शिवहर के पुरनहिया प्रखंड स्थित अदौरी गांव में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन वृंदावन से आईं देवी सरस किशोरी ने भक्तों को कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि नंद बाबा को 95 वर्ष की उम्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ। ब्रज की गोपियां जब बधाई देने आईं तो नंद बाबा ने अपनी पूरी तिजोरी उनके लिए खोल दी। यह बताता है कि भगवान के कार्य में किया गया दान कभी व्यर्थ नहीं जाता। कथा में पूतना वध का प्रसंग भी शामिल था। पूतना पूर्व जन्म में राजा बलि की कन्या रत्नमाला थी। वामन भगवान के सुंदर रूप को देखकर रत्नमाला ने उन्हें अपना पुत्र बनाने की इच्छा की। लेकिन जब वामन ने राजा बलि का सर्वस्व ले लिया, तब क्रोध में उसने सोचा कि अगर वह उसका पुत्र होता तो उसे विष दे देती। किशोरी जी ने माखन चोरी और चीर हरण लीला का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि ठाकुर जी ने गोपियों को प्रसन्न करने के लिए ये लीलाएं रचीं। वृंदावन की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि वृंदावन ठाकुर जी का निवास स्थान है। यह काशी के समान अविनाशी है। कथा के अंत में गोवर्धन लीला और बांके बिहारी की झांकी ने भक्तों को भावविभोर कर दिया।
श्रीमद्भागवत कथा में नंद बाबा की कहानी:95 साल में मिला कृष्ण का सुख, माखन चोरी और चीर हरण की कथा सुनाई
