खराब पड़े वेंटिलेटर झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में मरीजों की आस टूटने लगी है। हर जगह से परेशान होकर लोग इलाज के लिए रिम्स पहुंचते हैं। लेकिन यहां वेंटिलेटर खराब होने का हवाला देकर उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया जाता है। यहां अभी 30 से ज्यादा वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। यही नहीं, ऑपरेशन भी लगातार टाले जा रहे हैं। न्यूरोसर्जरी और सीटीवीएस विभाग में वेंटिलेटर के आभाव में पिछले 10 दिनों में 15 से ज्यादा सर्जरी री-शेड्यूल की गई है। जबकि पीडियाट्रिक विभाग, मेडिसिन विभाग, कार्डियोलॉजी, सर्जरी समेत अन्य विभागों में भी मशीन खराब पड़ी है। सबसे गंभीर मरीजों का इलाज जिस क्रिटिकल केयर विभाग में होता है, वहां भी 10 वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। नतीजा यह है कि जिस मरीज की स्थिति बेहद नाजुक है और वेंटिलेटर की तत्काल जरूरत है, उन्हें समय पर मशीन नही मिल पा रहा। एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन शनिवार को रिम्स के क्रिटिकल केयर आईसीयू वेंटिलेटर सपोर्टेड बेड के लिए आए थे। लेकिन उन्हें बेड नही मिल सका। उन्हें बताया गया कि बेड तो है, लेकिन वेंटिलेटर नही है। इस कारण मरीज को भर्ती नही लिया जा सकेगा। परिजनों से इंतजार करने को कहा गया। मरीज की स्थिति गंभीर है। अगर रिम्स जैसे अस्पताल भी भर्ती नहीं लेंगे तो वे कहां जाएं। दर्जनों पत्राचार, पर अबतक वेंटिलेटर नहीं मिला डॉक्टरों ने दैनिक भास्कर को बताया कि वेंटिलेटर की कमी के बारे में प्रबंधन को कई बार पत्राचार किया गया। लेकिन न तो खराब वेंटिलेटर की मरम्मत हुई और न ही नए वेंटिलेटर की खरीद। सीटीवीएस विभाग में कोेविड के दौरान 10 वेंटिलेटर थे, जिनमें से 8 वेंटिलेटर दूसरे विभागों को दिए गए थे। कई बार प्रबंधन से मांग करने के बाद भी अबतक सीटीवीएस के वेंटिलेटर सीसीवीएस विभाग नही पहुंचे। नतीजन, विभाग में बचे 2 वेंटिलेटर में केवल 1 ही वेंटिलेटर फंक्शनल है। न्यूरोसर्जरी में दो-तीन दिन पहले 2 खराब वेंटिलेटर की मरम्मत हुई है। वहीं, पीडियाट्रिक आईसीयू व नियोनेटोलॉजी में भी 5 वेंटिलेटर की मरम्मत हो चुकी है। किस विभाग में हैं कितने वेंटिलेटर… इनमें कितने खराब विभाग वेंटिलेटर खराब न्यूरोसर्जरी 14 6 सीटीवीएस 2 1 क्रिटिकल केयर आईसीयू 45 10 पीडियाट्रिक आईसीयू 10 8 नियोनेटोलॉजी 5 2 मेडिसिन आईसीयू 10 4 आंकोलॉजी 2 2 (इन 7 विभागों की बात करें तो इनमें कुल 88 वेंटिलेटर हैं, इनमें 33 खराब पड़े हैं।) इधर, 44 घंटे में इमरजेंसी में 24 मरीजों की मौत {वेंटिलेटर की कमी से हालत यह है कि मरीज इंतजार करते हैं कि बेड खाली हो। सर्जरी के बाद तत्काल वेंटिलेटर की जरूरत, इसलिए टल रही सर्जरी वेंटिलेटर खरीद की प्रक्रिया जारी है। चूंकि सरकारी प्रक्रिया में थोड़ा समय लगता है और कुछ कमियां रह जाने पर उसे दोबारा से शुरू करना होता है। जल्दी ही नई वेंटिलेटर विभिन्न विभागों को मांग अनुसार उपलब्ध कराया जाएगा। जहां तक खराब वेंटिलेटर की मरम्मत की बात है तो वह भी प्रक्रिया में है। कुछ विभागों के वेंटिलेटर की कुछ दिन पहले मरम्मत की गई थी। -डॉ. राजीव रंजन, जनसंपर्क अधिकारी, रिम्स रिम्स के इमरजेंसी में पिछले 44 घंटों में 24 रोगियों की मौत हो चुकी है। इनमें आधा दर्जन से ज्यादा की बीमारी रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम, निमोनिया, सेप्टिक शॉक बताया गया है। जबकि कुछ सीकेडी, कुछ कार्डियक फेलियर, आरटीए शामिल है। 44 घंटें में जिनकी जान गई, उनमें सूरज कुमार, मो. गुलाम रसूल, चंपू गोप, जवाहर महतो, अरविंद कुमार, निसार हुसैन, रौशन कुमार सिंह, जुली हैंब्रम, देवकी देवी, शिल्पी देवी, शिला देवी, निर्मल चंद मुंडा, अमीना खातून, शिशिर कुमार उरांव, संबारी सारोन, बैजनाथ शर्मा, सोमा उरांव, राजेश दास, मो. फारुख, लखिमणि देवी, साकिब अहमद, कला देवी, बेर्नादेत सोरेंग और सुकरा उरांव शामिल हैं। वेंटिलेटर के आभाव में लगातार विभिन्न विभागों में सर्जरियां टल रही है। मरीज को सर्जरी की नई तारीख दी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि ब्रेन व लंग्स की सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति काफी नाजुक होती है। ऐसे में उन्हें सर्जरी के तुरंत बाद वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। चूंकि वेंटिलेटर की संख्या सीमित है और उनमें भी अधिकांश खराब है, इसलिए मरीज की सर्जरी री-शेड्यूल करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नही रह जाता है। क्रिटिकल केयर यूनिट में भी 10 वेंटिलेटर हैं खराब
रिम्स में 30 वेंटिलेटर खराब, 10 दिन में 15 ऑपरेशन टले, लौटाए जा रहे मरीज
