बलिया जिले में कुत्तों के बढ़ते आतंक से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। स्थानीय लोग इतनी भयभीत हैं कि उन्होंने होली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार को भी घर में कैद रहकर मनाने का निर्णय लिया है। लंबे समय से समस्या बनी हुई है कि लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कुत्तों के झुंड अक्सर सड़कों पर दिखते हैं, जो लोगों पर हमला करने के लिए तैयार रहते हैं। इस खौफनाक स्थिति ने शिक्षा और कृषि दोनों क्षेत्रों को प्रभावित किया है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और किसान खेतों में जाने से कतरा रहे हैं।
बीते तीन महीनों में, बलिया के विभिन्न गांवों में कुत्तों ने लगभग 3000 लोगों को अपना शिकार बनाया है, जिनमें 450 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। सोनबरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन 20 से 22 लोग रैबीज का इंजेक्शन लगवाने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में बहुआरा और श्रीपालपुर गांव शामिल हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन की सुविधाएं भी नाकाफी साबित हो रही हैं।
जब एक पत्रकारों की टीम बैरिया तहसील के बहुआरा गांव पहुंची, तो वहां का नजारा भयावह था। गांव में कदम रखते ही कुत्तों के एक झुंड ने हमला करने की कोशिश की। हालांकि, गांव के लोगों ने लाठियों का उपयोग करके कुत्तों को भगा दिया। वहां का सन्नाटा इस बात का संकेत है कि लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहते। हर 500 मीटर की दूरी पर कुत्तों के झुंड को देखना बहुत सामान्य सा हो गया है। एक ग्रामीण ने बताया कि इस कठिन परिस्थिति के चलते होली का त्योहार भी घर के अंदर मनाया गया।
बाहरी गांवों में भी कुत्तों के हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। श्रीपालपुर गांव में, हाल के दिनों में 100 से अधिक लोग कुत्तों से काटे जा चुके हैं। इनमें से कुछ लोग गंभीर जख्मों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। एक 60 वर्षीय बुजुर्ग का पैर बुरी तरह घायल हो गया। उनका कहना है कि वे अपने घर के बाहर खड़े थे, तभी कुत्तों ने उन पर हमला किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा है और जुनून की तरह कुत्तों के झुंड गांव में घुम रहे हैं।
गांव के अन्य निवासी भी इस स्थिति से चिंतित हैं और प्रशासन से बेहतर इलाज की मांग कर रहे हैं। वे बार-बार सोनबरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर रैबीज का इंजेक्शन लगवाने को मजबूर हैं। क्षेत्रीय चिकित्सक ने बताया कि पिछले तीन महीनों में 3010 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है, और इस समस्या का समाधान अभी भी अधूरा है। प्रशासन के इस मामले में लापरवाही के चलते गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है, जिससे सभी की सुरक्षा खतरे में है।
इसलिए, यह आवश्यक है कि स्थानीय अधिकारी इस गंभीर समस्या का समाधान करें, ताकि लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और सामान्य जीवन जीने की पहल कर सकें।