धनबाद के डिगवाडीह की कुमारी अंजलि के लिए 12 मई 2025 की तारीख उनकी जिंदगी का सबसे काला दिन बन गई। सुबह 10 बजे पति, आर्मी जवान रामबाबू सिंह से उनकी आखिरी बातचीत हुई थी। कहा था- ख्याल रखना, मैं जल्दी आऊंगा। ये उनके शब्द थे। दोपहर करीब 2 बजे फोन की घंटी बजी। दूसरी ओर से आवाज आई- रामबाबू अब नहीं रहे। पहले तो अंजलि को यकीन नहीं हुआ, लगा कोई मजाक कर रहा है, लेकिन जब पिता और भैसुर ने खबर की पुष्टि की, तो मानो पूरी दुनिया उनके पैरों तले से खिसक गई। NCC कैंप से शादी तक का सफर अंजलि और रामबाबू की पहली मुलाकात 2017 में धनबाद के NCC कैंप में हुई थी। पहले दोस्ती, फिर धीरे-धीरे यह रिश्ता प्यार में बदला। 2018 में रामबाबू की आर्मी में नौकरी लग गई, जिससे रिश्ते की डोर और मजबूत हो गई। परिवार की रजामंदी से 14 दिसंबर 2024 को शादी हुई। शादी के बाद दोनों ने अपने आने वाले जीवन के लिए ढेरों सपने बुन लिए थे। घर, परिवार और बच्चों की हंसी-खुशी से भरा भविष्य। लेकिन किस्मत ने इन सपनों को पूरा होने से पहले ही तोड़ दिया। ऑपरेशन सिंदूर में मिली शहादत बिहार के सीवान जिले के सिलपुर गांव के रहने वाले रामबाबू सिंह जम्मू के सतवारी एयर बेस पर S-400 डिफेंस सिस्टम में तैनात थे। 12 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। उनकी अगली पोस्टिंग उदयपुर में होने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही घर पर तिरंगे में लिपटा शव पहुंचा। अपने काम के प्रति समर्पित रामबाबू का सपना था कि देश की सेवा करते हुए कभी पीछे न हटें और उन्होंने उस सपने को अपनी जान देकर पूरा कर दिया। नौवें महीने की गर्भवती, आंखों में आंसू और दिल में संकल्प अंजलि इस समय अपने मायके धनबाद में हैं। गर्भावस्था का नौवां महीना चल रहा है। डॉक्टर उन्हें बार-बार आराम और जांच की सलाह देते हैं। पेट में पल रहा बच्चा अब उनके जीवन का सबसे बड़ा सहारा है। अंजलि कहती हैं मेरे बच्चे में ही अब रामबाबू की छवि बसी रहेगी। उसके आने के बाद भी यह दर्द हमेशा रहेगा, लेकिन मैं मजबूत रहूंगी। पति का सपना था कि अंजलि सिविल सर्विस में जाएं। खेल और NCC में मिले उनके मेडल देखकर वह हमेशा कहते थे- तुम कर सकती हो। अंजलि अब बच्चे के जन्म के बाद उसी सपने को पूरा करने के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। एक आदर्श बेटे, भाई और पति की भूमिका में रहे रामबाबू न केवल एक जांबाज सैनिक थे, बल्कि एक आदर्श बेटे और भाई भी थे। मां, बड़े भाई और पूरे परिवार के लिए उनका दिल हमेशा धड़कता था। गांव के लोग उन्हें मददगार और मिलनसार इंसान के रूप में याद करते हैं। अंजलि बताती हैं कि उनका किसी से कोई झगड़ा नहीं था, चाहे कोई अपना हो या अजनबी वो हमेशा मदद के लिए तैयार रहते थे। शादी के बाद अंजलि के दिन खुशियों से भरे थे, लेकिन अब वो खुशियां यादों में बदल चुकी हैं। दर्द के बीच उम्मीद की जल रही लौ 12 मई की सुबह का फोन कॉल और दोपहर की दर्दनाक खबर इन दोनों के बीच ही अंजलि की पूरी दुनिया बदल गई। आंखों में आंसू हैं, लेकिन दिल में एक संकल्प भी है- अपने बच्चे के लिए मजबूत बनना और पति के सपनों को पूरा करना। कहती हैं, ‘मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे उनका साथ मिला, भले ही समय कम मिला। शहादत की खबर ने एक पत्नी से उसका सुहाग छीन लिया, लेकिन एक मां को अपने बच्चे के लिए लड़ने की ताकत भी दे दी। अब उनकी जिंदगी का मकसद है- पति के अधूरे सपनों को पूरा करना और आने वाली पीढ़ी को बताना कि रामबाबू सिंह जैसे सच्चे वीर कैसे देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं।’ ————— ये भी पढ़ें… PAK हमले में बिहार का एक और जवान शहीद:5 महीने पहले हुई थी रामबाबू प्रसाद की शादी, पत्नी प्रेग्नेंट है; छुट्टी पर आने वाले थे पाकिस्तान के हमले में बिहार का एक और जवान शहीद हो गया है। 12 मई को पाकिस्तान ने ड्रोन अटैक किया था, इसके सीवान के आर्मी जवान रामबाबू प्रसाद (28) घायल हो गए थे। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस हमले से पहले उन्होंने पत्नी से फोन पर बात की थी। वे जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर तैनात थे। पूरी खबर पढ़िए
ऑपरेशन सिंदूर में शहीद रामबाबू की पत्नी की कहानी:नौवें महीने की गर्भवती, आंखों में आंसू, कहा- अब आने वाला बच्चे में पति की छवि
