यूपी ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) के अधिकारियों ने बिल्डर्स और रियल एस्टेट कारोबारियों पर जमकर मेहरबानी दिखाई। प्राधिकरण को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया। GNIDA 21 सालों में केवल 52 फीसदी भूखंडों पर इंडस्ट्री डेवलप कर सकी। भूखंडों के आवंटन में धांधली के साथ ही बिल्डर्स पर बकाया करोड़ों रुपए की वसूली में भी हीलाहवाली की गई। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) ने 2005-06 से 2017-18 तक भूमि अधिग्रहण, औद्योगिक, बिल्डर्स, ग्रुप हाउसिंग, वाणिज्यिक, स्पोर्ट्स सिटी, संस्थागत एवं आईटी, फॉर्म हाउस और अन्य परिसंपत्तियों के आवंटन की ऑडिट की। CAG ने सपा की मुलायम सिंह यादव सरकार, बसपा की मायावती सरकार, सपा की अखिलेश यादव सरकार और भाजपा की योगी सरकार के कार्यकाल की ऑडिट रिपोर्ट में जीनीडा के अधिकारियों की कारगुजारियों की पोल खोल दी है। वित्त मंत्री ने पेश की कैग की रिपोर्ट
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 13 अगस्त को जीनीडा में भूमि अर्जन और परिसंपत्तियों के आवंटन की CAG रिपोर्ट पेश की। इसमें भूमि अर्जन, परिसंपत्तियों के मूल्य निर्धारण, परिसंपत्तियों के आवंटन बड़ी खामियां पाई गई हैं। जीनीडा बोर्ड, उसके प्रबंधन और अधिकारियों के स्तर पर विफलताएं सामने आई हैं। CAG ने माना है कि जीनीडा के अधिकारियों ने जनविश्वास का स्पष्ट उल्लंघन किया है। जीनीडा, आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के अंतिम क्रेताओं के हितों का भी पूरी तरह अनादर किया है। इसके अधिकारियों ने कम वसूली, आवंटियों को अनुचित फायदा, अनियमित और अतिरिक्त व्यय से 13,362 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा भूमि प्रीमियम, पट्टा किराया, ब्याज में चूक पर अप्रैल- 2021 तक 19,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया। CAG ने पाया है कि औद्योगिक परियोजनाओं के मूल्यांकन के लिए जीनीडा ने निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं किया। 48 फीसदी परियोजनाएं अधूरी
कैग ने पाया कि जीनीडा की 48 फीसदी परियोजनाएं अधूरी रह गईं। जीनीडा औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करने में असफल रहा। जीनीडा ने औद्योगिक टाउनशिप विकसित करने की जगह ग्रेटर नोएडा आवासीय टाउनशिप विकसित करने पर ध्यान दिया। इसके बावजूद जीनीडा ग्राहकों का भरोसा कायम रखने में फेल हुआ। क्योंकि, बिल्डर्स और ग्रुप हाउसिंग की 14.52 प्रतिशत परियोजनाओं को ही पूरा किया गया। बिल्डर्स और अधिकारियों को बचाया
CAG ने पाया है कि जीनीडा ने तमाम घोटाले और विफलताओं के बावजूद न तो आरोपी बिल्डर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई की। न ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ ठोस एक्शन लिया। स्पोर्ट्स सिटी की खुली पोल CAG रिपोर्ट में ग्रेटर नोएडा स्थित स्पोर्ट्स सिटी में भी गंभीर अनियमितता की पोल खुली है। जीनीडा ने पहली स्पोर्ट्स सिटी योजना मार्च 2011 में शुरू कर भूखंड आवंटित कर दिए लेकिन इसके लिए राज्य सरकार और एनसीआरपीबी से अनुमति नहीं ली। इतना ही नहीं स्पोर्ट्स सिटी विकसित करने के लिए पर्याप्त तकनीकी अर्हता और मानदंड भी पूरे नहीं किए। खेलों से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कोई विशिष्टता निर्धारित नहीं की। इतना ही नहीं स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की जगह वहां ग्रुप हाउसिंग पर फोकस किया गया। किसानों के अधिकारों को किनारे किया
CAG ने पाया है कि भूमि के अर्जन के लिए अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में उपयोग होने वाले प्रावधानों का दुरुपयोग कर किसानों के अधिकारों को दरकिनार किया गया। जीनीडा की कार्य पद्धति पर प्रश्नचिह्न लगा
CAG ने रिपोर्ट में साफ किया है कि जीनीडा की आंतरिक नियंत्रण प्रणाली कमजोर है। उत्तर प्रदेश सरकार और जीनीडा अपनी भूमिका निभाने में विफल रहे हैं। जीनीडा की गतिविधियों पर विधायी पर्यवेक्षण को बाधित करते हुए जीनीडा का वार्षिक प्रतिवेदन तैयार नहीं किया गया। इसे राज्य विधानमंडल के समक्ष भी नहीं रखा गया। राज्य सरकार वह मसौदा तैयार करने में विफल रही जिसमें प्राधिकरण के लेखों को सुरक्षित रखा जाना था। ——————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में CAG रिपोर्ट में बड़े खुलासे, कचरा निपटान से लेकर सड़क निर्माण तक में गड़बड़ियां, सरकार को करोड़ों की चपत लगी यूपी में शासन से लेकर जिला स्तर तक विभागों ने ठोस कचरा प्रबंधन से लेकर सड़कों के निर्माण तक में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं और नियम-कायदों के अनदेखी की है। बजट पास होने के बाद भी उसे जारी करने में देरी से सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगी। आम जनता को स्वच्छ भारत मिशन का पूरा फायदा नहीं मिला। पढ़ें पूरी खबर
नोएडा में बिल्डर्स को अफसरों ने पहुंचाया अरबों का फायदा:GNIDA ने सरकार को लगाई चपत, CAG रिपोर्ट में खुलासे के बाद खलबली
