मकान मालिक का लड़का साहिल और उसके दोस्त मुझे रास्ते में आते-जाते छेड़ते थे, परेशान करते थे। भाई ने विरोध किया तो उन लोगों ने उसे 3-4 बार मारा। 6 अगस्त को पुलिस उन लोगों के कहने पर मेरे भाई को पकड़ कर ले गई। उसके चेहरे से खून निकल रहा था। इसके बाद उसने फंदा लगाकर जान दे दी। वह मेरे सम्मान की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपनी जान दे बैठा। वह बहादुर था। ये कहना है प्रयागराज के कृपाल (बदला हुआ नाम) की बहन रोजा (बदला हुआ नाम) का। 6 अगस्त को कृपाल ने घर में फंदा लगाकर जान दे दी। जान देने से पहले वो कहता रहा- मां मैं कायर नहीं हूं। बस हालात ऐसे हैं। मेरे भाई ने बेइज्जती होने पर सुसाइड कर लिया। लड़के कब से परेशान कर रहे थे? पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही थी? ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कृपाल के घर पहुंची। परिजनों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मकान मालिक के लड़के ने मेरे बेटे की जान ली
टीम ने सबसे पहले कृपाल की मां से बात की। उन्होंने कहा- 20 साल पहले मेरे पति मध्य प्रदेश छोड़कर हम लोगों को लेकर प्रयागराज आए थे। 9 साल पहले पति घर छोड़कर चले गए। मैं अपनी बेटी और बेटे को मजदूरी कर पाल रही थी। घरों में चौका बर्तन और खेतों में मजदूरी करती हूं। मगर मकान मालिक के लड़के ने मेरे बेटे की जान ले ली। उसे मरने पर मजबूर कर दिया। वह मेरी बेटी को छेड़ता था। मेरे बेटे ने विरोध किया तो अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसे पीटा। पुलिस के पास गए तो पुलिस ने मदद नहीं की। थाने से भगा दिया गया। पुलिस ने कोई मदद नहीं की। वह हमेशा हम लोगों को ही धमकाती रही। जबकि मकान मालिक का लड़का थाने में रौब से घूमता था। पुलिस वालों के साथ चाय पीता था। 3 साल से मुझे परेशान कर रहा था
रोजा कहती हैं- तीन साल पहले मैं अपनी मां भाई के साथ खुल्दाबाद के काला डंडा मोहल्ले में रहती थी। मकान मालिक चाची का लड़का साहिल मुझे परेशान करने लगा। वह रोज घर के अंदर और बाहर छेड़ता। कुछ दिन तक मैंने ये बात छिपाकर रखी। मगर एक दिन मैंने मां को सब बता दिया। फिर मेरी मां ने मकान मालकिन चाची से शिकायत की। मगर मकान मालिक ने अपने बेटे को समझाने के बजाए हम लोगों को ही धमकी दे डाली। कहा- अगर किसी को बताया तो मकान से निकाल कर बाहर कर देंगे। फिर मैं करेली के एक डेंटल क्लिनिक में काम करने लगी। सोचा था कि दिन भर घर से बाहर रहूंगी तो मकान मालिक का लड़का पीछा छोड़ देगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। साहिल मुझे और परेशान करने लगा। क्लीनिक जाते समय छेड़ा, भाई ने विरोध किया तो पीटा
छह महीने पहले मैं क्लिनिक जा रही थी, तभी रास्ते में आरोपी साहिल मुझे परेशान करने लगा। यह सब करते हुए मेरे भाई ने देख लिया। उसने घर आकर मकान मालिक के लड़के साहिल से शिकायत की। मगर आरोपी मेरे भाई से लड़ने लगा। उसने फोन कर अपने साथियों को बुला लिया। फिर मेरे भाई को पीटा। पुलिस के पास शिकायत करने पहुंचे। मगर पुलिस ने उन लोगों की ही सुनी। हम लोगों पर दबाव बनाकर समझौता करा दिया। मेरा भाई कोर्ट के जरिए उनपर पर कार्रवाई चाहता था। वह एक वकील से मिला। यह बात साहिल को पता चल गई। वह धमकी देने लगा कि अगर कोर्ट के आदेश पर केस हुआ तो भुगतोगे। मगर मेरे भाई ने इनकार कर दिया, कहा- कार्रवाई तो करेंगे। इससे गुस्साए साहिल ने मेरे भाई को पीटा। पुलिस भी उसके आगे नतमस्तक थी। वह साहिल के खिलाफ कुछ भी नहीं करती थी। बल्कि उसी की मदद करती रही। मोहल्ला छोड़ा, मगर पीछा नहीं छूटा
मजबूर होकर 3 महीने पहले मोहल्ला छोड़ दिया। दूसरी जगह पर किराए पर कमरा लिया। 6 अगस्त को मेरा भाई काम पर गया था। मगर साहिल और उसके साथी मेरे भाई को खोजते हुए मोहल्ले में आए थे। शाम को मेरा भाई घर नहीं आया। रात करीब 8 बजे खुल्दाबाद पुलिस का फोन मां के पास आया। मां भाग कर थाने गई। पुलिस वालों ने मेरे भाई को जीप में बैठा रखा था। उसके चेहरे, हाथ से खून निकल रहा था। पुलिस वाले उसे लेकर अन्दर गए। मां के सामने उसे सिपाही ने डंडे से मारा। मां ने पुलिस वालों के हाथ-पैर पकड़ कर भाई को छुड़ाया। मां उसे घर लेकर आ गई। मेरी आंखों के सामने तड़प-तड़प कर मर गया मेरा भाई
घर में वह कमरे में पड़े बेड पर बैठा। फिर मुझे और मां को बाहर कर दिया। फिर मेरे भाई ने कमरे में पंखे से फांसी का फंदा लगा लिया। हम लोग बाहर खिड़की से देखते रहे और उसे रोकते रहे। मगर वह नहीं माना। वह सिर्फ एक ही बात कहता रहा कि मैं कायर नहीं हूं। जब तक पड़ोसियों से मदद लेकर दरवाजा तोड़ कर अन्दर दाखिल हुए, मेरा भाई मर चुका था। अब समझिए पुलिस क्यों मेहरबान
साहिल सोनकर के खिलाफ रोजा ने अक्टूबर 2023 में पहली बार शिकायत की थी। तब पुलिस ने उसे जेल भेजा था। मगर 4 माह बाद वह जेल से छूटकर बाहर आ गया। इसके बाद वह पीड़िता को और अधिक परेशान करने लगा था। इसी दौरान साहिल और उसके दोस्तों ने पुलिस की मुखबिरी शुरू कर दी। इससे आरोपियों का थाना में अपना दबदबा हो गया। बताया जाता है, जो भी उनके खिलाफ शिकायत करने जाता, पुलिस पीड़ितों को उल्टा धमका कर भगा देती थी। वह भी पुलिस के संरक्षण में बेखौफ घूम रहे थे। डीसीपी सिटी अभिषेक भारती ने बताया- परिवार ने युवक के फांसी लगाने की जानकारी दी थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर केस दर्ज कर कार्रवाई करेंगे। पीड़ित परिवार पुलिस कमिश्नर से मिला था। एसीपी स्तर के अधिकारी से जांच करा कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। …………………. ये खबर भी पढ़िए- अखिलेश ने खून से लथपथ पति-पत्नी, बेटी को अस्पताल भिजवाया, इटावा जा रहे थे, एक्सीडेंट देखकर काफिला रुकवाया इटावा में अखिलेश यादव ने सड़क पर खून से लथपथ पति-पत्नी और बेटी को देखकर अपनी 50-60 गाड़ियों का काफिला रुकवा दिया। कार से उतरकर उनके पास पहुंचे। उनकी हालत देखी, फिर अपनी फ्लीट में मौजूद एम्बुलेंस से तीनों को सैफई मेडिकल कॉलेज भिजवाया। यहां पढ़ें पूरी खबर
‘भाई मेरे सम्मान के लिए लड़ते-लड़ते मर गया’:प्रयागराज में बहन बोली-जो मुझे छेड़ता था, उसी ने अरेस्ट कराया; बेइज्जती में सुसाइड किया
