‘आज पूरे देश में मुस्लिमों को टॉर्चर किया जा रहा। मुसलमान किसी तरह अपना वक्त काट रहा। सरकारी नौकरियों में मुसलमानों के लिए जगह नहीं है। प्राइवेट कंपनियां भी मुस्लिमों को बाहर कर रही हैं। मुसलमानों के लिए इतना खराब वक्त कभी नहीं आया। संभल में कैसे गोली चली, कैसे लोग मारे गए सभी को पता है। अदालतें इंसाफ की बात करेंगी तो साबित हो जाएगा कि जिस जामा मस्जिद को मंदिर बताया जा रहा है, वो मस्जिद ही है। मुसलमान वहां 500 साल से नमाज पढ़ रहे हैं।’ ये कहना है मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन का। डॉ. हसन ने दैनिक भास्कर से मौजूदा सियासी हालात पर खुलकर बात की। अखिलेश यादव पर जेल में बंद आजम खान की मदद न करने के आरोपों पर हसन ने कहा- आजम खान से भी अगर कसम खिलाकर पूछा जाएगा तो वो यही कहेंगे कि अखिलेश ने उनकी इतनी मदद की है, जितनी उन्होंने सोची भी नहीं होगी। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल – आपको पार्टी के ही कुछ लोग जयचंद बता रहे?
जवाब – मैं सिर्फ मुस्लिमों का नेता नहीं हूं। मैं सभी की बात उठाता हूं। बांग्लादेश में जब हिंदुओं पर अत्याचार हुए तो सबसे पहले आवाज मैंने उठाई। जहां तक मुझे जयचंद कहने वालों की बात है, तो पार्टी के अंदर प्रोफेशनल जैलसी होती है। लोगों को जलन होती है कि हम उस मुकाम तक नहीं पहुंच सके। वो लोग इस किस्म की बातें करते हैं। इन बातों का न तो अखिलेश यादव पर फर्क है, न ही मेरी सेहत पर इसका कोई असर पड़ता है। सवाल – मुलायम-अखिलेश की सपा में क्या फर्क है?
जवाब – मुलायम सिंह बुजुर्ग थे। पिता तुल्य थे। अखिलेश यादव एक भाई की तरह हैं। अखिलेश का स्वभाव और एक्टिविटीज ऐसी हैं कि हर कार्यकर्ता को लगता है कि वो उनके सबसे करीब हैं। सबकी बात सुनते हैं और सभी की मदद करते हैं। उन्होंने नेताजी की कमी का एहसास किसी को नहीं होने दिया। सवाल – आजम जेल चले गए। आपका टिकट कट गया। क्या सपा में मुस्लिम लीडरशिप को कमजोर करने की कोशिशें हो रहीं?
जवाब – हरगिज नहीं…। अखिलेश यादव ने कभी कोई ऐसी बात नहीं कही, जिससे ये एहसास हो कि पार्टी में मुस्लिम लीडरशिप कमजोर की जा रही है। उन्होंने हमेशा मुस्लिम लीडरशिप को प्रोत्साहन दिया है। मेरा टिकट उन्होंने बहुत प्रेशर में काटा था। उन्होंने कोशिश की थी कि मैं रामपुर से या मेरठ से चुनाव लड़ूं। सवाल – आजम जेल में बंद हैं। अखिलेश या सपा ने उनकी कोई ज्यादा मदद नहीं की। इस पर क्या कहेंगे?
जवाब – ये हमारे विरोधियों का प्रोपेगेंडा है। अखिलेश ने आजम खान और उनके परिवार के लिए इतना किया कि कोई सोच भी नहीं सकता। अखिलेश ने हर चीज का मैनेजमेंट किया है। उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। हर तरह की मदद की है। उनकी आदत ये है कि वो किसी को बताते नहीं हैं कि मैंने क्या किया। आजम की मदद नहीं करने की बात मुस्लिमों को बहकाने के लिए की जाती है, ताकि वो सपा से दूर हों। सच तो ये है कि अगर जेल में बंद आजम खान से कसम खिलाकर पूछा जाए, तो वो बता देंगे कि अखिलेश ने इतना किया है जितना वो सोच भी नहीं सकते थे। सवाल – जिस अधिकारी को खुद अखिलेश सिक्किम से यूपी लाए, उसी ने आजम को जेल भेजा?
जवाब – अखिलेश यादव उस अधिकारी को लाए जरूर थे। लेकिन जब आजम पर झूठे मुकदमे लगने शुरू हुए, तो सरकार बदल चुकी थी। सरकार नहीं बदलती तो क्या कोई सोच भी सकता था कि आजम खान के खिलाफ झूठे केस दर्ज करके कोई उन्हें जेल भेज देगा। अधिकारी तो वही करते हैं जो सरकार चाहती है। सवाल – मुलायम सिंह के समय में मुस्लिम को लेकर स्पष्ट लाइन थी। क्या अखिलेश की सपा सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे पर चली गई?
जवाब – हमें इससे दिक्कत नहीं है। हिंदू भी हमारे भाई हैं। अखिलेश ने कभी मुस्लिमों को नजरअंदाज नहीं किया। हमेशा मुसलमानों को हक दिलाने की कोशिश की है। हमें 80 का दौर भी याद है, जब कांग्रेस की सरकार थी। आज भी हम देख रहे। सपा ने मुस्लिमों का मॉरल बूस्ट अप किया। ऐसा किसी ने नहीं किया। मुलायम सिंह ने पीएसी में मुस्लिमों को एंट्री दी, ताकि मुस्लिमों के साथ न्याय हो सके। उर्दू को बढ़ावा दिया। हक के लिए बाबरी मस्जिद को बचाने की कोशिश की। सवाल – 10 सालों में बड़े पैमाने पर मुस्लिम युवाओं का चयन यूपीएससी में हुआ। फिर आप ऐसा क्यों कह रहे कि मुस्लिमों का उत्पीड़न हो रहा?
जवाब – आप खाली यूपीएससी की बात क्यों कर रहे? रेलवे में क्यों नहीं मुसलमानों को नौकरी मिल रही? बड़े-बड़े प्राइवेट हाउस मुस्लिमों को निकाल रहे । उनके यहां मुस्लिमों को टॉर्चर किया जा रहा। सरकारी नौकरी करने वाले मुस्लिम आज खुद को बेहद दबा-कुचला महसूस कर रहे। ऐसा वक्त कभी नहीं आया। किसी तरह मुस्लिम वक्त काट रहे, ये मुसलमान ही जानता है। सवाल – इकरा हसन को लेकर टिप्पणी हुई तो कोई नहीं बोला। डिंपल यादव के मामले में सपा अचानक आक्रामक नजर आई?
जवाब – इकरा के लिए भी सभी लोग बोले थे। सभी नेताओं ने बयान दिया, लेकिन उन्हें हमारा मीडिया तवज्जो नहीं देता। अखिलेश यादव को जितनी तकलीफ डिंपल यादव पर की गई टिप्पणी से हुई थी, उतनी ही तकलीफ उन्हें इकरा हसन पर हुई टिप्पणी से भी हुई। मेरी खुद अखिलेश यादव से इस विषय पर बात हुई थी। लेकिन ऐसा रुख बनाने की कोशिशें हो रही हैं कि जैसे अखिलेश यादव मुस्लिमों की फिक्र नहीं कर रहे। सवाल – संभल को लेकर राजनीति हो रही। क्या वेस्ट यूपी में 2027 का चुनाव संभल मुद्दे के इर्द-गिर्द ही घूमेगा?
जवाब – संभल में मस्जिद का मुद्दा अदालत में चल रहा है। यदि अदालतें इंसाफ से काम करेंगी तो वो मस्जिद ही है। 500 साल से वहां नमाज होती आ रही है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 भी मौजूद है। दरअसल, मौजूदा वक्त में कोशिश हिंदू-मुस्लिम करने की है ताकि 2027 में चुनावी परिणाम मंशा मुताबिक मिल सकें। संभल में कैसे गोली चली और क्या-क्या हुआ, जनता को सब समझ में आता है। वहां हिंदू-मुसलमानों के बीच फासले पैदा करने की कोशिशें हो रही हैं। सवाल – जिस लाइन पर सपा चल रही है, 2027 फतह कर पाएगी?
जवाब – अखिलेश यादव जो भी काम कर रहे हैं, वो लोगों की मंशा के हिसाब से ही कर रहे हैं। वो सभी को साथ लेकर चल रहे हैं। निश्चित ही 2027 में यूपी में सपासरकार बनेगी।
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‘आजम कसम खाकर बताएं अखिलेश ने कितनी मदद की’:एसटी हसन बोले- इंसाफ हुआ तो संभल में मस्जिद ही निकलेगी, मुस्लिमों के लिए ये वक्त बुरा
