पूजा पाल को अखिलेश ने मुस्लिम वोटर्स के लिए निकाला?:फतेहपुर में मकबरा तोड़ने पर पप्पू चौहान को भी बाहर किया, सियासी नुकसान या फायदा?

पूजा पाल को अखिलेश ने मुस्लिम वोटर्स के लिए निकाला?:फतेहपुर में मकबरा तोड़ने पर पप्पू चौहान को भी बाहर किया, सियासी नुकसान या फायदा?

‘मैंने अपना पति खोया है। सब जानते हैं, मेरे पति की हत्या कैसे हुई और किसने की? मैं मुख्यमंत्री को धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने मुझे न्याय दिलाया। मेरी बात तब सुनी, जब किसी ने नहीं सुनी। मुख्यमंत्री ने प्रयागराज में मुझ जैसी कई महिलाओं को न्याय दिलाया और अपराधियों को दंड दिया। मुख्यमंत्री ने जीरो टॉलरेंस जैसी नीतियां लाकर अतीक अहमद जैसे अपराधियों को मिट्टी मिलाया है। मैं उनके इस जीरो टॉलरेंस का समर्थन करती हूं।’ ये बातें विधायक पूजा पाल ने 14 अगस्त को विधानसभा में कहीं। योगी की तारीफ करने के 8 घंटे बाद ही समाजवादी पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। उससे पहले 11 अगस्त को फतेहपुर में मकबरे में हंगामा हुआ। सपा नेता पप्पू चौहान पर भी FIR हुई। सपा ने अगले दिन पप्पू को पार्टी से निकाल दिया। पप्पू ने कहा- ‘सपा सिर्फ मुस्लिमों की पार्टी है।’ पिछले महीने एक मौलवी ने डिंपल यादव पर अभद्र कमेंट किया। सपा के साथ बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए, लेकिन अखिलेश यादव खामोश रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अखिलेश यादव मुस्लिम वोट बैंक को देखते हुए यह सब फैसला ले रहे हैं? संडे बिग स्टोरी में इसी मुद्दे पर जानिए सारे सवालों के जवाब… पूजा पाल को अतीक पर बोलते ही निकाला गया
पूजा पाल का राजनीतिक करियर उनके पति राजू पाल की हत्या के बाद शुरू हुआ। 16 जनवरी, 2005 को उनकी शादी हुई थी। राजू पाल उस वक्त बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। 25 जनवरी को राजू पाल की प्रयागराज शहर में हत्या कर दी गई। हत्या अतीक अहमद के इशारे पर उसके भाई अशरफ ने अपने साथियों के साथ मिलकर की थी। वजह- राजू पाल ने अशरफ को इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में हरा दिया था। राजू पाल की हत्या के बाद उस वक्त बसपा प्रमुख मायावती, पूजा से मिलीं। राजनीति में लेकर आईं और उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया। सपा ने अशरफ को फिर से टिकट दे दिया। अतीक उस वक्त फूलपुर का सांसद था, इलाके में दबदबा था। उसने अशरफ को चुनाव जितवाकर विधायक बना दिया। 2007 में फिर विधानसभा चुनाव हुआ। बसपा ने पूजा को ही टिकट दिया। इस बार पूजा ने अशरफ को हराया और विधानसभा पहुंचीं। डेढ़ साल पहले तक पूजा को राजनीति के बारे में कुछ नहीं पता था, वही पूजा विधानसभा में खड़ी होकर अपने पति के हत्यारों पर बोल रही थीं। 2012 में पूजा फिर से चुनाव जीत गईं। इस बार उन्होंने अतीक अहमद को हराया था। 2017 में पूजा पाल भाजपा प्रत्याशी सिद्धार्थनाथ सिंह से चुनाव हार गईं। चुनाव के कुछ दिन बाद बसपा ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की बात कहकर पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद पूजा ने सपा जॉइन कर ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन हुआ। सपा के हिस्से उन्नाव लोकसभा सीट आई। पूजा को प्रत्याशी बनाया। पूजा ने प्रचार शुरू किया, लेकिन आखिरी वक्त में टिकट वापस कर दिया। विधायक बनने के बाद सुर बदले
2022 में पूजा पाल को सपा ने कौशांबी जिले की चायल सीट से प्रत्याशी बना दिया। पूजा चुनाव जीत गईं। राजू पाल के गांव उमरपुर नीवां (प्रयागराज) में पूजा, प्राचीन शिव मंदिर को भव्य स्वरूप देना चाहती थीं। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और विशाल भंडारे की तारीख का ऐलान हुआ। लेकिन तभी शिलापट्ट के नाम पर और पुरानी मूर्तियों को हटाने को लेकर विवाद हो गया। धूमनगंज पुलिस ने कार्यक्रम रोक दिया। इस घटना के बाद पूजा पाल भाजपा नेताओं के संपर्क में आईं और फिर वही कार्यक्रम पूरा हुआ। सीएम योगी तो नहीं गए, लेकिन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जरूर पहुंचे। 15 अप्रैल, 2023 को अतीक अहमद और अशरफ की हत्या हो गई। पूजा पाल ने इस हत्याकांड को अपने पति के लिए न्याय माना। हालांकि, उस वक्त किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की। 2024 में राज्यसभा का चुनाव हुआ। तो पूजा पाल ने पहली बार अपनी पार्टी सपा से बगावत की। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को वोट कर दिया। सपा के 6 और भी विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था। सपा ने 7 बागी विधायकों में से 3 अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, मनोज कुमार पांडेय को पार्टी से निकाल दिया था। उस वक्त पूजा पाल के अलावा राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। अतीक के खिलाफ बोला… पार्टी ने एक्शन ले लिया
13 और 14 अगस्त को विधानसभा की कार्यवाही लगातार 36 घंटे तक चली। इसी में पूजा पाल को बोलने का मौका मिला। उन्होंने अपने पति राजू पाल की हत्या का मुद्दा उठाया। कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री सीएम योगी को धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने मुझे न्याय दिलवाया। मेरी बात तब सुनी जब किसी ने नहीं सुनी। मुख्यमंत्री ने प्रयागराज में मुझ जैसी कई महिलाओं को न्याय दिलाया और अपराधियों को दंड दिया। अतीक जैसे अपराधियों को मिट्टी में मिलाया है।’ पूजा के इस बयान के बाद सियासत तेज हो गई। 8 घंटे बाद ही सपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। पूजा पाल के निष्कासन को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी शुरू हुई। ज्यादातर लोगों ने टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया। क्योंकि इससे यह संदेश गया कि अखिलेश यादव अतीक के समर्थन में हैं, भाजपा पूजा पाल के साथ हैं। पप्पू चौहान को निकाला, मौलवी पर चुप्पी
11 अगस्त को फतेहपुर के आबूनगर में मकबरे को लेकर विवाद हुआ। हिंदू संगठनों की भीड़ मकबरे पर पहुंच गई और जमकर हंगामा किया। इस हंगामे में सपा नेता पप्पू चौहान भी शामिल रहे। पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया। अगले दिन सपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। निष्कासन के बाद पप्पू चौहान ने एक वीडियो जारी किया और कहा, ‘सपा में सिर्फ मुसलमानों की चलती है। इसलिए मैं खुद इस्तीफा दे रहा हूं। सपा की वजह से मेरी आस्था को ठेस पहुंची है। मैं अंतिम सांस तक सनातनी और हिंदू रहूंगा।’ पिछले महीने आल इंडिया इमाम एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने डिंपल यादव पर अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद न सिर्फ सपा, बल्कि भाजपा के नेताओं ने नाराजगी जताई थी। सपा के 2 कार्यकर्ताओं ने तो मौलाना साजिश रशीदी को नोएडा के एक टीवी स्टूडियो में थप्पड़ तक मार दिया था। लेकिन, मौलाना के बयान पर अखिलेश यादव ने आज तक कोई टिप्पणी नहीं की। पूजा पाल को निष्कासित करने की टाइमिंग गलत
यूपी के सीनियर पत्रकार राजकुमार सिंह से हमने इस पूरे मामले को लेकर बात की। वह कहते हैं- पूजा पाल का बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। सपा उन्हें पार्टी से निकालकर फंस गई। मैं तो हैरान हूं कि अखिलेश यादव जैसे नेता ने ऐसा फैसला लिया ही क्यों? राजनीति में आवेश नहीं चलता, धैर्य जरूरी होता है। पूजा ने जब राज्यसभा में भाजपा को वोट दिया तब सपा रुकी रही। पार्टियां अक्सर ठहरकर फैसला लेती है। लेकिन, जैसे ही उन्होंने विधानसभा में अतीक के खिलाफ बोला, सपा ने अगले दिन निकाल दिया। इससे यह संदेश गया कि सपा अतीक अहमद के करीब है। हमने सीनियर पत्रकार राजकुमार सिंह से पूछा कि क्या मुस्लिम वोट बैंक के लिए इस तरह से फैसला लिया गया? वह कहते हैं- अखिलेश यादव ही नहीं, बल्कि मुलायम सिंह के समय से ही यह रहा है कि जिस चीज से मुस्लिम वोट बैंक को नुकसान होगा, उसे पार्टी से दूर किया जाएगा। क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक इस वक्त पूरी तरह से सपा के साथ है। अखिलेश यादव नहीं चाहते कि इसमें किसी तरह से नाराजगी पैदा हो। हालांकि यह सही है कि बिना ओबीसी वर्ग को अपने साथ किए चुनाव में सफलता हासिल नहीं की जा सकती। अभी पूजा पाल को निकालने से ओबीसी वर्ग में नाराजगी है। पाल समाज के कई अन्य लोग भी इसी तरह की बात करते हैं, सभी पूजा पाल को निकालने के फैसले के खिलाफ हैं। क्या कोई अपनी पीड़ा बताएगा तो निकाल दिया जाएगा
हमने पूजा पाल को निकाले जाने को लेकर पाल समाज के कुछ लोगों से बात की। इन्हीं में एक संतोष पाल हैं, जो पूजा पाल की विधानसभा क्षेत्र से हैं। पाल समाज संगठन के लिए काम करते हैं। वह कहते हैं- पूजा पाल को जिस तरह से निकाला गया उससे हमारा पूरा पाल समाज नाराज है, हमारा तो बस एक सवाल है कि क्या कोई अपना पीड़ा बताएगा तो उसे पार्टी से निकाल देंगे। पूजा पाल ने अतीक-अशरफ के खिलाफ लड़ाई लड़ी, सबको पता है कि प्रयागराज और कौशांबी में अतीक का कितना आतंक था, पूजाजी ने सबको मुक्त करवाया। पूजा पाल को निकाले जाने के बाद सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने कहा था कि उनके निकाले जाने से पाल समाज में कोई नाराजगी नहीं है। इसे लेकर संतोष पाल कहते हैं, पाल समाज श्यामलाल जी की झोली में नहीं बैठा है, पाल समाज पूजा पाल को अपना नेता मानता है, पूरा समाज विधायक के साथ है। विधायक मैडम जो भी फैसला लेंगी हम सब वह मानेंगे। पाल समाज निर्णायक, कोई बड़ा नेता नहीं
यूपी में पाल समाज की कुल संख्या करीब 4.4% फीसदी है। मतलब करीब 1 करोड़ 10 लाख लोग। यह अति पिछड़ा वर्ग में शामिल हैं। इसमें शामिल लोग पाल, बघेल और धनगर टाइटल का प्रयोग करते हैं। यूपी में अलग-अलग क्षेत्रों में पाल समाज के अपने नेता हैं लेकिन चर्चा में कम रहते हैं। पूजा पाल पहली ऐसी नेता हैं जिनकी इस वक्त खूब चर्चा है। पाल समाज के लोग उन्हें लेकर एकजुट हैं। यूपी में मुस्लिम आबादी 20%, सपा के साथ 70 फीसदी यूपी में मुस्लिम आबादी 20 फीसदी है। यूपी में मुस्लिम समाज को सपा का कोर वोटर माना जाता है। सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के मुताबिक 2022 के चुनाव में 70% मुस्लिम वोटर्स ने सपा गठबंधन को वोट किया था। सीनियर जर्नलिस्ट राजकुमार कहते हैं, यूपी में मुस्लिम-यादव वोट सपा को ही जाता है इसलिए पार्टी इस वर्ग के खिलाफ किसी भी संभावित खतरे पर तुरंत एक्शन लेती है। पार्टी लाइन के खिलाफ कोई जाएगा, तो कार्रवाई होगी
हमने पूजा पाल के निष्कासन को लेकर सपा प्रवक्ता मनोज काका से बात की। वह कहते हैं, ‘पूजा पाल को लेकर हमारी पार्टी उनके साथ खड़ी थी। पार्टी अध्यक्ष ने तो उन्हें 2019 में उन्नाव लोकसभा सीट से चुनाव में टिकट भी दिया। उन्होंने शादी के मामले को लेकर टिकट वापस किया और कहा था कि इससे फंस जाएंगे। इसके बाद 2022 में टिकट दिया, लेकिन पिछले 2 साल से वह पार्टी की लाइन के विपरीत बयान दे रही थीं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास सूचनाएं आतीं, तो वह नजरअंदाज करते और कहते कि अरे छोड़ो। लेकिन, अब तो उन्होंने हद पार कर दी। सदन में उस व्यक्ति की तारीफ कर दी, जो संवैधानिक चीजों को मान ही नहीं रहे। हर दिन कानून व्यवस्था को तोड़ रहे हैं।’ मनोज काका कहते हैं- अतीक-अशरफ का पुलिस कस्टडी में मारा जाना पुलिस की नाकामी थी। अगर कोई इसका क्रेडिट सरकार को देता है, तो यह एकदम गलत है। देश में लोकतंत्र को बर्बाद करने में भाजपा सबसे आगे रही है। उपराष्ट्रपति धनखड़ के ही मामले को देख लीजिए। कैसे पार्टी ने उन्हें किनारे कर दिया। हमने पूछा कि क्या पूजा पाल को निष्कासित करने की टाइमिंग गलत है, क्योंकि पाल समाज में नाराजगी दिख रही? मनोज काका इसे दबे सुर में स्वीकार करते हैं, साथ ही समाज के हितों की बात भी करते हैं। ——————- ये खबर भी पढ़ें… योगी की तारीफ करने पर विधायक पूजा पाल बर्खास्त, विधानसभा में कहा- अतीक को मिट्‌टी में मिलाया सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने विधायक पूजा पाल को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। पूजा पाल ने गुरुवार को विधानसभा सत्र के दौरान सीएम योगी की तारीफ में कहा था- उन्होंने माफिया अतीक अहमद को मिट्‌टी में मिलाया। पूजा की इस स्पीच के करीब 8 घंटे बाद ही उनको पार्टी से निकालने का आदेश जारी किया गया। विधायक पूजा पाल, राजू पाल की पत्नी हैं। पढ़ें पूरी खबर

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