मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट के 3000 करोड़ के ऑर्डर होल्ड:एक्सपोर्टर बोले- ये आर्थिक कोरोना जैसी स्थिति, अस्तित्व पर संकट

मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट के 3000 करोड़ के ऑर्डर होल्ड:एक्सपोर्टर बोले- ये आर्थिक कोरोना जैसी स्थिति, अस्तित्व पर संकट

‘USA के शॉपिंग स्टोर में हैंडीक्राफ्ट सैंपल रखने के लिए एक सेल्फ होती है। कस्टमर आता है और पसंद करता है। जब हमारा माल ही USA नहीं पहुंचेगा, तो सेल्फ खाली हो जाएगी। ऐसे में स्टोर वाले उस सेल्फ में हमारी जगह दूसरा प्रोडक्ट रख देंगे। जब हमारा प्रोडक्ट ही डिस्प्ले नहीं होगा, तो कस्टमर कैसे खरीदेगा? एक तरह से ट्रंप टैरिफ से हमारे कारोबार के अस्तित्व पर ही संकट है।’ यह दर्द है मुरादाबाद के प्रमुख एक्सपोर्टर हाजी इफ्तिखार अली का। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ लगाने से यूपी के मुरादाबाद में मेटल-वुडन हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री पर संकट खड़ा हो गया है। एक अनुमान के अनुसार, अभी तक करीब 3 हजार करोड़ रुपए के ऑर्डर होल्ड या कैंसिल हो चुके हैं। कई छोटी इंडस्ट्रीज बंद होने के कगार पर हैं। ट्रंप टैरिफ के इस इंडस्ट्री पर पड़े असर को जानने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर मुरादाबाद पहुंचा। यहां के प्रमुख एक्सपोर्टरों से बातचीत करके इसका असर समझा। मजदूरों पर क्या बीत रही, ये भी उनसे समझा। इस संकट से उबरने का क्या उपाय हो सकता है, इस पर भी चर्चा की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले इंडस्ट्री का इतिहास 1860 में पहली यूनिट लगी, आज एक हजार से ज्यादा कंपनियां
दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर बसे मुरादाबाद की एक्सपोर्ट इंडस्ट्री 165 साल पुरानी है। साल- 1860 में मोहम्मद यार खान ने यह कारोबार शुरू किया था। उन्हें 1875 में ब्रिटिश अंपायर एक्सपोर्ट एग्जिबिशन का सर्टिफिकेट दिया गया था। यार खान अफगानिस्तान से यहां आए थे। मुरादाबाद में उन्होंने ब्रास (पीतल) पर नक्काशी करके उसे एक्सपोर्ट करने की यूनिट लगाई थी। मौजूदा वक्त में मुरादाबाद में एक हजार से ज्यादा एक्सपोर्ट इंडस्ट्री हैं। इसमें आसपास के जिलों के करीब तीन लाख वर्कर काम करते हैं। इनके अलावा करीब सवा लाख मजदूर आर्टिजन और कारखानों में भी कार्यरत हैं। इस तरह पांच लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस इंडस्ट्री से जुड़े हैं। मुरादाबाद से हर साल करीब 10-12 हजार करोड़ रुपए का हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट किया जाता है। एक डेटा के अनुसार, तकरीबन 75% माल USA और बाकी 25% माल यूरोपियन सहित दुनिया के अन्य खाड़ी देशों को सप्लाई होता है। अब एक्सपोर्टर की बात ‘चाइना हम पर भारी, सिर्फ हैंडीक्राफ्ट की वजह से बचे हैं’
विजन एक्सपोर्टर कंपनी के चेयरमैन हाजी इफ्तिखार अली कहते हैं- USA ने पहले 25 परसेंट ​​​​​और अब 50 परसेंट टैरिफ लगा दिया है। इसके नुकसान इतने हैं कि फैक्ट्री चलाना या माल एक्सपोर्ट करना मुमकिन नहीं है। इससे हमारा प्रोडक्ट ही बिकना बंद हो जाएगा। हम वहां पहले से ही चाइना के कंपटीशन में माल बेच रहे हैं। चाइना का प्रोडक्ट हमारे मुकाबले सस्ता है। हम यूएसए के मार्केट में थोड़ा-बहुत इसलिए बचे हैं, क्योंकि भारत में हैंडीक्राफ्ट वर्क होता है। हमारे यहां हर प्रोडक्ट में लेबर इन्वॉल्व होती है। इस वजह से हम पहले से ही ‘सफर’ कर रहे थे। अब इतना ज्यादा टैरिफ लगने के बाद मुमकिन नहीं कि निर्यात किया जा सके। मुरादाबाद इंडस्ट्री का अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। यूं कहें कि वो सबसे बड़ा खरीदार भी है। हमारा प्रोडक्ट अगर यूएसए को एक्सपोर्ट होना बंद हो जाए, तो हम इसकी पूर्ति दूसरे देश से नहीं कर सकते। उसकी वजह यही है कि हमारे माल की एक तिहाई सप्लाई यूएसए को होती है। ‘अगले साल की प्लानिंग नहीं हुई’
एक्सपोर्टर इफ्तिखार अली ने बताया- हम माल एक्सपोर्ट करने के लिए एक साल पहले प्लानिंग करते हैं। 2026 की प्लानिंग अभी से करनी होगी। सैंपल डेवलप करने होते हैं। फिर उनका अप्रूवल लेना होता है। इसके बाद डिजाइन बनते हैं। मीटिंग में प्राइस तय होता है। तब जाकर अगले साल के ऑर्डर की प्लानिंग बन पाती है। ट्रंप टैरिफ लगने के बद 2026 की प्लानिंग अभी तक नहीं हो सकी है। जब प्लानिंग, सैंपलिंग या प्रोग्रामिंग नहीं होगी, तो अगले साल हमारा काम और खत्म हो जाएगा। सरकार कुछ न कुछ रिलीफ जरूर दे, ताकि एक्सपोर्ट कारोबार खड़ा रह सके। ‘पूरी इंडस्ट्री कोरोना नामक आर्थिक बीमारी से जूझ रही’
एक्सपोर्ट कंपनी से जुड़े अभिषेक वर्मा बताते हैं- मुरादाबाद में करीब 12 हजार करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट कारोबार होता है। इसमें करीब 75 परसेंट यूएसए में किया जाता है, बाकी 25 परसेंट में अन्य खाड़ी देश हैं। यहां करीब 1200 से 1500 फैक्ट्रियां हैं। इसमें ढाई से तीन लाख लोग काम करते हैं। यूं कह सकते हैं कि उनकी जीविका इन्हीं फैक्ट्रियों से चलती है। टैरिफ बढ़ने से ऐसा लगता है कि करीब 60 परसेंट कारोबार भारत में आना बंद हो जाएगा। वो लोग सस्ते और चीप प्राइज पर माल लेना चाहते हैं। टैरिफ लगने से माल 50 परसेंट ज्यादा महंगा हो गया है। आज के वक्त में सारा माल होल्ड पड़ा है। जो कंटेनर यूएसए जा चुके हैं, उनका पता नहीं कि उस माल पर टैरिफ लगेगा या नहीं। कोई भी सही सूचना हाथ में नहीं है। मैं कहूंगा कि ये इंडस्ट्री आर्थिक कोरोना नाम की बीमारी से जूझ रही है। इंडस्ट्री पर संकट आया तो मजदूरों का क्या होगा?
एक्सपोर्ट कंपनी में काम करने वाले मजदूर आलम कहते हैं- 7 तारीख को हमारी तनख्वाह मिलती है। उसी दिन हम राशन, दूध से लेकर सभी पेमेंट चुकता कर देते हैं। इसके बाद पूरे महीने का सामान उधार ही आता है, जो अगले महीने की तनख्वाह पर निर्भर होता है। अगर हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री पर संकट आया, तो निश्चित रूप से इसका असर हम जैसे मजदूरों पर भी पड़ेगा। ऐसे में हमारा भविष्य क्या होगा, ये हमें नहीं पता। हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में ज्यादातर वो मजदूर काम करते हैं, जो सबसे निचले तबके के होते हैं। जो ज्यादा बोझ नहीं उठा पाते। बिल्कुल भी पढ़े-लिखे नहीं होते। वो सिर्फ हाथ के दस्तकार होते हैं और एक-दूसरे को देखकर ही ये काम सीख लेते हैं। अगर हम जैसे मजदूर हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री से अलग हुए तो हमें कौन काम पर लेगा? सरकार को चाहिए कि हमारी मदद करे। CM से बोले कारोबारी- समस्या का हल निकालें
इस आर्थिक संकट को लेकर पिछले दिनों हस्तशिल्प निर्यात संवर्द्धन परिषद (EPCH) के प्रतिनिधिमंडल ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया था कि यूएसए में 50 परसेंट टैरिफ लगने से हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ेंगे। अनुरोध किया कि यूपी सीएम इन समस्याओं को केंद्र सरकार तक पहुंचाएं और बीच का रास्ता निकालें। सीएम ने भरोसा दिया है कि इस बारे में एक मीटिंग बुलाकर चर्चा की जाएगी। ————————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में कोटे से सिर्फ 2 फीसदी कम बारिश, पश्चिम में पूर्वांचल से ज्यादा बरसे बादल यूपी में इस मानसून सीजन कोटे से सिर्फ 2 फीसदी कम बारिश हुई। 1 जून से लेकर 30 अगस्त तक 575 मिमी बारिश हुई, जबकि अनुमान 588.1 मिमी था। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार कोटे से अधिक बारिश होगी। अगर ऐसा हुआ तो 6 साल में यह पहली बार होगा, जब प्रदेश में औसत से ज्यादा बारिश होगी। मौसम विभाग का कहना है कि सितंबर में अच्छी बारिश की संभावना बनी हुई है। बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी भरी हवाओं के चलते मानसून सक्रिय होने की स्थिति है। अभी पूरे प्रदेश में मानसून की क्या स्थिति है? सितंबर में मानसून का यूपी में क्या हाल रहेगा? किन-किन जिलों में अब तक औसत से कम और अधिक बारिश हुई है? पढ़िए पूरी खबर…

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