IAS विनय चौबे की बेल याचिका खारिज:झारखंड हाईकोर्ट से मांगी थी जमानत; शराब घोटाला केस में 3 महीने से जेल में हैं

IAS विनय चौबे की बेल याचिका खारिज:झारखंड हाईकोर्ट से मांगी थी जमानत; शराब घोटाला केस में 3 महीने से जेल में हैं

झारखंड शराब घोटाले के आरोपी और राज्य के वरीय IAS अधिकारी विनय चौबे को गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायाधीश जस्टिस संजय द्विवेदी की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। विनय चौबे की ओर से अधिवक्ता देवेश आजमानी ने पैरवी की, लेकिन अदालत ने उनके तर्कों को स्वीकार नहीं किया। बुधवार को हुई थी आंशिक सुनवाई इससे पहले बुधवार को हाईकोर्ट में आंशिक सुनवाई हुई थी, जिसके बाद अदालत ने गुरुवार (14 अगस्त) को अंतिम सुनवाई की तारीख तय की थी। सुनवाई के दौरान विनय चौबे ने अपनी गिरफ्तारी और दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी थी। उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि उनके खिलाफ दर्ज FIR और सभी दंडात्मक कार्रवाई को रद्द किया जाए। ACB ने मई में की थी गिरफ्तारी गौरतलब है कि 20 मई 2025 को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में विनय चौबे को पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। आरोप है कि इस घोटाले में करोड़ों रुपए के अवैध लेन-देन और अनियमितताएं हुईं, जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों और कारोबारियों की संलिप्तता सामने आई थी। गिरफ्तारी के बाद से ही विनय चौबे न्यायिक हिरासत में हैं। राज्य सरकार ने उन पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है। फिलहाल वह जेल में हैं और अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। गिरफ्तारी और FIR को बताया गलत अपनी याचिका में विनय चौबे ने दावा किया था कि ACB ने उनके खिलाफ बिना पर्याप्त साक्ष्य के प्राथमिकी दर्ज की और गिरफ्तारी की कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं और यह राजनीतिक एवं प्रशासनिक साजिश का हिस्सा है। हाईकोर्ट द्वारा बेल याचिका खारिज किए जाने के बाद अब विनय चौबे के सामने कानूनी संकट और गहरा गया है। कानूनी जानकारों का मानना है कि उन्हें राहत पाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। वहीं, एसीबी का कहना है कि उनके पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जो मामले में उनकी संलिप्तता साबित करते हैं। शराब घोटाले में कई नाम आए सामने झारखंड में पिछले साल उजागर हुए शराब घोटाले में सरकारी तंत्र, ठेकेदारों और सप्लायरों की मिलीभगत का आरोप है। जांच एजेंसियों के अनुसार, घोटाले के जरिए करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हुआ। मामले में अब तक कई छापेमारी, दस्तावेजी साक्ष्य और बैंक ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड जुटाए गए हैं।

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