‘चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करना गलत’:’सुमेरू पीठाधीश्वर’ ने जताई नाराजगी, बोले-लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि

‘चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करना गलत’:’सुमेरू पीठाधीश्वर’ ने जताई नाराजगी, बोले-लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि

काशी सुमेरू पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम को लेकर उठे विवाद पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ है और उसकी निष्पक्षता तथा विश्वसनीयता पर अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप लोकतंत्र के लिए घातक साबित हो सकते हैं। घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी का सत्यापन हो
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वायत्त और संवैधानिक संस्था है, जिसकी भूमिका भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण हर चुनाव से पहले की जाने वाली नियमित प्रक्रिया है। इसमें सरकारी कर्मचारी घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी का सत्यापन करते हैं और यदि कोई विसंगति पाई जाती है तो उसका समय रहते संशोधन किया जाता है। त्रुटियों का समाधान करने की आवश्यकता
स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा-इस प्रक्रिया में कभी-कभी जाने या अनजाने में त्रुटियां हो सकती हैं, लेकिन इन्हें स्थानीय स्तर पर आसानी से सुधारा जा सकता है। इसीलिए राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों का यह दायित्व है कि वे मिलकर सुधार की दिशा में काम करें। इसे ‘वोट चोरी’ का नाम देना और किसी विशेष राजनीतिक दल को कटघरे में खड़ा करना अनुचित है। शंकराचार्य ने कहा – सत्ता तो आती-जाती रहती है। आज जो दल सत्ताधारी है वह कल विपक्ष में हो सकता है, लेकिन चुनाव आयोग स्थायी है। ऐसे में उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना लोकतंत्र के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ‘वोट चोरी’ का काल्पनिक मुद्दा उछालकर जनता को गुमराह करना भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करेगा और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की लोकतांत्रिक छवि धूमिल होगी। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि
स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है। उसे भ्रम और संशय में डालना सबसे बड़ी भूल है। सरकार ने त्रुटियों के सुधार के लिए कई स्तरों पर व्यवस्था कर रखी है। अगर फिर भी कोई गलती रह जाती है तो उसे स्थानीय स्तर पर तुरंत दुरुस्त किया जा सकता है। इसके लिए सीधे चुनाव आयोग को दोष देना न तो उचित है और न ही जिम्मेदाराना रवैया। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील की कि वे अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण बंद करें। यदि हर चुनाव में ‘वोट चोरी’ का बहाना बनाकर संस्थाओं की विश्वसनीयता पर चोट की जाती रही, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा और अराजकता फैल सकती है। ऐसी स्थिति में देश विरोधी ताकतें इसका लाभ उठा सकती हैं। चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करना गलत
शंकराचार्य ने कहा कि राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे जनता का विश्वास जीतने के लिए सकारात्मक राजनीति करें। चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करने से न तो लोकतंत्र मजबूत होगा और न ही जनता का भला। भारतीय लोकतंत्र की विश्वसनीयता को बनाये रखना ही सभी दलों और नागरिकों की साझा जिम्मेदारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *