सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन स्थित बांके बिहारी जी मंदिर के दैनिक कार्यों की देख रेख और पर्यवेक्षण के लिए पूर्व इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च-शक्ति समिति का गठन किया है। यह कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मामले का निर्णय होने तक मंदिर का प्रबंधन संभालेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट को सौंप दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश पर दिया है स्टे सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम अवधि में अध्यादेश के उन प्रावधानों के संचालन पर रोक लगा दी,जो राज्य को मंदिर प्रबंधन के लिए एक ट्रस्ट गठित करने की शक्ति प्रदान करते हैं। यह अंतरिम आदेश इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को मामले का निर्णय करने में कुछ समय लग सकता है। हाई पावर कमेटी में यह होंगे सदस्य चेयर पर्सन सेवानिवृत्त जज हाईकोर्ट अशोक कुमार साथ हाई पावर कमेटी में मुकेश मिश्रा सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मुंसिफ, मजिस्ट्रेट – सिविल जज, जिला मजिस्ट्रेट, मथुरा (सदस्य-सह-सदस्य सचिव), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मथुरा (सदस्य) नगर आयुक्त, मथुरा (सदस्य), उपाध्यक्ष, मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण (सदस्य), एक प्रख्यात वास्तुकार जिसे अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जाएगा (सदस्य) ,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का एक प्रतिनिधि (सदस्य) के अलावा दोनों गोस्वामी समूहों से 2-2 प्रतिनिधि – सदस्य होंगे। 2 लाख रुपए प्रति महीने मिलेगा मानदेय बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन के लिए बनाई गई हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष को 2 लाख रुपए प्रतिमाह मानदेय के अलावा मंदिर कोश से सचिवीय और परिवहन सुविधा दी जाएगी। वहीं सदस्य मुकेश मिश्रा सेवानिवृत जिला एवं सत्र न्यायधीश को एक लाख रुपए हर महीने मानदेय दिया जाएगा। अदालत ने निर्देश दिए है कि कमेटी मंदिर एवं आसपास के क्षेत्र के समग्र विकास की योजना बनाए। आवश्यक भूमि को निजी समझौते से खरीदा जाए, अन्यथा राज्य सरकार कानूनी प्रक्रिया से भूमि अधिग्रहण करे। चार गोस्वामी प्रतिनिधियों के अलावा कोई अन्य गोस्वामी या सेवायत मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं करेगा, सिवाय पूजा,सेवा व प्रसाद अर्पण के। यात्रियों को मिले सुविधा सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि तीर्थ यात्रियों के लिए स्वच्छ पेयजल, कार्यशील शौचालय, आश्रय, बैठने की व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन गलियारे, और वृद्ध, महिलाएं, बच्चे एवं दिव्यांग हेतु विशेष सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। समिति को मंदिर परिसर में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है, जैसे कि कार्यात्मक शौचालय, पर्याप्त आश्रय और बैठने की व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन के लिए समर्पित गलियारे, तथा वृद्धों, महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष व्यवस्था हो। 15 मई को दिए निर्देश को वापस लिया कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह अध्यादेश की संवैधानिक वैधता पर रिट याचिकाएं दायर होने के एक वर्ष के भीतर निर्णय दे। इसके अलावा, कोर्ट ने 15 मई 2025 को एक अन्य पीठ द्वारा एक सिविल अपील में दिए गए निर्देशों को भी वापस ले लिया। जिसमें राज्य को वृंदावन कॉरिडोर विकास परियोजना के लिए मंदिर निधि का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। इन्होंने की थी याचिका दाखिल इस मामले में देवेंद्र नाथ गोस्वामी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य W.P.(C) No. 709/2025 , ठाकुर श्री बांके बिहारी जी मंदिर प्रबंधन समिति और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्यW.P.(C) No. 704/2025 (और संबंधित मामला) 3 ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज (सेवायत हिमांशु गोस्वामी के माध्यम से) और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य**, W.P.(C) No. 734/2025 ईश्वर चंद शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य , डायरी नं. 28487-2025 (और संबंधित मामला) ईश्वर चंद शर्मा बनाम देवेंद्र कुमार शर्मा और अन्य , डायरी नं. 39950-2025, हरिदासी संप्रदाय (दमनदीप सिंह और अमर नाथ गौतम शिष्य के माध्यम से) और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य , W.P.(C) No. 707/2025 में याचिका दायर की गयी है।
बांके बिहारी प्रबंधन के लिए गठित की कमेटी:हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनी, निर्णय होने तक प्रबंधन संभालेगी
