सड़क हादसे में मौत में झारखंड देश में चौथे नंबर पर, 2023 में कुल 4173 मौतें, इनमें 718 सड़क पर पैदल चलने वाले

सड़क हादसे में मौत में झारखंड देश में चौथे नंबर पर, 2023 में कुल 4173 मौतें, इनमें 718 सड़क पर पैदल चलने वाले

सड़क हादसे में होने वाली मौतों में झारखंड देश में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2023 में राज्य में सड़क हादसे में 4173 लोगों की मौत हुई। जबकि 2020 में यह आंकड़ा 3044 था। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रोड एक्सीडेंट इन इंडिया-2023 की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक सड़क हादसे में 10.5% मृत्यु दर सिक्किम में है। वहीं बिहार में 8.96%, छत्तीसगढ़ में 8.83% और झारखंड में 8.24% है। रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में अधिकतर मौतें तेज रफ्तार के कारण हो रही हैं। राज्य में पैदल चलने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। वर्ष 2023 में पैदल चलने वाले 588 पुरुष और 130 महिलाओं की हादसे में जान गई। वहीं साइकिल सवार 126 लोगों की भी सड़क हादसे में जान चली गई। लापरवाही के साथ सड़क पर गड्‌ढे भी हैं हादसे की वजह सड़क हादसे का एक बड़ा कारण सड़क इंजीनियरिंग, नियमों का पालन न करना और लापरवाह ड्राइविंग है। रिपोर्ट के मुताबिक 68% मौतें तेज रफ्तार की वजह से हुई। वहीं 2,161 मौतों का कारण सड़क पर गड्ढे हैं। इससे साफ है कि केवल ड्राइवरों की लापरवाही ही नहीं, बल्कि अधूरी और अव्यवस्थित सड़क भी हादसों की बड़ी वजह बन रही हैं। सड़क हादसे केवल आंकड़े नहीं हैं, यह किसी परिवार की दुनिया उजाड़ने वाली त्रासदी है। शहरों से ज्यादा ग्रामीण इलाके में हादसे: रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में शहरी इलाके से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में हादसे हुए। जनवरी, मई और दिसंबर से सबसे ज्यादा दुर्घटना हुई। नेशनल हाइवे पर 798 हादसे दोपहिया वाहन की हुई। इनमें 560 लोगों की मौत हुई। वहीं चार पहिया वाहन से 305 हादसे में 284 लोगों ने जान गंवाई। बस की भी 51 दुर्घटना हुई, जिनमें 51 लोगों की मौत हुई। वहीं तेज रफ्तार के कारण 1403 हादसे हुए, जिनमें 1174 लोगों की जान चली गई। ऋषभ आनंद, सड़क सुरक्षा एक्सपर्ट आवासीय क्षेत्र में ज्यादा हादसे रॉन्ग साइड में चलने की वजह से 171 हादसे हुए, जिनमें 120 लोगों की मौत हुई। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए 42 हादसे हुए, इनमें 28 की मौत। 797 एक्सीडेंट आमने-सामने हुए, जिनमें 631 लोगों की मौत हो गई। आवासीय क्षेत्र में 1417 हादसे में 1134 और कॉमर्शियल क्षेत्र में 900 हादसे में 567 की मौत।

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