झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में जेल में बंद वरीय IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को ACB कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने BNSS की धारा 187(2) के तहत उन्हें डिफॉल्ट बेल दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बेल पर रहने के दौरान चौबे राज्य से बाहर जाने से पहले कोर्ट को सूचना देंगे। साथ ही ट्रायल की अवधि में वे अपना मोबाइल नंबर भी नहीं बदल सकते। जमानत की शर्त के तौर पर कोर्ट ने 25-25 हजार रुपए के दो निजी मुचलके भरने का आदेश भी दिया है। 90 दिन पूरे, चार्जशीट दाखिल नहीं शराब घोटाला मामले में एसीबी ने 90 दिनों की निर्धारित समय सीमा पूरी होने के बावजूद चार्जशीट दाखिल नहीं की। जांच एजेंसी का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति आदेश प्राप्त नहीं होने के कारण चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकी। कानूनन यदि निर्धारित अवधि में चार्जशीट दाखिल नहीं होती है तो आरोपी स्वतः डिफॉल्ट बेल के पात्र हो जाते है। इसी आधार पर कोर्ट ने विनय चौबे को राहत दी है। 20 मई को हुई थी गिरफ्तारी एसीबी टीम ने वरीय IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को 20 मई को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। गिरफ्तारी के बाद 18 अगस्त को उनके 91 दिन जेल में पूरे हो गए। जबकि कानूनी प्रावधानों के अनुसार, किसी भी मामले में आरोपी को जेल में रखते हुए जांच अधिकारी को 60 या 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है। शराब घोटाले में जांच पूरी करने की सीमा 90 दिन तय थी। समय सीमा बीत जाने के बाद चौबे को डिफॉल्ट बेल का हकदार माना गया। 77 करोड़ का घोटाला, 10 आरोपी जेल में राज्य में हुए 77 करोड़ रुपए से अधिक के इस बहुचर्चित शराब घोटाला मामले ने प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। एसीबी की जांच में अब तक कई अहम खुलासे हो चुके हैं। इस मामले में कुल 10 आरोपी फिलहाल जेल में बंद हैं। चार्जशीट दाखिल न होने से अब अन्य आरोपियों के भी डिफॉल्ट बेल पर बाहर आने का रास्ता खुल सकता है। मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट की भूमिका अहम मानी जा रही है। छत्तीसगढ़ ACB- EOW ने 7 सितंबर को FIR दर्ज की थी छत्तीसगढ़ में जिस पैटर्न पर आबकारी विभाग में बड़ा घोटाला हुआ उसी तर्ज पर झारखंड में शराब घोटाला हुआ। इस बात का खुलासा छत्तीसगढ़ ACB- EOW की ओर से 7 सितंबर को दर्ज की गई FIR से हुआ । छत्तीसगढ़ में दर्ज इस FIR में झारखंड के CM हेमंत सोरेन के सचिव रहे चुके IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। दोनों अफसरों पर रायपुर EOW ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में नया केस दर्ज किया था। वहीं छत्तीसगढ़ के लिकर सिंडिकेट से जुड़े सभी लोगों के नाम भी सामने आए हैं। पहले जानिए FIR में क्या है- आर्थिक अपराध अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से यह FIR दर्ज की गई थी। इसमें बताया गया है कि तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट झारखंड के अधिकारियों के साथ मिले। सभी ने मिलकर साजिश के तहत झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। इसके बाद राज्य में देशी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को दिलवाया। झारखंड में बिना हिसाब की डूप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की गई। साथ ही विदेशी शराब की सप्लाई का काम एफ.एल.10 ए लाइसेंस के रूप में नियम बनाकर अपने करीबी एजेंसियों को दिलाया। इसके बाद उन कंपनियों से करोड़ों रुपए का अवैध कमीशन लिया। इससे करोड़ों रुपयों की अवैध कमाई की गई।
शराब घोटाले में IAS विनय चौबे को मिली बेल:समय पर चार्जशीट फाइल नहीं होने का मिला फायदा; 20 मई को हुए थे अरेस्ट
