गोपालगंज में भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक बने 2 विशाल वृक्ष स्थानीय लोगों के बीच आस्था का केंद्र बन गए हैं। जिले के सरेया वार्ड-1 में स्थित बरगद और पीपल के ये विशाल पेड़ एक अनोखी कहानी समेटे हुए हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार, लगभग 70 साल पहले एक भाई-बहन की हादसे में मौत हो गई थी। परिजनों ने दोनों के शवों का एक साथ उसी स्थान पर अंतिम संस्कार किया था। कुछ दिनों बाद उसी स्थान से एक बरगद और एक पीपल का पौधा निकल आया। ये पौधे तेजी से बढ़ने लगे। वृक्षों का नाम ‘भाई-बहन’ स्थानीय लोगों ने इसे दैवीय रूप मानते हुए इन वृक्षों का नाम ‘भाई-बहन’ रखा और पूजा-अर्चना शुरू कर दी। तब से लेकर आज तक यहां पूजा करने की परंपरा जारी है। लोगों का विश्वास है कि जिसने भी सच्चे मन से यहां मन्नत मांगी है, उसकी हर मन्नत पूरी हुई है। ‘भाई-बहन ने ही पेड़ का रूप धारण किया’ इन पेड़ों की एक विशेषता यह भी मानी जाती है कि इनकी डाली या पत्ते को तोड़ने पर व्यक्ति के साथ अनहोनी घटना घट सकती है। स्थानीय होटल व्यवसायी सुनील पांडेय के परिवार से जुड़ी इस कहानी के अनुसार, मृत भाई-बहन ने ही वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। लोगों ने पूजा करना किया शुरू धीरे-धीरे लोगों ने यहां मृत भाई-बहन की तस्वीरें रखकर पूजा करना शुरू कर दिया। आज इन विशाल पेड़ों के चारों ओर चबूतरा बना दिया गया है। हर त्योहार और सामान्य दिनों में भी यहां पूजा-पाठ की परंपरा निरंतर चल रही है। रक्षाबंधन के त्योहार के दौरान, जब पूरा देश भाई-बहन के प्रेम का उत्सव मना रहा है, यह स्थान भाई-बहन के अटूट रिश्ते का एक अनूठा प्रतीक बना हुआ है। शव का यही किया गया अंतिम संस्कार वहीं स्थानीय व्यक्ति शंकर साह के अनुसार, “यह पेड़ भाई-बहिन के नाम से मशहूर है। करीब 70 साल पहले एक भाई-बहन की हादसे में मौत हो गयी थी। दोनों के शव को यही अंतिम संस्कार किया गया। जहां से एक पीपल और बरगद का पेड़ उग गया। लोगों ने पेड़ को भाई-बहन का दैवीय रूप मानकर पूजा-अर्चना करने लगे। यहां सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है, उसकी मन्नत पूरी होती है।”
गोपालगंज में बरगद-पीपल पेड़ का नाम ‘भाई-बहन’:70 साल पहले दुर्घटना में भाई और बहन की हुई मौत, निकला बरगद-पीपल का पौधा
