उत्तराखंड में जोशीमठ के बाद अब चमोली जिले का नंदानगर घाट पूरी तरह जमींदोज होने की कगार पर है। पिछले हफ्ते हुई लगातार बारिश और भूस्खलन ने पूरे कस्बे की नींव हिला दी है। शुक्रवार देर रात हालात अचानक तेजी से बिगड़ने लगे हैं। देखते ही देखते 8 मकान ढह गए। प्रशासन ने खतरा देखते हुए 34 परिवारों से घर खाली करवा दिए हैं। बाजार की 40 से दुकानों के भी ढहने का सीधा खतरा है। इसलिए इन व्यापारियों ने भी अपनी दुकानें खाली कर दी हैं। कुछ ऐसा ही हाल जोशीमठ के घरों का भी था। जोशीमठ जनवरी 2023 में सुर्खियों में आया, जब अचानक लैंड स्लाइड की खबरें आने लगीं और 800 से ज्यादा घरों में मोटी-मोटी दरारें आ गईं। जोशीमठ से भी प्रशासन ने करीब 181 इमारतों को खाली करा दिया था। दरारों वाले 678 घरों को लाल निशान लगाकर रहने के लिए खतरनाक बताया था। नंदानगर में घरों-जमीन में आई दरारों की तस्वीरें… लोगों का डर- बारिश हुई तो चट्टान कस्बे पर गिरेगी नंदानगर व्यापार मंडल अध्यक्ष नंदन सिंह बिष्ट कहते हैं- सबसे बड़ा डर उस विशाल चट्टान का है, जो बाजार के ठीक ऊपर से खिसक रही है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि अगर यह अगले कुछ दिनों में टूटी तो करीब 150 दुकानें मलबे में तब्दील हो जाएंगी। अगले 5 दिन रेड अलर्ट के हैं और चट्टान खिसकती दिख रही है। मिट्टी कमजोर, इसलिए जोशीमठ सेंसिटिव एरिया 1976 में उत्तराखंड के गढ़वाल कमिश्नर एमसी मिश्रा की कमेटी ने जोशीमठ को लेकर बड़ी चेतावनी दी थी। कमेटी ने जोशीमठ पर की गई स्टडी के बाद खुलासा किया कि ये इलाका हाई रिस्क जोन-5 में आता है। ये इलाका पहाड़ों से नीचे आए 10 किमी लंबे मलबे के ढेर (मोरेन) पर बसा हुआ है, जिसकी मिट्टी बहुत कमजोर है। हर मलबे की लोड बियरिंग कैपेसिटी यानी भार सहन करने की क्षमता होती है। ऐसे में यहां कोई भी बड़ा निर्माण खतरनाक साबित हो सकता है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने 2 साल पहले केंद्र को जांच रिपोर्ट सौंपी। इसमें बताया कि जोशीमठ में खराब वाटर ड्रेनेज सिस्टम, ढलानों पर निर्माण और कई नगर बसाने से जमीन खोखली होती जा रही है। जोशीमठ में जमीन धंसने और मकानों में दरारें पड़ने के पीछे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और इलाके में हो रहे हैवी कंस्ट्रक्शन को जिम्मेदार बताया गया। ये वही मुद्दे थे, जिन्हें 49 साल पहले मिश्रा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उठाया था, लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया। ———————————— ये खबर भी पढ़ें… जोशीमठ के दरारों वाले खिसकते घरों में क्यों लौटे लोग: बोले- पैसे खत्म, मुआवजे से नया घर लेना मुश्किल उत्तराखंड के जोशीमठ में रहने वाली उमा देवी को दो साल पहले अपना घर छोड़ना पड़ा था। हालांकि अब वो लौट आई हैं। उमा जोशीमठ में रहने वाले उन 1400 लोगों में से हैं, जिनके घरों में 2-3 जनवरी, 2023 को दरारें आ गई थीं। इन सभी को सरकार ने सुरक्षित जगहों पर बसाने का वादा किया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। उमा की तरह ही उम्मीद छोड़ चुके करीब 100 परिवार उन्हीं दरारों वाले घरों में लौट आए हैं, जहां हर वक्त मौत का खतरा है। जमीन धंसने की घबराहट है। पढ़ें पूरी खबर…
जोशीमठ के बाद चमोली का नंदानगर जमीन में समाने लगा:34 परिवारों ने घर छोड़ा, बाजार खाली; जोशीमठ में भी 2 साल से भू-धंसाव हुआ था
