रांची यूनिवर्सिटी समेत राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 का सिलेबस हड़बड़ी में लागू कर पढ़ाई शुरू की गई थी। इस कारण स्नातक के सिलेबस में पिछले तीन साल में तीन बार संशोधन करना पड़ा है। यानि स्नातक के तीन बैच के छात्र तीन तरह के सिलेबस से पढ़ाई कर रहे हैं। बार-बार संशोधन होने से शिक्षकों के लिए सिलेबस को समझना आसान नहीं है। शिक्षक जब तक पहले लागू सिलेबस को समझते हैं, तब तक संशोधन हो जाता है। संशोधन के बाद स्नातक में पढ़ाए जाने वाले पेपर की संख्या भी बढ़ी है। साथ ही परीक्षा के पूर्णांक (फूल मार्क्स) में बदलाव हुए हैं। एनईपी 2020 को रांची यूनिवर्सिटी समेत राज्य के विवि में लागू करने की हड़बड़ी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जहां पिछले तीन सालों में स्नातक के तीन बैच के छात्र तीन अलग-अलग सिलेबस से पढ़ रहे हैं। एनईपी-2020 का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाना था, लेकिन झारखंड में इसके कार्यान्वयन का तरीका उल्टा साबित हो रहा है। स्नातक के तीन बैच तीन अलग-अलग पाठ्यक्रमों से गुजर रहे हैं। वर्ष 2022 में एडमिशन लेने वाले छात्रों का सिलेबस अलग है। वहीं 2023 में एडमिशन लेने वाले छात्रों का भी अलग। जबकि 2024 में एडमिशन लेने वाले छात्रों का बिल्कुल ही अलग सिलेबस है। बार-बार संशोधन से एकेडमिक दबाव बढ़ा सिलेबस में बदलाव के साथ-साथ परीक्षा के पूर्णांकों में भी बार-बार संशोधन किया गया है। कभी पूर्णांक 100 होता है तो कभी 75 या 50। इस अनिश्चितता से छात्र और शिक्षक दोनों ही परेशान हैं। उन्हें यह नहीं पता चल पाता कि कौन-सा विषय कितने नंबर का होगा। सिलेबस लागू करने को लेकर वर्षवार अहम फैसले 1. वर्ष 2022 : यूजीसी ने सिलेबस का ड्राफ्ट जारी कर स्टेक होल्डर से सुझाव मांगा था। यह सिलेबस का फाइनल प्रारुप नहीं था। लेकिन आरयू समेत अन्य विवि में इसी ड्राफ्ट के आधार पर सिलेबस लागू कर दिया। तब मेजर पेपर के साथ दो ट्रेडिशनल माइनर पेपर पढ़ना था। शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित : सबसे ज्यादा परेशानी शिक्षकों को हो रही है। एक शिक्षक के लिए एक ही समय में तीन अलग-अलग सिलेबस के आधार पर पढ़ाना बेहद मुश्किल काम है। जैसे ही वे पहले लागू किए गए पाठ्यक्रम को समझकर उसके अनुसार तैयारी शुरू करते हैं, नया संशोधन सामने आ जाता है। इससे शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होती है। 3. वर्ष 2025 : स्नातक के सिलेबस में तीसरी बार संशोधन होने के बाद मेजर पेपर के साथ माइनर के दोनों वोकेशनल पेपर रखने का प्रावधान लागू हो गया। कई पेपर के पूर्णांक में भी बदलाव कर दिया गया। पेपर की संख्या भी पहले की अपेक्षा बढ़ गई है। 2. वर्ष 2022 : यूजीसी द्वारा सिलेबस का फाइनल प्रारुप जारी किया गया। इसके अधार पर सिलेबस संशोधित हुआ। चार-चार क्रेडिट का प्रत्येक पेपर हो गया। पहली बार जब लागू किया गया था तो छह-छह क्रेडिट का पेपर था। इसमें मेजर के साथ माइनर पेपर में एक ट्रेडिशनल व एक वोकेशनल पेपर रखना है।
अजीब सिलेबस…3 साल में 3 संशोधन, स्नातक का हर साल नया पाठ्यक्रम
