झारखंड हाईकोर्ट ने देवघर एम्स को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने देवघर एम्स को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को देवघर एम्स में सुविधा उपलब्ध नहीं कराए जाने के िखलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि एम्स को अब तक क्या-क्या सुविधाएं दी गई हैं? अदालत ने सरकार को 23 सितंबर तक अप टू डेट जानकारी देने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान देवघर एम्स की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार ने अभी तक पूरी जमीन उपलब्ध नहीं कराई है। राज्य सरकार को 170 एकड़ जमीन दी जानी थी, लेकिन सरकार ने अभी तक 150 एकड़ जमीन ही दी है। 20 एकड़ जमीन अब तक नहीं मिली है। पुनासी डैम से सरकार ने पानी देने को कहा था, लेकिन अभी तक पुनासी डैम से संस्थान को पानी की आपूर्ति शुरू नहीं की गई है। अस्पताल को पर्याप्त फायर फाइटिंग सिस्टम भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। एम्स के चिकित्सकों और कर्मचारियों के लिए सेंट्रल स्कूल खोलने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक स्कूल भी नहीं खोला गया है। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से कई और सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा सकी हैं। इससे एम्स देवघर के संचालन में दिक्कतें आ रही हैं। अदालत ने सरकार से एम्स, देवघर को दी गई सुविधाओं की जानकारी मांगी है। इस मामले में सांसद निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दाखिल की है। अलग-अलग मामलों में झारखंड हाईकोर्ट में हुई सुनवाई साइबर ठगी के मामले में नौ सितंबर को अगली सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को साइबर ठगी के मामले में स्वतः संज्ञान से दार्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद एमिकस क्यूरी और राज्य सरकार को अपना सुझाव लिखित में देने का निर्देश दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तुत सीलबंद एसओपी पर सुनवाई के लिए 9 सितंबर की तिथि निर्धारित की है। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से साइबर ठगी पर रोक लगाने के लिए बनाई गई एसओपी को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किया गया। सुनवाई के दौरान डीजीपी अनुराग गुप्ता व इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर के एसीपी जितेंद्र सिंह स्वयं अदालत में उपस्थित थे। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने साइबर ठगी मामले पर सुझाव भी प्रस्तुत किया। फॉरेस्ट गार्ड की नियुक्ति के लिए बन रही नियमावली हाईकोर्ट में वन विभाग में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं होने पर स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि रेंज फॉरेस्ट अफसर और असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरस्ट (एसीसीएफ) के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना भेज दी गई है। फरिस्ट गार्ड की नियुक्ति के लिए, सरकार नियमावली बना रही है। इससे संबंधित फाइल कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजी गई है। इस वजह से नियुक्ति में समय लगेगा। वहीं, जेपीएससी की ओर से बताया गया कि रेंज फरिस्ट अफसर और एसीसीएफ के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी माह पीटी परीक्षा ली गई है। जल्द ही नियुक्ति परीक्षा पूरी कर ली जाएगी। सर्पदंश रोकने के लिए क्या किए जा रहे हैं उपाय? हाईकोर्ट में मंगलवार को राज्जा में बढ़ रहे सर्पदंश के मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि सर्पदंश रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अस्पतालों में सर्पदंश से निपटने के लिए पर्याप्त दवा उपलब्ध हैं या नहीं। अदालत ने राज्य सरकार को 23 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। बाघों के संरक्षण पर हाईकोर्ट के निर्देशों का कितना हुआ पालन, जमा करें रिपोर्ट झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को राज्य में बाघों के संरक्षण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि इस मामले में 28 फरवरी 2017 को हाईकोर्ट की ओर से दिए गए निर्देशों का कितना पालन किया गया है। अदालत ने राज्य सरकार को 23 सितंबर तक शपथपत्र के माध्यम से अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने अदालत को बताया कि राज्य में बाघों के संरक्षण को लेकर इस जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने 28 फरवरी 2017 को निर्देश दिया था। अदालत के आदेश का पालन कर दिया जाए तो इस तरह के मामलों में जनहित याचिका दाखिल करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि उस आदेश का अनुपालन कराया जाए। इस पर अदालत ने राज्य सरकार को आदेश का अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने राज्य सरकार को 23 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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