महोबा में 49 साल के प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल ने सुसाइड कर लिया। सोमवार को उनका शव कमरे में फंदे से लटका मिला। बेटे ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के TET अनिवार्यता आदेश के बाद तनाव में थे। इस वजह से उन्होंने जान दी। हालांकि, BSA राहुल मिश्रा का कहना है- उनकी कुछ घरेलू समस्या रही होगी। TET परीक्षा के लिए अभी शासनादेश और नियमावली नहीं आई है। कुछ लोग टीईटी को बीच में लाकर बिना वजह मामले को तूल दे रहे। प्रिंसिपल ने सोमवार सुबह 4:17 बजे उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप में ‘गुड मॉर्निंग’ मैसेज भेजा और योग करने छत पर चले गए। काफी देर तक नीचे नहीं लौटे तो पत्नी देखने गई। वहां कमरे में वह फंदे पर लटके थे। पत्नी ने शोर मचाकर परिजनों को बुलाया। परिजन उन्हें फंदे से उतारकर अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मृतक का नाम मनोज कुमार साहू था। वे शहर कोतवाली क्षेत्र के गांधीनगर मुहाल में रहते थे। मनोज के पिता बाबूराम साहू भी शिक्षक थे। 30 साल पहले हार्टअटैक से उनकी मौत हो गई थी। मनोज को मृतक आश्रित कोटे से टीचर की नौकरी मिली थी। वह पूर्व माध्यमिक विद्यालय कंपोजिट प्रेमनगर में प्रिंसिपल थे। दो महीने पहले ही यहां ट्रांसफर होकर आए थे। इससे पहले, मामना के जूनियर विद्यालय कंपोजिट में थे। पति का शव देखकर पत्नी बेहोश हुई
मनोज कुमार मूलरूप से सदर तहसील के भडरा गांव के रहने वाले थे। कई साल से वे शहर के गांधी नगर इलाके में रह रहे थे। परिवार में पत्नी चंद्रवती (48) और दो बेटे- सूर्यांश (22) और दिव्यांश (19) हैं। पत्नी ने बताया- सोमवार सुबह करीब 4 बजे पति उठे। इसके बाद छत पर योग करने चले गए। काफी देर तक नीचे नहीं लौटे तो मैंने आवाज दी। जवाब न मिलने पर मैं छत पर देखने गई। वहां जाकर देखा तो पति का शव फंदे से लटक रहा था। घरवालों का कहना है कि पति का शव देखकर पत्नी चीखने लगी और बेहोश होकर गिर पड़ी। शोर सुनकर हम लोग दौड़कर पहुंचे और उन्हें फंदे से उतारा। तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। परिजनों का कहना है कि मनोज घर की जिम्मेदारियों और नौकरी की चिंता में रहते थे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद TET परीक्षा पास करना अनिवार्य हो गया था। इसी वजह से वह तनाव में थे। इसके चलते ही उन्होंने जान दी। बेटे बोला- टीईटी के बारे में सबसे पूछते रहते थे
मनोज के बेटे सूर्यांश साहू ने बताया- पिछले दो-तीन दिन से टीईटी के बारे में ही चर्चा कर रहे थे। लोगों से भी उसके बारे में पूछ रहे थे। मैंने पापा से बोला, हम दोनों साथ में तैयारी करेंगे। साथ में ही टीईटी पास करेंगे। हमने टाइम टेबल भी बना लिया था। टीईटी को लेकर काफी परेशान थे। इस उम्र में टीईटी एग्जाम देना अपने आप में एक चैलेंज होता है। मैंने कोशिश की थी उन्हें समझाने की। उनके ऊपर TET का इतना प्रेशर पड़ा कि उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया। वह काफी हिम्मत से आगे बढ़ रहे थे। टीचर्स की मदद करते थे। उनके पढ़ाए स्टूडेंट कई जगह सिलेक्ट हो गए। हम दो भाई हैं। दोनों पढ़ रहे हैं। 50 -55 साल की उम्र में कोई कैसे TET एग्जाम देगा। जब पाप की नौकरी लगी थी तो वह 12 पास थे। उसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन और डबल एमए किया। लेकिन इस स्टेज पर आकर अचानक ऐसा फैसला आया, इसी को लेकर वह परेशान थे। इस बात का ध्यान रखा जाए कि किसी और के साथ ऐसा न हो आगे बढ़ने से पहले पोल में हिस्सा लेकर राय दें- TET पास करने की चिंता कर रहे थे टीचर- शिक्षक संघ अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष भगत सिंह ने बताया- रविवार को उनकी मनोज से बातचीत हुई थी। वह सिर्फ TET परीक्षा की चर्चा कर रहे थे। रात को पता नहीं क्या सोचकर उन्होंने यह कदम उठा लिया। वह बहुत ही कर्मठ टीचर थे। उनका परिवार सुलझा हुआ और संपन्न है। कोई पारिवारिक परेशानी नहीं थी। बस टेट को लेकर चर्चा करते रहते थे। उसी को लेकर उन्होंने ऐसा किया। कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से परेशान थे। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष रमाकांत मिश्रा ने बताया- सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को लेकर कल हम लोगों की लखनऊ में बैठक थी। सभी जिले के जिला अध्यक्ष टीचर वहां पर मौजूद थे। सभी ने यह निर्णय लिया है कि हम उस लड़ाई को अंतिम समय तक लड़ेंगे। इसलिए मैं सभी शिक्षक साथी से कहता हूं कि कोई भी शिक्षक साथी अवसाद में आकर ऐसा कोई भी कदम न उठाएं। पूरा शिक्षक समाज आपके साथ खड़ा है। मनोज कुमार टेट के संबंध में ही बात करते थे और परेशान थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- जो टेट पास नहीं कर पाएंगे, उन्हें नौकरी छोड़नी होगी सुप्रीम कोर्ट 1 सितंबर, 2025 को तमिलनाडु और महाराष्ट्र में टीचिंग के लिए TET की अनिवार्यता से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। मामले को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह सुन रहे थे। इसके बाद उन्होंने फैसला दिया- जिन टीचर्स की नौकरी को 5 साल से ज्यादा बचे हैं, उन्हें टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट क्वॉलिफाई करना जरूरी होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या फिर कंपल्सरी रिटायरमेंट लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पूरे देश में करीब 10 लाख टीचर प्रभावित होंगे। अकेले यूपी में 2 लाख शिक्षकों पर असर पड़ेगा। कोर्ट ने अपने इस निर्देश में कहा कि माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशंस पर यह फैसला लागू होगा या नहीं, इसका फैसला बड़ी बेंच करेगी। ………………………………… यूपी में 2 लाख शिक्षकों की नौकरी खतरे में:जब भर्ती हुए तब TET नहीं, अब पास करना अनिवार्य; बोले- पढ़ाएं या खुद पढ़ें 1992 में प्राइमरी स्कूल के शिक्षक अब्दुल मजीद की मौत हो गई। उनके बेटे अब्दुल राशिद को मृतक आश्रित पर नौकरी मिली। 20 साल के अब्दुल 12वीं पास थे। उस वक्त शिक्षक बनने के लिए 12वीं पास ही न्यूनतम अर्हता थी। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि सभी सरकारी शिक्षकों को 2 साल में टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना होगा। अगर 2 साल में पास नहीं कर पाते, तो नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। 53 साल के अब्दुल राशिद ने ग्रेजुएशन भी नहीं किया है। ऐसे में वह दुविधा में हैं कि क्या किया जाए? पढ़ें पूरी खबर
यूपी में TET से डरकर सरकारी प्रिंसिपल ने फांसी लगाई:बेटा बोला-दिनभर TET की बात करते थे, इतना प्रेशर पड़ा कि जान दे दी
