संसद में जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के तीन पहिए रखे जाएंगे:परिसर में संस्कृति का दूसरा प्रतीक होगा; 2 साल पहले सेंगोल स्थापित हुआ था

संसद में जगन्नाथ पुरी रथयात्रा के तीन पहिए रखे जाएंगे:परिसर में संस्कृति का दूसरा प्रतीक होगा; 2 साल पहले सेंगोल स्थापित हुआ था

संसद परिसर में पुरी रथ यात्रा के तीन पहिए लगाए जाएंगे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की। मंदिर समिति ने बताया कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला हाल ही में पुरी दौरे पर गए थे। मंदिर समिति की तरफ से उनको यह प्रस्ताव दिया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। यह तीनों पहिए भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के रथों से निकाले जाएंगे। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष, देवी सुभद्रा के रथ को दर्पदलन और भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज कहलाता है। इन तीन रथों के एक-एक पहिए दिल्ली भेजे जाएंगे। उन्हें संसद में ओडिशा की संस्कृति और विरासत के स्थायी प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाएगा। संसद में संस्कृति से जुड़ा यह दूसरा प्रतीक होगा 2023 में पीएम मोदी ने लोकसभा में सेंगोल स्थापित किया था संसद में रथ यात्रा के पहिए लगने के बाद यह परिसर में स्थापित संस्कृति से जुड़ा दूसरा प्रतीक होगा। दो साल पहले लोकसभा में सेंगोल लगाया गया था। मई 2023 संसद में स्पीकर की कुर्सी के बगल में पीएम मोदी ने सेंगोल स्थापित किया था। सेंगोल जिसे राजदंड भी कहा जाता है, उसे अंग्रेजों की तरफ से 14 अगस्त 1947 की रात पं. नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था। 1960 से पहले यह आनंद भवन और फिर 1978 से इलाहाबाद म्यूजियम में रखा था। 75 साल बाद राजदंड का संसद में प्रवेश हुआ। अब संसद परिसर में पुरी के रथ के पहिए लगेंगे संसद परिसर में पुरी रथ यात्रा के किन पहियों को लगाया जाएगा, फिलहाल इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। इस साल 27 जून को रथयात्रा निकाली गई थी। रथ यात्रा के बाद, तीनों रथों को हर साल अलग कर दिया जाता है। नंदीघोष रथ के मुख्य बढ़ई बिजय महापात्र के अनुसार, कुछ प्रमुख हिस्सों को छोड़कर, हर साल रथों के निर्माण में नई लकड़ी का उपयोग किया जाता है। अलग किए गए रथ के पुर्जों को गोदाम में रखा जाता है और उनमें से कुछ, जिनमें पहिए भी शामिल हैं, नीलाम कर दिए जाते हैं। हर साल 45 फीट ऊंचे तीनों रथों को 200 से ज्यादा लोग सिर्फ 58 दिनों में तैयार करते हैं। ये रथ 5 तरह की खास लकड़ियों से पूरी तरह हाथों से बनाए जाते हैं। लकड़ियां मापने के लिए किसी स्केल का इस्तेमाल नहीं होता, बल्कि एक छड़ी से ही माप कर 45 फीट ऊंचे और 200 टन से ज्यादा वजनी रथ तैयार किए जाते हैं। पढ़िए, रथों के बनने से लेकर टूटने तक की कहानी…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *