‘जन्माष्टमी का दिन था। उस दिन मेरी मां को अचानक हार्टअटैक पड़ा था। उनका LARI कार्डियोलॉजी में इलाज चल रहा था। 3 स्टेंट पड़े और कंडीशन नाजुक बनी थी। इस बीच अचानक से रात पौने 12 बजे के करीब मुझे जानकारी मिलती है कि एक 3 साल का बच्चा बेहद क्रिटिकल कंडीशन में ट्रॉमा सेंटर लाया गया है। नुकीली लोहे की ग्रिल उसके सिर के आरपार हो चुकी है। कंधे को भी छेद दिया है। उसे तुरंत अटेंड करना है। जानकारी मिलते ही मैंने अपने बड़े भाई से मां का ख्याल रखने को कहा और तुरंत ट्रॉमा सेंटर पहुंचा। टीम के साथ बच्चे की सफल सर्जरी की।’ ये कहना है लखनऊ में 3 साल के बच्चे के सिर और कंधे के आरपार हुई ग्रिल की सर्जरी करने वाले KGMU के न्यूरो सर्जन डॉ. अंकुर बजाज का। उन्होंने बताया कि अब तक के अपने करियर में उन्होंने न तो इतना चैलेंजिंग केस देखा था और न ही सुना था। दैनिक भास्कर से बातचीत में डॉ. अंकुर बजाज ने इस 3 साल के बच्चे की जटिल सर्जरी के दौरान आई चुनौतियों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आधी रात में वेल्डर ढूंढ़कर लोहे की छड़ों को कटवाना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा। हालांकि, वेल्डर ने मानवता दिखाते हुए रुपए नहीं लिए। जिस सर्जरी का कॉर्पोरेट हॉस्पिटल ने 15 लाख रुपए खर्च बताया था, वो 25 हजार रुपए ही सफलता पूर्वक की गई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 20 फीट की ऊंचाई से गिरा बच्चा डॉ. अंकुर ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर पहुंचने पर पता चला कि 3 साल का बच्चा 20 फीट की ऊंचाई से छत से नीचे रेलिंग पर गिर गया। उसके सिर और कंधे में लोहे की ग्रिल आर-पार हो गई। सुनकर ही मैं बेहद शॉक में था, पर जब मैंने बच्चे को देखा, तो मैं दंग रह गया। बच्चा करीब 6 बजे गिरा था। रात 12 बजे के करीब उसे बेहद गंभीर और बेहोशी के हालत में परिजन KGMU लाए थे। बच्चे की क्रिटिकल कंडीशन को देखते हुए तत्काल उसके वाइटल्स को चेक कराया। पेरेंट्स को उसकी कंडीशन के बारे में अवगत कराया। बिना देर किए हमने इलाज का रोड मैप बनाकर सर्जरी की प्लानिंग शुरू कर दी। ‘जैसे भीष्म पितामह अर्जुन के बाण से लेटे थे’ डॉ. अंकुर ने बताया कि देखने में बच्चे की कंडीशन कुछ ऐसी थी जैसा हमने महाभारत सीरियल में भीष्म पितामह को अर्जुन के बाण पर लेटे देखा था। ऐसे कठिन हालात में उसकी सर्जरी बेहद चैलेंजिंग थी। सबसे पहले हमने ग्रिल को काटने के लिए वेल्डर को बुलाया। रात एक बजे किसी वेल्डर को ढूंढ़कर लाना भी बेहद मुश्किल था। कई लोगों की मदद के बाद हम वेल्डर लाने में कामयाब रहे। हालांकि, वेल्डर ने ग्रिल काटने के लिए कोई चार्ज नहीं लिया। उसने कहा कि ऐसे नेक काम के लिए मैं पैसे नहीं लूंगा। बस बच्चे की जान बच जाए। जब ग्रिल को काटा जाने लगा तब मुझे ये महसूस हुआ कि बस कुछ ही ग्रिल काटकर छोटी की जा सकेंगी। बाकी शरीर के नजदीक होने के कारण वेल्डिंग की चिंगारी से जलने का डर था। इन चुनौतियों के बीच हुई सर्जरी डॉ. अंकुर के ने बताया कि बच्चे के सिर और कंधे में रेलिंग की लोहे की छड़ आरपार घुस गई थी। इस सर्जरी के दौरान कई गंभीर चुनौतियां थी। पहली- सिर में धंसी हुई ग्रिल को काटना। इसके लिए रात में ही विशेषज्ञों को बुलाया गया, लेकिन सिर के बेहद करीब होने के कारण प्रयास विफल रहा। ग्रिल के कारण सीटी स्कैन संभव नहीं था। ऑपरेशन टेबल पर बच्चे को लिटाना भी खुद में चुनौती थी। क्योंकि छड़ सिर के आरपार घुसी हुई थी। ऐसे कठिन हालात में 4 घंटे जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों की टीम के साथ बच्चे को नया जीवन देने में कामयाब रहा। कॉर्पोरेट हॉस्पिटल ने 15 लाख बताया खर्चा, KGMU में 25 हजार में सर्जरी डॉ. अंकुर के मुताबिक, जिस सर्जरी के लिए प्राइवेट कॉर्पोरेट हॉस्पिटल ने 15 लाख का एस्टीमेट बनाया था। उसे महज 25 हजार में किया गया। फिलहाल मरीज पीडियाट्रिक ICU वॉर्ड के वेंटिलेटर सपोर्ट पर है। डॉ. संजीव वर्मा की निगरानी में उसका इलाज चल रहा। इनकी निगरानी में हुआ ऑपरेशन ऑपरेशन के दौरान न्यूरोसर्जरी के विभाग अध्यक्ष डॉ. बीके ओझा, डॉ. अंकुर बजाज, डॉ. सौरभ रैना, डॉ. जेसन और डॉ. बसु के अलावा एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. कुशवाहा, डॉ. मयंक सचान मौजूद रहे। ट्रॉमा सर्जरी विभाग की डॉ. अनीता ने सहयोग दिया। अब पढ़िए घटनाक्रम… सिर और कंधे के आरपार गई ग्रिल रजनीश गोमती नगर के विपुल खंड स्थित एक मकान के तीसरी मंजिल पर परिवार के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि, ‘मेरा 3 साल का बेटा कार्तिक छत पर खेलता था। जन्माष्टमी के दिन वह छत से नीचे गिर गया। दूसरी मंजिल पर AC का आउटडोर है। वह उससे टकराया, लेकिन रुका नहीं। सीधे नीचे दीवार पर गिरा। दीवार पर ग्रिल लगी थी। ग्रिल उसके सिर और कंधे के आरपार हो गई।’ भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के लिए केक मंगाया था रजनीश ने बताया, ‘जन्माष्टमी को लेकर बेटा बहुत खुश था। मेरे पास उसने फोन करके कहा कि पापा आज कान्हा का जन्मदिन है। मैं केक खाऊंगा और पिज्जा भी खाऊंगा। आपको दोनों ही चीज शाम को लेकर आना। मैंने केक ऑर्डर भी कर दिया था। केक पहुंचने से पहले ही घर से खबर आई कि बेटा छत से नीचे गिर गया है। तुरंत घर चले आओ। मैं घर पहुंचा, तो बेटे की स्थिति बहुत खराब थी।’ बिना देर किए नजदीक के प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर गए, जहां पर इमरजेंसी में उन्होंने शुरुआती ट्रीटमेंट दिया। बेटे की कंडीशन खराब और इलाज में ज्यादा खर्च आने की बात कहकर KGMU ट्रॉमा सेंटर के लिए रेफर कर दिया। KGMU के ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों ने सर्जरी की। बेटा वेंटिलेटर के सपोर्ट पर है। डॉक्टरों ने बताया है कि बच्चे की स्थिति में सुधार है, लेकिन अभी भी वेंटिलेटर सपोर्ट जारी है। —————— संबंधित खबर भी पढ़िए… छत से गिरे मासूम के आरपार हुई लोहे की छड़:KGMU के डॉक्टरों ने दिया नया जीवन, 4 घंटे चली जटिल सर्जरी KGMU के डॉक्टरों ने बेहद गंभीर रूप से घायल 3 साल के मासूम को नया जीवन दिया है। लखनऊ के गोमतीनगर निवासी कार्तिक जन्माष्टमी के दिन अचानक से छत से बाउंड्री वॉल की रेलिंग पर गिर गया। जिसके चलते नुकीली…पूरी खबर पढ़ें
3 साल के बच्चे के सिर-कंधे के आर-पार हुई ग्रिल:हार्टअटैक पीड़ित मां को छोड़कर पहुंचे डॉक्टर, लखनऊ में 25 हजार में 15 लाख की सर्जरी
