मुंबई के हलाल अपार्टमेंट की तरह मेरठ की अब्दुल्ला रेजिडेंसी पर विवाद है। UP सरकार के मंत्री सोमेंद्र तोमर का आरोप है कि यहां सिर्फ मुस्लिमों को विला बेचे जा रहे। कॉलोनी के अंदर मस्जिद भी बनाई जानी है। मंत्री की शिकायत पर मेरठ के DM ने इन्क्वायरी कमेटी बनाई है। जिन अब्दुल्ला के नाम पर ये रेजिडेंसी बन रही, उनके पौत्र जावेद इकबाल आर्मी से रिटायर्ड मेजर जनरल हैं। दूसरे पार्टनर महेंद्र गुप्ता नोएडा के बिल्डर हैं। दोनों बिल्डर दावा करते हैं कि उनका स्टाफ भी हिंदू-मुसलमान दोनों धर्मों से है। किसी को विला खरीदने की मनाही नहीं है। पैसा दीजिए और विला खरीदिए। हालांकि, बिल्डर ये बताने से मना कर दिया कि अब तक कितने हिंदू और मुस्लिम ने विला के लिए प्लॉट खरीदा है? पूरा विवाद क्या है? मंत्री ने क्या आरोप लगाए हैं? इस एरिया की डेमोग्राफी क्या है? ये सब समझने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। सभी पक्षों से अलग–अलग बात की। पढ़िए ये रिपोर्ट… 22 हजार वर्गमीटर जमीन पर बनेंगे 78 विला
मेरठ में हापुड़ रोड पर एल- ब्लॉक शास्त्रीनगर चौराहा के पास 22 हजार वर्गमीटर में एक रेजिडेंशियल कॉलोनी डेवलप हो रही है। नाम है अब्दुल्ला रेजिडेंसी। सोसाइटी के बाहर एक साइन बोर्ड भी लगा है। जिस पर लिखा है- आई लव अब्दुल्ला रेजिडेंसी। यूपी आवास एवं विकास परिषद ने 19 अक्टूबर, 2017 को इस कॉलोनी का नक्शा एप्रूव्ड किया था। यहां 100 से लेकर 150 स्क्वायर मीटर तक के कुल 78 प्लॉट हैं। सोसाइटी का फ्रंट एरिया कॉमर्शियल है। इसके अंदर एक ग्रीन एरिया भी है। बिल्डर विला बनाकर नहीं दे रहे। लोग प्लॉट खरीदकर विला बना रहे हैं। बिल्डर का दावा है कि अब तक 78 में से 60 प्लॉट बिक चुके हैं। अब जानिए जहां अब्दुला रेजिडेंसी है, वहां पर डेमाग्राफी क्या है…
जहां ये सोसाइटी बन रही, वहां की डेमोग्राफी समझने के लिए हमने आसपास के लोगों से ऑफ कैमरा बात की। स्थानीय लोगों ने बताया- मेरठ में इस सोसाइटी के ठीक सामने एक मस्जिद है। उसके आसपास जाकिर कॉलोनी है, जो पूरी तरह मुस्लिम बाहुल्य है। इसके ठीक पीछे ढबाई नगर एरिया है। बराबर में शास्त्रीनगर सेक्टर-12 है। सोसाइटी के करीब एक किलोमीटर एरिया में दूर-दूर तक हिंदू आबादी नहीं है। मंत्री सोमेंद्र तोमर के लेटर से हुई विवाद की शुरुआत
इस सोसाइटी पर विवाद की शुरुआत यूपी सरकार में राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर के एक लेटर से हुई, जो उन्होंने मेरठ विकास प्राधिकरण (MEDA) को लिखा। इसमें मंत्री ने कहा- मेरठ में हापुड़ रोड पर अब्दुल्ला रेजिडेंसी नाम की आवासीय कॉलोनी विकसित की जा रही है। इस कॉलोनी में कथित रूप से ऐसा प्रचलित है कि हिंदू धर्म को मानने वाले खरीदार नहीं हो सकते। कॉलोनी के मानचित्र और मॉडल के अनुसार, अंदर एक मस्जिद भी प्रस्तावित है। यह कॉलोनी नोएडा के किसी बिल्डर की बताई गई है। उसका संबंध कथित तौर पर किसी कुख्यात गैंगस्टर से होने की चर्चा है। इसलिए इस मामले में एक कमेटी बनाकर जांच कराई जाए। मंत्री ने पूछे ये सवाल बिल्डर के भाई बोले- आप आइए, हम 10 हजार रुपए कम रेट देंगे
इस पूरे प्रकरण को लेकर दैनिक भास्कर ने बिल्डर जावेद इकबाल के छोटे भाई आबिद इकबाल से बात की। हमारा पहला सवाल था- क्या इस सोसाइटी में हिंदू मकान नहीं खरीद सकते? इस पर आबिद इकबाल कहते हैं- आपका नाम सचिन है। आप ले लीजिए। आपको भी ऑफर है। जो कोई ये कह रहा है, वो आ जाए, प्लॉट खरीद ले। हम तो चाह रहे हैं कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर रहें। इससे बढ़िया और क्या कॉलोनी होगी? हम मेरठ में रहते आए हैं। हमेशा से ही हिंदू-मुसलमान मिलकर पले-बढ़े हैं। आप लीजिए, आइए। कौन मना कर रहा है? लेकिन फ्री में नहीं मिलेंगे, पैसों से मिलेंगे। बिल्डर के भाई आबिद इकबाल आगे बताते हैं- इस सोसाइटी के 2 पार्टनर हैं। रिटायर मेजर जनरल जावेद इकबाल और महेंद्र गुप्ता। राष्ट्रपति ने उन्हें विशिष्ट मेडल देकर भी नवाजा है। उनके ऊपर हिंदू-मुसलमान का आरोप लगाया जा रहा है। क्या सेना का अफसर ऐसा कर सकता है? इस सोसाइटी के मालिक हिंदू-मुसलमान दोनों हैं। स्टाफ भी ज्यादातर हिंदू है। मैनेजर, प्रोजेक्ट मैनेजर, अकाउंटेंट सब हिंदू हैं। मुसलमान तो बस चाय पिलाने के लिए हैं। ये कॉलोनी पूरी तरह से मुस्लिम आबादी के बीच बन रही है। वर्तमान में जैसा माहौल है, उसमें एक-दूसरे की आबादी में कौन रहने जा रहा है। ऐसे में जाहिर है कि यहां रहने ज्यादातर मुस्लिम ही आएंगे। हमने बिल्डर के भाई से 2 सवाल किए। लेकिन, वो दोनों सवालों के जवाब नहीं दे पाए। पहला- अब्दुल्ला रेजिडेंसी में कितने हिंदू और मुसलमान ने प्लॉट लिए हैं? दूसरा- प्लॉट का रेट क्या है? हिंदूवादी नेता बोले- इस सोसाइटी पर बुलडोजर चले
अखिल भारतीय हिंदू सुरक्षा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन सिरोही ने तो अब्दुल्ला रेजिडेंसी पर बुलडोजर चलाने की मांग कर दी है। वो कहते हैं- अब्दुल्ला रेजिडेंसी में हिंदुओं को मकान बेचने से मना कर दिया गया है। ऐसे में मैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से केवल ये अपील कहना चाहता हूं कि आधी जमीन हिंदू और आधी जमीन मुस्लिम की है, जिस पर वो कॉलोनी डेवलप हुई है। जब ये हिंदू की जमीन खरीद सकते हैं, तो क्या ये हिंदू को मकान बेचने पर पाबंदी लगाएंगे? इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। इस इमारत में किन-किन लोगों का पैसा लगा है? सब पर कार्रवाई होनी चाहिए और इस कॉलोनी पर बुलडोजर चलना चाहिए। ये कॉलोनी नहीं, एक धार्मिक स्थल बनाया जा रहा है। मेरठ के अंदर जिस तरह का जहर घोलने का प्रयास किया जा रहा है, वो हम नहीं होने देंगे। अफसरों की टीम जांच करने पहुंची
मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट (DM) वीके सिंह ने मंत्री की शिकायत पर एक जांच कमेटी बना दी है। कमेटी को जॉइंट मजिस्ट्रेट दीक्षा जोशी लीड कर रही हैं। उनके अलावा कमेटी में आवास-विकास परिषद के इंजीनियर और डीएसपी रैंक के अफसर शामिल हैं। टीम ने 8 अगस्त को रेजिडेंसी कॉलोनी में पहुंचकर जांच की। बिल्डर से दस्तावेज तलब किए। मंत्री सोमेंद्र तोमर की तरफ से जितने भी बिंदुवार आरोप लगाए गए, सबकी जांच की जा रही है। ये कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट जल्द ही डीएम को देगी, जिसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा। ————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में 2 लाख शिक्षकों की नौकरी खतरे में, जब भर्ती हुए तब TET नहीं, अब पास करना अनिवार्य 1992 में प्राइमरी स्कूल के शिक्षक अब्दुल मजीद की मौत हो गई। उनके बेटे अब्दुल राशिद को मृतक आश्रित पर नौकरी मिली। 20 साल के अब्दुल 12वीं पास थे। उस वक्त शिक्षक बनने के लिए 12वीं पास ही न्यूनतम अर्हता थी। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि सभी सरकारी शिक्षकों को 2 साल में टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना होगा। अगर 2 साल में पास नहीं कर पाते, तो नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। 53 साल के अब्दुल राशिद ने ग्रेजुएशन भी नहीं किया है। ऐसे में वह दुविधा में हैं कि क्या किया जाए? अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि जो पहले से नौकरी कर रहे, उन्हें भी अगले दो साल में TET पास करना होगा। वरना नौकरी से बाहर जाएं। आखिर पूरा मामला क्या है? टीचर्स के सामने चुनौती क्या है? कोर्ट में मांग क्या रखी गई? आगे क्या कुछ हो सकता है? पढ़िए पूरी खबर…
मेरठ में हिंदुओं को प्लॉट न बेचने का सच:आसपास की आबादी मुस्लिम; बिल्डर बोले- आप आइए, 10 हजार कम कर देंगे
