शहीद रामबाबू की अंतिम इच्छा हुई पूरी:धनबाद में पत्नी ने बच्ची को दिया जन्म, नाम रखा राम्या; कहा- पति बेटी ही चाहते थे

शहीद रामबाबू की अंतिम इच्छा हुई पूरी:धनबाद में पत्नी ने बच्ची को दिया जन्म, नाम रखा राम्या; कहा- पति बेटी ही चाहते थे

जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शहीद हुए रामबाबू कुमार सिंह की पत्नी अंजलि ने धनबाद में 21 अगस्त को बेटी को जन्म दिया। परिवार ने नवजात का नाम राम्या रखा है। यह नाम शहीद रामबाबू के नाम से प्रेरित है। अंजलि धनबाद के डिगवाडीह की रहने वाली हैं। रामबाबू हमेशा से एक बेटी चाहते थे। उनका मानना था कि बेटी घर की रौनक बढ़ाती है। पत्नी अंजलि के अनुसार, उनकी यह इच्छा पूरी हुई, लेकिन वे अपनी बेटी को देख नहीं सके।
NCC कैंप से शादी तक का सफर अंजलि और रामबाबू की पहली मुलाकात 2017 में धनबाद के NCC कैंप में हुई थी। पहले दोस्ती, फिर धीरे-धीरे यह रिश्ता प्यार में बदला। 2018 में रामबाबू की आर्मी में नौकरी लग गई, जिससे रिश्ते की डोर और मजबूत हो गई। परिवार की रजामंदी से 14 दिसंबर 2024 को शादी हुई। शादी के बाद दोनों ने अपने आने वाले जीवन के लिए ढेरों सपने बुने थे। घर, परिवार और बच्चों की हंसी-खुशी से भरा भविष्य। लेकिन किस्मत ने इन सपनों को पूरा होने से पहले ही तोड़ दिया। शादी के मात्र पांच महीने बाद 14 मई 2025 को रामबाबू ने देश की रक्षा करते हुए शहादत दी। बेटी के जन्म से परिवार में नई उम्मीद जगी अंजलि एथलेटिक्स में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी बेटी को उसी जज्बे और हौसले के साथ पालेंगी, जैसा उनके पति चाहते थे। उनके लिए राम्या केवल बेटी नहीं, बल्कि शहीद की यादगार और अमानत है। शहीद रामबाबू की शहादत ने पूरे क्षेत्र को शोकाकुल कर दिया था। अब बेटी के जन्म से परिवार में नई उम्मीद जगी है। परिवार और समाज को गर्व है कि रामबाबू ने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। ऑपरेशन सिंदूर में मिली शहादत बिहार के सीवान जिले के सिलपुर गांव के रहने वाले रामबाबू सिंह जम्मू के सतवारी एयर बेस पर S-400 डिफेंस सिस्टम में तैनात थे। 12 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। उनकी अगली पोस्टिंग उदयपुर में होने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही घर पर तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर पहुंचा। अपने काम के प्रति समर्पित रामबाबू का सपना था कि देश की सेवा करते हुए कभी पीछे न हटें और उन्होंने उस सपने को अपनी जान देकर पूरा किया।

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