भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे गुरुवार को महाबोधि मंदिर पहुंचे। उनके साथ पत्नी और आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल था। सभी का मुख गेट पर गरमजोशी से स्वागत हुआ। डीएम सह बीटीएमसी अध्यक्ष शशांक शुभंकर ने रिसीव किया। एसएसपी गया, मुख्य भिक्षु भिक्षु चालिंदा और केयरटेकर भिक्षु दिनानंद मौजूद रहे। बीटीएमसी सचिव डॉ. महाश्वेता महाराठी, सदस्य डॉ. अरविंद सिंह, किरण लामा और मिथुन मांझी भी साथ रहे। डॉ. महारथी ने महाबोधि महाविहार का संक्षिप्त परिचय दिया। बताया कि यहीं भगवान बुद्ध को ज्ञान मिला। यह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। परिसर में विशेष मंत्रोच्चार हुआ। भिक्षुओं ने शांति और कल्याण का पाठ किया। प्रधानमंत्री ने मंदिर की ऊपरी मंज़िल देखी। गर्भगृह में नमन किया। फिर पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे ध्यान साधना की। कुछ मिनट मौन रहे। वातावरण में गहरी आध्यात्मिकता बनी रही। बीटीएमसी की ओर से भूटान के प्रधानमंत्री को स्मृति-चिह्न दिए गए। महाबोधि मंदिर की प्रतिकृति। पवित्र बोधि-पत्र। और बीटीएमसी के प्रकाशन से जुड़ी पुस्तकें भेंट की गई। टोबगे ने कहा कि ऐसी पवित्र धरोहर से जुड़ना सौभाग्य है। बोधगया की शांति अनूठी है।दौरे के दौरान सुरक्षा पुख्ता रही। मंदिर परिसर और चौक-चौराहों पर कड़ी निगरानी रही। विदेशी अतिथियों के लिए गाइड और इंटरप्रेटेशन सपोर्ट उपलब्ध रहा। भीड़ प्रबंधन सधे ढंग से किया गया। दर्शनार्थियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। यह यात्रा भारत-भूटान रिश्तों का गर्मजोशी भरा संदेश है। बुद्ध की धरती पर भूटान के शीर्ष नेतृत्व का आना प्रतीकात्मक भी है। स्थानीय पर्यटन कारोबारियों में उत्साह दिखा। मंदिर प्रबंधन ने शाम की आरती में विशेष प्रार्थना कराई। श्रद्धालु देर शाम तक उमड़ते रहे।
महाबोधि मंदिर में भूटान के प्रधानमंत्री ने की पूजा:दशो शेरिंग टोबगे बोले- बोधगया आकर धन्य हो गया; चाक-चौबंदी रही सुरक्षा व्यवस्था
