अपने करियर में न सिर्फ उत्कृष्टता के साथ संघर्ष किया, बल्कि सपनों के पीछे भागने की अदम्य जिजीविषा भी दिखाई। 34 वर्षीय कामरान खान ने बताया कि उन्हें दुनिया के महान क्रिकेटर शेन वार्न का पूरा विश्वास हासिल था, जिन्होंने उन्हें ‘इंडिया का डायमंड’ और ‘टॉरनेडो’ जैसे उपाधियों से नवाजा। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि उन्हें भारत में सही समर्थन नहीं मिला, जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने अपने खेल के 10% क्षमता का भी प्रदर्शन नहीं कर सके। अगर उन्हें प्रमुख खिलाड़ियों जैसे सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और वीरेंद्र सहवाग का समर्थन मिलता, तो वह आज के सबसे तेज गेंदबाज बन सकते थे।
कामरान का क्रिकेट का सफर गांव के छोटे से मैदान से शुरू हुआ। उन्होंने मात्र 10 साल की उम्र से सीनियर खिलाड़ियों के साथ खेलना शुरू किया। क्रिकेट के प्रति उनके जुनून की प्रेरणा उनकी मां थी, जो हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करती थीं। उनके लिए यह सपना था कि वह उत्तर प्रदेश की टीम से रणजी ट्रॉफी खेलें और बाद में देश का प्रतिनिधित्व करें। उन्होंने अंडर-14 से लेकर अंडर-19 और रणजी के ट्रायल में भाग लिया, लेकिन दुर्भाग्यवश कभी भी चयन नहीं हो सका। इस सभी प्रयासों के बावजूद, एक भी कॉल लेटर नहीं आया, जो उनके प्रति खेल प्रणाली की उदासीनता का संकेत है।
2009 में, कामरान को राजस्थान रॉयल्स द्वारा 20 लाख रुपये में साइन किया गया था। उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें आईपीएल का हिस्सा बनाया और शेन वार्न ने उनकी गेंदबाजी को सराहा। कामरान ने 4 मैचों में 5 विकेट लेकर अपनी श्रेष्ठता साबित की, लेकिन जल्द ही उन्हें टीम छोड़नी पड़ी। कामरान ने पुणे वॉरियर्स का चयन किया, जहाँ पर उन्हें उतनी खेल की संभावनाएं नहीं मिलीं जितनी कि उन्होंने चाही थी।
देखा जाए तो कामरान का क्रिकेट करियर एक ऊंचाई से एक संकट में डूब गया। उन्होंने क्रिकेट को छोड़कर राजनीति में आने का निर्णय लिया है। 2027 में निर्दलीय उम्मीदवार बनकर घोसी क्षेत्र से चुनाव लड़ने का उनके पास स्पष्ट इरादा है। हालांकि, वह क्रिकेट से जुड़े रहेंगे और अपने गांव में एक अकादमी खोलने का भी सपना देख रहे हैं। कामरान का मानना है कि उनके गांव में क्रिकेट का भविष्य और संभावनाएँ भरपूर हैं। इतना कहते हुए उनका आत्मविश्वास और जुनून आज भी उनकी आंखों में जलता है, जिससे पता चलता है कि एक क्रिकेटर के रूप में उनके सफर की कहानी खत्म नहीं हुई है।
युवाओं और बच्चों को क्रिकेट की सही ट्रेनिंग देने के साथ-साथ वह अपने जीवन के अनुभव शेयर कर उन्हें प्रेरित करना चाहते हैं। क्रिकेट का यह सफर भले ही खत्म न हो पाया हो, लेकिन कामरान खान का दृढ़ संकल्प और आगामी इरादे उन्हें नई ऊंचाइयां देने में मदद कर सकते हैं। यही है उनकी कहानी: संघर्ष, सपने और एक नयी शुरुआत की तैयारी।