17 साल पहले बिछड़ी मां जब बेटी से मिली तो दोनों एक-दूसरे से लिपटकर रोने लगे। बेटा नम आंखों से अपनी बहन और मां को देखता रहा। बेटे ने कहा कि जब मां गई थीं, तब वह 6 साल का था। कई बार सोचा कि मां को ढूंढ कर लाऊंगा। लेकिन, लोग कहते पता नहीं वह जिंदा भी हैं या नहीं। ऐसे में हमने धीरे-धीरे तलाश बंद कर दी। सोचा नहीं था इतने सालों बाद मां मिल जाएगी। अचानक 3 अगस्त को मां के भरतपुर में होने का कॉल आया तो गुरुवार को दौड़कर यहां पहुंचे। दरअसल, उत्तर प्रदेश में झांसी के चितगुआं की रजनी उर्फ रानी झा 2008 में अपने घर से निकल गई थीं। इसके बाद परिजनों ने उन्हें बहुत ढूंढा। लेकिन, उनका कोई पता नहीं चला। ठीक 17 साल बाद किसी परिचित ने परिजन को कॉल कर बताया कि वह भरतपुर में हैं। एक बार आकर पहचान कर लीजिए। बेटा बोला- मैं 6 साल का था, जब मां घर से गईं
बेटे रोहित झा ने बताया- मां 17 साल पहले घर से निकल गई थीं। जब मां घर से गईं, तब मेरी उम्र 6 साल थी। मेरी बहन सीतु पांच और शिवानी तीन साल की थी। मेरे पिता अखिलेश झा झांसी में ड्राइवर का काम करते हैं। मां के जाने के बाद पिता ने उन्हें ढूंढा। पुलिस में FIR भी करवाई। लेकिन, कई सालों तक उनका कुछ पता नहीं चल पाया था। बड़ा हुआ तो मैंने भी ऑटो चलाना शुरू कर दिया। दोस्तों के बीच जब भी मां का जिक्र होता तो मुझे लगता मां को ढूंढना चाहिए। बेटे ने बताया- परिजन और आस-पड़ोस के लोग कहते थे कि क्या पता वह जिंदा भी हैं या नहीं। आश्रम में पहचान करने बुलाया तो वह मां ही थीं
बेटे रोहित झा ने बताया- धीरे-धीरे आस छोड़ दी। इसके बाद 3 अगस्त को भरतपुर के ‘अपना घर’ आश्रम से कॉल आया कि आपकी मां रानी झा यहां हैं। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। अब एक बार आप आकर देख लें कि क्या यही रानी झा हैं। इसके बाद मैं, बहन सीतु और जीजा विकास यहां आए। देखा तो मां ही थीं। मेरी बहन मां को देख रोने लगीं। उनसे लिपट गईं। दोनों को देख मेरी आंखों में भी आंसू आ गए। मां को बचपन की तस्वीर दिखाई
रोहित ने बताया- हम अपने बचपन की फोटो भी साथ लेकर आए थे। मां के सामने आते ही बहन ने उन्हें यह तस्वीर दिखाई, जिसमें हम तीनों भाई-बहन एक साथ बैठे थे। उसे देख बहन कहती रही कि देखो मां ये मैं हूं। ये भाई रोहित और ये सबसे छोटी शिवानी। वीडियो कॉल पर कराई थी बात
अपना घर आश्रम के सचिव बसंत लाल गुप्ता ने बताया कि भरतपुर के बझेरा स्थित अपना घर आश्रम में रानी को 16 जून 2018 को लाया गया था। तब वह मानसिक रूप से बीमार थीं। इससे पहले वह बीकानेर नारी निकेतन में रह रही थीं। बीकानेर नारी निकेतन में उन्हें साल 2012 में लाया गया था। अपना घर आश्रम में लाने के बाद उनका इलाज किया गया। धीरे-धीरे वह ठीक होने लगीं। 3 अगस्त को हमने उनके घर पर संपर्क किया। हमारी बात रानी के देवर मुकेश से हुई। तब हमने मुकेश को रानी के बारे में बताया। मुकेश ने रानी के बेटे रोहित को उनके बारे में बताया। इसके बाद रानी की वीडियो कॉल से उनके परिजनों से बात करवाई गई। तब वह गुरुवार को रानी को लेने के लिए अपना घर आश्रम पहुंचे।
17-साल बाद मिली बिछड़ी मां, गले से लिपटकर रोई बेटी:बेटा बोला- कई बार सोचा ढूंढ कर लाऊंगा, लोग कहते थे जिंदा भी हैं या नहीं
