इनसे मिलिए… ये हैं प्रयागराज की डॉ. रीना मिश्रा जो परिषदीय विद्यालय में टीचर हैं। इनका पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग है। इन्होंने अपने स्कूल में ही ‘संस्कृत की प्रयोगशाला’ तैयार कर दी है। कभी बच्चों की दोस्त बनकर तो कभी गुरु बनकर उन्हें संस्कृत का ज्ञान बांट रही हैं। सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि बच्चों को शुरू से ही आत्मरक्षा के गुर और आत्मनिर्भर बना रही हैं। इन्होंने खुद से एक 9 मीटर लंबी ‘बाल पोथी’ तैयार की है जिसमें वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण समेत संस्कृत की पूरी परिभाषा छिपी हुई है। इनके स्कूल के छात्र-छात्राएं आपस में ज्यादातर संस्कृत में ही बात करते हैं। दरअसल, आज (5 सितंबर) शिक्षक दिवस है। इस विशेष दिन डॉ. रीना मिश्रा को राज्य पुरस्कार दिया जा रहा है। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन्हें सम्मानित करेंगे। प्रयागराज की यह इकलौती शिक्षिका हैं जिन्हें मुख्यमंत्री इस राज्य पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। पूर्व BSA प्रवीण कुमार तिवारी और मौजूदा बीएसए देवव्रत सिंह भी डॉ. रीना मिश्रा की इस पहल की सराहना करते हैं। पहले जानिए, डॉ. रीना मिश्रा के बारे में
डॉ. रीना मिश्रा की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है। एमए, एमएड, डी.फिल व डॉक्टरेट इन्होंने यहीं से किया। वर्ष 1999 में विशिष्ट बीटीसी के तहत इनकी नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय चक सिकंदर, सैदाबाद में हो गई। इनके पति अशोक मिश्रा, AG आफिस में सीनियर ऑडिट आफिसर हैं। डॉ. रीना बताती हैं, जब वह स्कूल में पहुंची थीं तो वहां की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। यहां करीब 13 वर्ष प्रधानाध्यापिका रहते हुए उन्होंने विद्यालय को हरा भरा बनाया। बच्चों को स्कूल लाने में इन्होंने अहम योगदान निभाया। आज यह विद्यालय आदर्श विद्यालय के रूप में जाना जाता है। बच्चों को खेल-खेल में देती हैं संस्कृत का ज्ञान
डॉ. रीना का संस्कृत पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग ही है। उन्होंने करीब 3 महीने मेहनत कर 9 मीटर लंबी संस्कृत बाल पोथी बनाई। छात्र-छात्राओं को इस कंठस्थ कराया। इसमें रामायण, महाभारत, उपनिषद्, वेद, पुराण, संस्कृत के श्लोक आदि को समाहित किया। इतना ही नहीं, इन्होंने इस बाल पोथी के लिए QR कोड बनाया और इसी में पूरी बाल पोथी को समाहित किया। इसे छात्र-छात्राओं के पैरेंट्स के मोबाइल में भे सेंड किया ताकि घर पर भी बच्चे इसे पढें और समझें। ‘पर्जेंट मैम’ के बजाय बाेलते हैं संस्कृत के शब्द
टीचर डाॅ. रीना मिश्रा स्कूल के लगभग हर कार्य में बच्चों को संस्कृत से जोड़ने का प्रयास करती हैं। स्कूल में जब वह छात्र-छात्राओं की हाजिरी लगाती हैं तो भी संस्कृत शब्द का इस्तेमाल करना होता है। हर छात्र को संस्कृत का नया शब्द देती हैं और जब हाजिरी के दौरान उस छात्र का नाम लेती हैं, तो पर्जेंट मैम के बजाय उसी संस्कृत शब्द को बोलकर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है। जैसे, हिमांशु को अटेंडेंस के लिए सोपानमंडलम्, दीपक को रामेश्वरनामके, सोनू को नृपति जैसे शब्द से अपने अटेंडेंस बाेलने पड़ते हैं। जब इस शब्द को छात्र पूरी तरह से रट लेता है उसे नया शब्द देती हैं। ‘सांप-सीढ़ी’ व ‘शब्दों का गुल्लक’ पढ़ाई में मददगार
उन्होंने बच्चों को रोचक अंदाज में पढ़ाने का तरीका खोजा है। लूडो के सांप सीढ़ी जैसा फार्मेट तैयार किया है। इसमें भी संस्कृत के शब्दों को लिखा हुआ है। इसी तरह ‘शब्दों का गुल्लक’ बनाया, जिसे बच्चों को होमवर्क के रूप में दिया। इसमें बच्चों से कहा, कि इस गुल्लक में ज्यादा से ज्यादा संस्कृत के शब्द लिखकर भरना होगा। जिनके शब्द ज्यादा होंगे पुरस्कार भी देती हैं। संस्कृत किट भी बनाया है जो बच्चों को भाता है। ब्यूटी पार्लर व सिलाई कढ़ाई में बना रहीं दक्ष
स्कूल में छात्राओं को आत्मनिर्भर व आत्मरक्षा के गुर भी सीखा रही हैं। ब्यूटी पार्लर व सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देती हैं। इन्हें आर्ट एंड क्राफ्ट भी बनाना सीखाती हैं। बच्चाें के साथ कभी कबड्डी और कभी बैडमिंटन खेलती हैं। यही कारण है यह बच्चे खेल में सबसे आगे रहते हैं। जो भी पढ़ाती हैं उसे वॉट्सऐप ग्रुप में भेजती हैं इन्होंने 2 वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाए हैं, पहला ‘मिशन आइडियल’ और ‘फ्लावर सनसाइन’। जो प्रतिदिन यह पढ़ाती हैं उसे इन वॉट्सऐप ग्रुप में सेंड करती हैं। इस ग्रुप में इन बच्चों के पैरेंट्स जुड़े हैं। इसका उद्देश्य यह है कि यदि कोई छात्र जिस दिन स्कूल में अनुपस्थित रहता है उसे किसी साथी से कापी आदि मांगने की जरूरत नहीं होती है वह सीधे वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए जान सकता है कि आज मैडम ने क्या पढ़ाया। शत प्रतिशत अटेंडेंस पर घर पर देती हैं पार्टी
बच्चे स्कूल प्रतिदिन आएं, इसी उद्देश्य से उन्होंने नया तरीका अपनाया। बच्चों के बीच नया नियम बना दिया, यदि जिन बच्चों की उपस्थिति शत प्रतिशत रही उन्हें अपने कार में बैठाकर घूमाएंगी और अपने घर पर पार्टी भी देंगी। महीने के अंतिम दिनों में ऐसे बच्चों को चिह्नित कर प्रयागराज स्थित अपने आवास पर ले जाती हैं और उन्हें खाने आदि की बेहतरीन पार्टी भी देती हैं। यही कारण है बच्चों की सबसे प्रिय हैं ये मैडम। फिजा और कुल्सुम भी बोलती हैं फर्राटेदार संस्कृत डॉ. रीना की क्लॉस में सिर्फ हिंदू परिवारों के छात्र-छात्राएं नहीं बल्कि मुस्लिम बच्चें भी पढ़ते हैं। वह भी मैडम की संस्कृत पढ़ती हैं, तभी तो क्लास की फिजा, जन्नत बानों, मुस्तफ, कुल्सुम बानों फरार्टेदार संस्कृत में बात करती हैं। स्कूल में यह सभी बच्चे आपस में ज्यादातर संस्कृत में ही बातचीत करते हैं।
टीचर्स डे स्पेशल…डॉ. रीना चलाती हैं ‘संस्कृत की प्रयोगशाला’:बनाई 9 मीटर लंबी ‘बाल पोथी’, जिसमें छिपी वेद-पुराण व उपनिषद की परिभाषा
