प्रदेश कांग्रेस ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को बर्खास्त करने की मांग की

देहरादून, 17 अगस्त । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में उत्तराखंड कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को राजभवन में राज्यपाल लेफ्टीनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) से मिला। इस दौरान कांग्रेस ने राज्यपाल से राज्य निर्वाचन आयुक्त को बर्खास्त करने और राज्य सरकार को कानून व्यवस्था पर निर्देशित करने की मांग की। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को राज्य में हाल ही में संपन्न हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में हुई धांधलियों व सरकारी संरक्षण में सत्ताधारी दल की ओर से की गई गुंडागर्दी की जानकारी दी।

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा में नेता विपक्ष यशपाल आर्य व विधायकों के खिलाफ की एफआईआर पंजीकृत होने और राज्य के अधिकारियों की ओर से असंवैधानिक कार्य करने के मामलों पर विस्तार से जानकारी दी। राज्यपाल से मिलने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने पत्रकारों को बताया कि प्रदेश में भाजपा सरकार का जंगलराज कायम है और जानबूझ कर पंचायत चुनाव समय पर ना करवा कर सात महीनों की देरी की गई। जिससे इनके वे लोग जो निकाय चुनावों में मतदाता थे ताकि वे ग्रामीण क्षेत्रों में भी चुनावों में प्रतिभाग कर सकें। उन्होंने आराेप लगाते हुए कहा कि सरकार ने जिला पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य के आरक्षण में नियमों की धज्जियां उड़ाकर नियम विरुद्ध कार्य किया गया। नैनीताल, बेतालघाट व रुद्रप्रयाग के उदाहरण देते हुए उन्हाेंने कहा कि प्रशासनिक तंत्र सारे तमाशे में मूकदर्शक बना रहा और अपराधी खुलेआम जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण करते रहे और बेतालघाट में दिनदहाड़े गोलियां चलाते रहे।

इस माैके पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए आरक्षण किया गया। विधायक क़ाज़ी निजामुद्दीन ने कहा कि राज्यपाल प्रदेश की सरकार और प्रदेश की संवैधानिक संस्थाओं का संरक्षक होते हैं। इसलिए आज जब वर्तमान हुकूमत संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है तो राज्यपाल को हस्तक्षेप करना चाहिए और सरकार को सख्त संदेश देना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत ने कहा कि शुरू से और चुनाव संपन्न होने तक राज्य निर्वाचन आयोग सरकार की कठपुतली बन कर काम करता रहा, जबकि वो एक स्वायत्तशासी संवैधानिक संस्था है और उसको निष्पक्षता के साथ अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी चाहिए। किंतु उसने ठीक इसके विपरीत पंचायती राज्य कानून की ही धज्जियां उड़ाते हुए एक्ट के खिलाफ आदेश जारी करते हुए दो जगह नाम वालों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी। जिसको उच्च न्यायालय नैनीताल ने स्टे कर दिया। बावजूद राज्य निर्वाचन आयोग ने उच्च न्यायालय के आदेशों का भी पालन नहीं किया।

प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत, पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह, उत्तराखंड कांग्रेस सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा, विधायक काज़ी निजामुद्दीन, विधायक ममता राकेश, विधायक विक्रम सिंह, विधायक फुरकान अहमद, विधायक रवि बहादुर, विधायक अनुपमा रावत, पूर्व विधायक राजकुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अभिषेक सिंह, ज्योति रौतेला, मदन लाल, सरदार अमरजीत सिंह, डॉ. जसविंदर सिंह गोगी शामिल रहे।

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