झारखंड आंदोलन के प्रखर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। बोकारो के सेक्टर-1 स्थित उनके आवास पर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है। उनके करीबी और परिजन गमगीन हैं। शिबू सोरेन पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। साल 1981 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई। उनका जीवन संघर्ष, त्याग और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए समर्पित रहा।
1988 से शिबू सोरेन इस आवास में रहते थे शिबू सोरेन के करीबी और बोकारो आवास के केयरटेकर चंद्रशेखर उरांव उर्फ बम ने अपने सीने पर तीर-धनुष का बनवाया टैटू बनवाया है। टैटू में उन्होंने शिबू सोरेन का नाम भी लिखवाया है। 1988 से शिबू सोरेन इस आवास में रहते थे। बाद में वो रांची के आवास में रहने लगे। चंद्रशेखर उरांव ने बताया कि गुरुजी के साथ हमने आंदोलन के दिन गुजारे हैं। मैं उस वक्त अखबार बांटता था, तभी से मैं गुरुजी के साथ हूं। मैंने अपने सीने पर तीर-धनुष का टैटू बनवाया है, जो आंदोलन की याद दिलाता है। उन्होंने बताया कि गुरुजी के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन उन्हें बम जी कहते थे। वहीं, शिबू शरण इन्हें प्यार से हनुमान, रक्षा और बम जी बोलते थे। आंदोलन में चंद्रशेखर शिबू सोरेन के साथ ही रहा करते थे l गुरुजी हमेशा कहते थे कि पढ़ाई सबसे जरूरी है: भतीजी वहीं, शिबू सोरेन की भतीजी आशा सोरेन इसी बोकारो स्थित आवास में रहती हैं। उन्होंने बताया कि बचपन में ही गुरुजी मुझे पढ़ाई के लिए बोकारो लेकर आए थे । वे हमेशा कहते थे कि पढ़ाई सबसे जरूरी है। उन्हें दूध-रोटी बहुत पसंद थी। मुझे बेटे जैसा मानते थे: अनुज उरांव इधर, गुरुजी के साथ वर्षों तक रहे अनुज उरांव ने बताया कि बचपन से ही मैं गुरुजी के साथ था। वे मुझे बेटे जैसा मानते थे। उनके बिना घर सूना लग रहा है। अनुज पिछले कई सालों से उनके आवास की देखभाल कर रहे हैं।
शिबू सोरेन के बोकारो आवास में पसरा सन्नाटा:साथ रहने वाले ने सीने पर तीर-धनुष का बनवाया टैटू, भतीजी ने कहा-उन्हें दूध-रोटी बहुत पसंद थी
