शहरी महिलाओं में शादी-बच्चों की देरी से कैंसर का खतरा, इनफर्टिलिटी चिंताजनक!

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आज के युवा वर्ग के लिए करियर सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गई है, जिसके चलते शादी और संतानों की योजना में देरी होती जा रही है। इस प्रवृत्ति के कई स्वास्थ्य संबंधी परिणाम भी सामने आ रहे हैं, जो खासकर महिलाओं के लिए चिंताजनक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि देर से शादी होने का सीधा जुड़ाव प्रजनन क्षमताओं में कमी और कई प्रकार के कैंसर, विशेषकर एंडोमीट्रियल कैंसर, की बढ़ती घटनाओं से है। यह जानकारी बर्धमान मेडिकल कॉलेज के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक बासु ने दी है। उनका यह भी कहना है कि शहरी क्षेत्रों में उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग की महिलाओं में इस प्रकार के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे सतर्कता की आवश्यकता बढ़ गई है।

डॉ. बासु ने हाल के वर्षों में एंडोमीट्रियल कैंसर के विभिन्न प्रकारों के उभरने की बात की है। उनके अनुसार, इसमें अलग तकनीकी उपचार की जरूरत होती है, जिससे प्रोफेशनल मेडिकल समुदाय को अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी गई है। ‘कैंपस@लखनऊ’ की 113वें एपिसोड में आगामी समस्याओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले 2-3 वर्षों में इस तरह की जानकारियां सामने आई हैं, जिससे इस कैंसर की पहचान और इलाज के तरीकों में काफी बदलाव लाने की आवश्यकता महसूस होती है।

लाइफ स्टाइल के बदलाव को लेकर डॉ. बासु ने अपनी चिंता जताई है। उनकी राय है कि आजकल की गतिहीन जीवन शैली, ओबेसिटी और अस्वास्थ्यकर आहार इस खतरे को और बढ़ा रहा है। Diabetes, उच्च रक्तचाप, और हाइपरटेंशन जैसे रोग इसके जोखिम कारक हैं। हालाँकि, कुछ मामलों में जेनेटिक कारण भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन उन पर ज्यादा नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। इसलिए, उन्होंने युवाओं को अपने लाइफ स्टाइल में सुधार लाने की सलाह दी है, ताकि स्वास्थ्य संबंधी इन समस्याओं से बचा जा सके।

अंत में, डॉ. बासु ने यह भी उल्लेख किया कि एंडोमीट्रियल कैंसर, सर्वाइकल कैंसर की तुलना में कहीं अधिक तेजी से फैलता है। इस समय इसके लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन शोध जारी है। यदि किसी महिला को इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श करना चाहिए। इस प्रकार की समस्याओं को नजरअंदाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है, और समय पर जांच और उपचार से इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि युवा महिलाएं अपनी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराएं ताकि रोग के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान की जा सके।

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