दादा-दादी, यानी हमारे जीवन के सबसे क्यूट और कूल लोग। ये वो हैं जिनके पास कहानियों का खजाना होता है, पॉकेट में टॉफियों का भंडार और चेहरे पर कभी न खत्म होने वाली मुस्कान। ग्रैंड पेरेंट्स डे उन्हीं सुपरहीरोज के लिए है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि भले ही हम बड़े हो जाएं, लेकिन उनके साथ की गई शरारतें और मस्ती कभी पुरानी नहीं होती। दादा के साथ तो पोते-पोतियों की टोली ऐसी जमती है, जैसे क्रिकेट मैच में सचिन और सहवाग की जोड़ी। कभी दादा की छड़ी को घोड़ा बनाकर रेस लगाना, तो कभी उनके चश्मे को पहनकर हीरो बनना! ये सब मस्ती और धमाल ही तो है जो हमें उनके और करीब लाता है। तो चलिए, इस ग्रैंड पेरेंट्स डे पर उन्हें एक बड़ा-सा जादू की झप्पी देते हैं और उनके साथ मिलकर खूब मजे करते हैं, क्योंकि वो हैं तो हमारी दुनिया पूरी है। उनसे ही हमारी खुशी है। पोते-पोतियों से जिदंगी हो गई खुशनुमा मेरे तीन पोते-पोतियां हैं। बड़े बेटे के दो बच्चे वाणी और विपुल टोप्पो और छोटे बेटे की वर्णाली टोप्पो। साथ में भतीजी की बेटी रेहांसी भी है। चारों के साथ मेरी सुबह खुशनुमा हो जाती है। उनके साथ घूमता हूं, खेलता हूं और मस्ती करता हूं। अभी करम पर्व में हम अखरा गए। उन्हें करम कथा सुनाई। पोती के संग फिर जी लिया बचपन… प्रवीण राजगढ़िया (स्कूल ओनर) और अविका महादेव टोप्पो (वरिष्ठ साहित्यकार) और वाणी, विपुल व वर्णाली सच कहूं तो पोती अविका के कारण मेरा बचपन जैसे लौट आया है। साढ़े तीन साल की उम्र में ही वह इतनी समझदार और संवेदनशील है कि अब वह मेरी मम्मी-दादी से भी ज़्यादा मेरा ध्यान रखती है। ‘दादू, पानी लाऊं, दादू, दवा ले ली, चलिए दादू- एक्सरसाइज का टाइम हो गया है, अब कहानी सुनाइए न…’।? हर दिन उसके साथ कुछ नया होता है, और हर पल में एक नई ऊर्जा भर जाती है मुझमें।
ओ आई लव यू दादू… ये हैं हमारी खुशी
