केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। समय कम है, इसलिए राजनीतिक दलों ने अपने ‘सियासी मैदान और चुनावी हथियार’ तैयार करने शुरू कर दिए हैं। बड़ी बात है कि इन मैदानों के केंद्र में पहली बार ‘हिंदू’ ज्यादा नजर आ रहे हैं। केरल में वामदल सीपीआई (एम) की सरकार है, जिसे नास्तिक भी माना जाता है। लेकिन, यही दल इस बार भगवान अय्यपा का ‘आह्वान’ करने जा रही है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 20 सितंबर से सबरीमाला की तलहटी में बसे पंपा में तीन दिवसीय ग्लोबल अयप्पा संगमम का आयोजन किया है। इसमें केरल के सभी पंथों के हिंदू संतों, उच्च ब्राह्मणों समेत सभी जाति वर्गों को आमंत्रित किया जा रहा है। भगवान अयप्पा के नाम पर इतना बड़ा आयोजन इसलिए भी चौंका रहा है, क्योंकि निचली जाति के हिंदू और ओबीसी वोट हमेशा से सीपीआईएम को समर्थन देते हैं, लेकिन इस बार वाम दल की कोशिश उच्च जाति के हिंदुओं को साथ लाने की है। राजनीतिक विश्लेषक इसे 2018 के सबरीमाला संकट के बाद वामपंथी दल द्वारा खोए हुए हिंदू वोटों को वापस पाने की कोशिश मान रहे हैं। विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने सीएम विजयन पर तंज कसा है कि कम्युनिस्टों में भगवान अयप्पा के लिए प्यार कब से जाग गया। राज्य के हिंदू संगठन भी आयोजन के विरोध में उतर आए हैं। विहिप के प्रदेश अध्यक्ष विजी थम्पी ने इस आयोजन को असंवैधानिक बता दिया। भगवान अयप्पा चुनाव में बहुत अहम भगवान अयप्पा का न केवल केरल के वोटर्स पर, बल्कि अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में भी काफी प्रभाव है और सबरीमाला इन्हीं देवता का एकांतवास है। हर साल देश भर के लाखों हिंदू यहां दर्शन को पहुंचते हैं। इसलिए भगवान अयप्पा चुनाव में बहुत अहम हो गए हैं। हालांकि इस सीपीआईएम की इस कोशिश से केरल में मुख्य विपक्षी कांग्रेस नाराज हो गई है। सीपीआईएम के लिए जोखिमभरा कदम साबित हो सकता है केरल के मंदिर मामलों के विशेषज्ञ टीएस श्यामकुमार का कहना है कि पहली बार सीपीआईएम ‘सुधारवादियों’ को उकसाए बिना अयप्पा के भक्तों का विश्वास दोबारा जीतना चाहती है। वो अपने अल्पसंख्यक अनुयायियों के समर्थन को खोए बिना अयप्पा पूजा से जुड़ने का प्रयास कर रही है। यानी इस आयोजन के पीछे की मंशा सार्वजनिक है। ऐसे में राज्य की एलडीएफ सरकार के लिए यह जोखिमभरा राजनीतिक कदम भी हो सकता है। वो सबकुछ जो आपके लिए जानना जरूरी है 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए आयु प्रतिबंध हटा दिया था तो राज्य की एलडीएफ सरकार ने इसे लागू किया। इसका व्यापक विरोध हुआ। हिंसक आंदोलन हुए। इसका राजनीतिक असर हुआ। 2019 के लोकसभा चुनावों में एलडीएफ 20 में से एक सीट जीत सकी। 2024 में भी एक सीट ही जीत पाई। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने 18 सीटें जीती। एक भाजपा को मिली। केरल की आबादी में 55% हिंदू, 27% मुस्लिम और 18% ईसाई हैं। हिंदू बहुसंख्यक हैं, लेकिन वे विभाजित हैं। निचली जाति के हिंदू और ओबीसी पारंपरिक रूप से सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का समर्थन करते हैं, जबकि उच्च जाति के नायर और कुछ एझावा तेजी से भाजपा समर्थित हो चुके हैं। मुस्लिम और ईसाई, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का समर्थन किया है, महत्वपूर्ण स्विंग ब्लॉक बने हुए हैं, जिसमें एलडीएफ ने हाल के वर्षों में सेंध लगाई है। केरल में एझावा और नायर हिंदुओं की संख्या कुल आबादी में 41% तक है। इनमें अधिकतर लोग नौकरीपेशा या सरकारी मुलाजिम हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ को 47% एझावा और 24% नायर वोट मिले थै। लेकिन, लोकसभा चुनाव में स्थिति एकदम बदल गई। पार्टी को इनके क्रमश: 22% और 7% के आसपास वोट मिले। वोट भाजपा और कांग्रेस में बंट गए थे। पिछले साल तमिलनाडु में डीएमके ने अंतरराष्ट्रीय मुरुगन भक्त सम्मेलन किया था। इस सम्मेलन का उद्देश्य भाजपा के हिंदू विरोधी आरोपों को धूमिल करना था और यह काफी हद तक सफल भी रहा। सीपीआईएम भी यही कदम उठा रही है। इसीलिए उसने सम्मेलन के उद्घाटन के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को आमंत्रित किया है। हालांकि स्टाालिन ने आने से मना कर दिया है। कार्यक्रम में वो अपने दो कैबिनेट मंत्री भेज रहे हैं। दोनों सबरीमाला से जुड़े हुए हैं। भगवान अय्यपा ‘मोहिनी’ के पुत्र सबरीमाला मंदिर केरल स्थित पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्वक्षेत्र में है। 12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यपा की पूजा होती है। मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार ‘मोहिनी’ के पुत्र हैं। इनके दर्शन के लिए हर साल यहां 4.5 से 5 करोड़ लोग आते हैं। इस मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा राज्य में मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के हाथ में है।
केरल- पहली बार सियासत के सेंटर पॉइंट बन रहे हिंदू:वाम सरकार करा रही अयप्पा सम्मेलन; 20 सितंबर से सबरीमाला मंदिर में आयोजन
