स्कूली जीवन में गरीबी को बहुत करीब से देखा, समझा और सहा। किसी तरह कॉलेज पहुंचा तो अर्थशास्त्र के हरित क्रांति चैप्टर ने मुझे खुद से प्रयोगत करने का रास्ता दिखाया। मेरे पास 8 से 10 एकड़ भूमि है। जिसमें धान और गेहूं की खेती करता हूं। वर्ष 1989 में सिंचाई के लिए मैंने कम लागत का टावर सिस्टम लिफ्ट इरीगेशन स्कीम का एक मॉडल का आविष्कार किया। जिससे कम शक्ति के डीजल / केरोसिन पंपसेट से खेत में दूर तक पानी सुगमता से पहुंचाने क्षमता थी। इस कार्य के लिए तत्कालीन कमिश्नर, प्रमंडल हजारीबाग ने छह उपभोक्ताओं की सहमति से मेरे आविष्कृत मॉडल को मीनू लोचर योजना नाम देकर छोटानागपुर के लिए सरकारी योजना लागू किया । सिस्टम का लाभ पूरे छोटानागपुर के किसानों ने लिया इससे सिंचाई की सुविधा बढ़ी। इस योजना का लाभ पूरे छोटानागपुर में किसानों ने लिया। टावर सिस्टम लिफ्ट इरीगेशन, उदवह सिंचाई योजना मीनू लोचर योजना के नाम से मशहूर हुआ। इस से हटकर मैंने एक और सफल प्रयोग किया जिसमें मुझे काफी सफलता मिली। पिछले सात वर्षों से धान की सीधी बुआई शुरू की। इस तकनीक को अपनाने से धान का उत्पादन खर्च 40% कम लगता है। किसान को मेघ की तरफ पानी के लिए टकटकी लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। मेरे साथ मेरे गांव के किसानों की आर्थिक उन्नति हुई। खेती की उन्नत प्रणाली से दलहन, तिलहन इत्यादि की उपज में आमूल चूल परिवर्तन आया। मीनू महतो जित चुके 5 लाख का प्रथम पुरस्कार 15 नवंबर 2008 को राज्य सरकार द्वारा आयोजित झारखंड के उत्कृष्ट किसान की प्रतियोगिता में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त कर 5 लाख रुपए का पुरस्कार जीता। मूल्य निर्धारण आयोग, दिल्ली में भाग लेने दो बार राज्य सरकार ने मीनू महतो को प्रतिनिधि बना कर भेजा। 1994 में तत्कालीन उपायुक्त हजारीबाग से आग्रह करके अपने गांव से सटे वन भूमि पर मालदा आम के तीन सौ पौधे लगवाए। ग्रामीणों को प्रेरित कर पौधों की सुरक्षा, सिंचाई और आवश्यक प्रबंधन किया। ये पेड़ 20 वर्षों से फल दे रहे हैं। प्रत्येक वर्ष आम फलते हैं और बिक्री से सामूहिक विकास कार्य में पैसे खर्च किए जाते हैं। इस वर्ष आम की बिक्री से 190820 रुपए नकद प्राप्त हुए। मेरे खेती-किसानी के प्रयोग से क्षेत्र के बड़ी संख्या में किसान मुझसे सलाह लेते हैं। उन्हें फसल उत्पादन बढ़ाने के टिप्स में बराबर देता रहता हूं। जानिए… कौन हैं मीनू महतो मीनू महतो हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड अंतर्गत लोचर गांव के एक सफल किसान हैं। 1978 में इन्होंने ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन के बाद से ही इन्होंने खेती की नई तकनीक सीखी और एक सफल किसान बन गए। मीनू लोचर उदवह सिंचाई योजना इनका अविष्कार है, जो काफी प्रसिद्ध हुआ। सरकार से सराहना मिली और हर जगह इस योजना को लागू किया गया। आज ये एक नवाचारी किसान के रूप में जाने जाते हैं।
खुद डेवलप किया लिफ्ट इरीगेशन सिस्टम; कर रहे बंपर खेती:हजारीबाग के किसान मीनू महतो का पंप सेट बना वरदान, खेत के कोने-कोने तक पहुंचाया पानी
