झारखंड विधानसभा में झामुमो के झंडे से लिपटा हुआ गुरुजी का पार्थिव शरीर सुबह 10.30 बजे जैसे ही पहुंचा, सुबह 8 बजे से ही उनके इंतजार में खड़े समर्थकों की भीड़ उनकी एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ी। झारखंड विधानसभा के नए भवन में गुरुजी का पहली बार प्रवेश था, लेकिन किसी सत्र के लिए नहीं, बल्कि उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके पार्थिव शरीर को लाया गया था। गुरुजी को गार्ड अॉफ अॉनर दिया गया। इसके बाद राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम, अन्नपूर्णा देवी, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ समेत विधायकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्पीकर ने कहा कि झारखंड ने अपना अभिभावक को दिया। उनकी छांव में राज्य के शोषित-पीड़ित सुरक्षित महसूस करते थे। उनके मार्गदर्शन में हमलोगों ने हर वर्ग के लिए काम किया। उनकी कमी हमेशा खलेगी। गुरुजी को श्रद्धांजलि देते राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम, संजय सेठ, अन्नपूर्णा देवी और स्पीकर रवींद्रनाथ महतो। राज्यपाल संतोष गंगवार : दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी का जीवन जनजातीय अस्मिता, अधिकार और सामाजिक उत्थान को समर्पित रहा है। उनके नेतृत्व में जनजातीय समाज की चेतना और सशक्तिकरण को नई दिशा मिली। अन्नपूर्णा देवी : गुरुजी का संपूर्ण जीवन संघर्ष, सेवा और सिद्धांतों की प्रेरणादायक मिसाल रहा है। उनका निधन पूरे देश की राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। जुएल ओराम : जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि शिबू सोरेन आदिवासियों और वंचितों के लिए प्रेरणा रहे हैं। शिबू सोरेन को भारत र| के बारे में कहा कि इस पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं। संजय सेठ : शिबू सोरेन हमेशा गरीबों और आदिवासियों के हक की आवाज उठाने वाले नेता थे। उनके निधन से सबसे ज्यादा क्षति झारखंड के लोगों और आदिवासी समुदाय को हुई।
हर हाथ में था गुरुजी के लिए फूल, एक झलक पाने की बेताबी
