लखनऊ में चकबंदी मिनिस्टीरियल संघ के अध्यक्ष राजकुमार सिंह की सुसाइड मामले में पुलिस अब तक यह नहीं पता कर सकी है कि मौके से मिली रिवाल्वर किसकी है। कलेक्ट्रेट के शस्त्र विभाग ने कंप्यूटर रिकॉर्ड खंगाले, लेकिन रिवाल्वर नंबर किसी लाइसेंस से नहीं मिला। अब मैनुअल रिकॉर्ड देखे जा रहे हैं। इसके अलावा रिवाल्वर पर डब्ल्यू जर्मनी लिखा था। इससे भी जानकारी जुटाई जा रही है। राजकुमार सिंह (55) निगोहां के करनपुर के मूल निवासी थे और वर्तमान में आशियाना के जोनल पार्क के पास पत्नी किरण, बेटी अंजली और बेटे शशांक के साथ रहते थे। वह चकबंदी विभाग में सीनियर क्लर्क के पद पर कार्यरत थे। बुधवार शाम शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास एक प्लॉट के कमरे में उनका शव मिला था। उनकी कनपटी पर गोली लगी थी। पास में जर्मनी निर्मित रिवाल्वर और एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था। कलेक्ट्रेट में नहीं मिला रिकॉर्ड, अब जिलों से मंगवाया जाएगा ब्यौरा डीसीपी निपुण अग्रवाल के मुताबिक, रिवाल्वर का नंबर कलेक्ट्रेट के कंप्यूटर रिकॉर्ड से नहीं मिला। अब पुराने दस्तावेजों से नंबर का मिलान मैनुअल तरीके से कराया जा रहा है। रिवाल्वर पर डब्ल्यू जर्मनी लिखा था। इससे भी पता लगाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा गन हाउस से भी जानकारी की गई है। लखनऊ में रिवाल्वर का रिकॉर्ड न मिलने पर अन्य जनपदों से भी विवरण मांगा जाएगा। सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग पर परिजनों को शक मामले में एक और नया मोड़ तब आया जब राजकुमार सिंह के परिजनों ने सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग पर सवाल खड़े किए। पुलिस ने पुराने दस्तावेजों से मिलान कराया, लेकिन परिजन संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि नोट में लिखावट राजकुमार की नहीं लग रही। पुलिस का कहना है कि अगर परिजन तहरीर देंगे तो हैंडराइटिंग की फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी। अब तक नहीं दी गई तहरीर पुलिस सूत्रों के अनुसार, राजकुमार सिंह के परिवारीजनों ने अभी तक कोई तहरीर नहीं दी है। ऐसे में हत्या या साजिश के एंगल से फिलहाल औपचारिक जांच नहीं हो पा रही है। पुलिस केवल सुसाइड की थ्योरी पर जांच आगे बढ़ा रही है।
राजकुमार सुसाइड मामले में रिवाल्वर किसकी?:पुलिस को अब तक नहीं पता, परिजन बोले- सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग पर शक
