रामभद्राचार्य जी बोले-समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या सुनाऊं?:मेरठ की धरती को प्रणाम करता हूं, यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति शुरू हुई

रामभद्राचार्य जी बोले-समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या सुनाऊं?:मेरठ की धरती को प्रणाम करता हूं, यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति शुरू हुई

मेरठ में स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज की आज पहला दिन है। रामभद्राचार्य जी ने ‘गाइए गणपति जग’ का वंदन करते हुए कथा का प्रारंभ किया। कहा, मैं मेरठ की भूमि को प्रणाम कर रहा हूं। यहीं से हमारे ब्राह्मण समाज के कुल तिलक मंगल पांडेय ने अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता का अभियान प्रारंभ किया था। 8 अप्रैल 1857 को अग्रेजों ने उन्हें फांसी दी थी। हम स्वतंत्रता प्राप्त कर चुके हैं, अब सबकुछ आनंद है, सबकुछ ठीक हो गया है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या सुनाऊं। स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा, भगवान राम अवतार और अवतारी दोनों हैं। भगवान राम ऐसे हैं जहां दोनों का प्रयोग हुआ। भगवान राम ने प्रभाव से आसुरी शक्तियों को परास्त किया। रावण जैसे दुर्दांत को जीता और अपने स्वभाव से सामान्य जनता के मनमंदिर में निवास कर लिया। आज मेरी कथा संख्या-1406 है, जिसे आज वो प्रारंभ कर रहे हैं। अब तक हमारी 1405 श्रीराम कथाएं हो चुकी हैं। मेरे पास 7 दिन का समय है, आज वर्षा के कारण कुछ विलंब हुआ है। अब से हर दिन मेरी चौपाई होगी। रामकथा 8 से 16 सितंबर तक चलेगी। 2 तस्वीरें देखिए कई जिलों से लोग पहुंचेंगे
मेरठ सहित आसपास के जिलों व अन्य राज्यों से भक्तगण आकर कथा का श्रवण करेंगे। सोमवार को सुबह कलश यात्रा निकाली जाएगी। साकेत से विक्टोरिया पार्क तक निकाली जाने वाली इस कलश यात्रा में महिलाएं सिर पर कलश और नारियल रखकर चलेंगी। कथा के पहले ही दिन बरसात होने के कारण कई जगहों पर जलजमाव हो गया है। खुले मैदान में जर्मन हैंगर लगाकर कथा की जा रही है। इसलिए पूरे पंडाल में पानी भर गया है। कथा का समय शाम 4 बजे से था। लेकिन, बारिश और जलजमाव के कारण 5 बजे से कथा होना शुरू हुआ। लेकिन जब पानी नहीं निकला तो कथा का समय बदलकर सोमवार को 6 बजे किया गया है। इसी यात्रा के साथ कथा समारोह का शुभारंभ किया जाएगा। वहीं शाम को स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज का कथावाचन प्रारंभ होगा। कथा समारोह के लिए भामाशाह पार्क में बड़ा पंडाल तैयार किया गया है। जर्मन हैंगर से इस पंडाल को तैयार किया गया है। पूरा वाटरप्रूफ पंडाल लगाया गया है। ताकि पंडाल में अंदर पानी न जाए। साथ ही पंडाल में गर्मी से बचने के लिए पंखे और कूलर लगाए गए हैं।

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