विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को ब्रिक्स समिट की इमरजेंसी वर्चुअल समिट में शामिल हुए। इस दौरान जयशंकर ने कहा- ट्रेड पॉलिसी निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी के फायदे वाली होनी चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि दिक्कतें खड़ी करने और लेन-देन को मुश्किल बनाने से कोई फायदा नहीं मिलेगा। व्यापार को हमेशा सुगम बनाना चाहिए। वर्चुअल समिट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डि सिल्वा भी शामिल हुए। पहले बैठक में पीएम मोदी शामिल होने की खबर भी थी। इस समिट का मकसद अमेरिका की टैरिफ नीतियों से पैदा हुई व्यापारिक चुनौतियों पर चर्चा करना था। अमेरिका ने भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 50% तक टैरिफ लगाया है। BRICS 11 प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है। ब्रिक्स समिट की 3 फोटो जिनपिंग बोले- ट्रम्प की चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट हों चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका की व्यापार चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होने पर जोर दिया। जिनपिंग ने कहा, कुछ देशों द्वारा शुरू किए गए व्यापार युद्ध और टैरिफ युद्ध विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं और नियमों को कमजोर करते हैं। एस जयशंकर की 4 बड़ी बातें… 2026 में BRICS की अध्यक्षता करेगा भारत भारत 2026 में BRICS समिट की अध्यक्षता करेगा और 18वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। यह जिम्मेदारी ब्राजील से भारत को 1 जनवरी, 2026 से मिलेगी। मोदी ने 2025 में रियो डी जनेरियो में हुए 17वें ब्रिक्स समिट में भारत की योजना को साझा किया। भारत का लक्ष्य ब्रिक्स को एक नए रूप में पेश करना है, जिसका फोकस होगा: 17वें BRICS समिट में शामिल होने मोदी ब्राजील गए थे 17वां BRICS समिट 6-7 जुलाई, 2025 को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हुआ। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा की अध्यक्षता में इस समिट का थीम था ‘ग्लोबल साउथ के लिए समावेशी और टिकाऊ सहयोग’। इसमें ब्रिक्स के सदस्य देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूएई) और साझेदार देशों के नेता शामिल हुए थे। मोदी इसमें भाग लेने के लिए ब्राजील गए थे। ये 12वां था जब मोदी BRICS समिट में भाग ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘ग्लोबल साउथ के देश अक्सर डबल स्टैंडर्ड का शिकार रहे हैं। चाहे विकास हो, संसाधनों की बात हो, या सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की, ग्लोबल साउथ को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई है। इनके बिना, वैश्विक संस्थाएं ऐसे मोबाइल की तरह हैं, जिसमें सिम कार्ड तो है लेकिन नेटवर्क नहीं है।’ BRICS क्या है? BRICS 11 प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है। इनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब और इंडोनेशिया शामिल हैं। इसका मकसद इन देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें शुरुआत में 4 देश थे, जिसे BRIC कहा जाता था। यह नाम 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने दिया था। तब उन्होंने कहा था कि ब्राजील, रूस, भारत और चीन आने वाले दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे। बाद में ये देश एक साथ आए और इस नाम को अपनाया। BRICS को बनाने की जरूरत और आगे का सफर सोवियत संघ के पतन के बाद और 2000 के शुरुआती सालों में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी देशों का दबदबा था। अमेरिका का डॉलर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) फैसले करती थीं। इस अमेरिकी दबदबे को कम करने के लिए रूस, भारत, चीन और ब्राजील BRIC के तौर पर साथ आए, जो बाद में BRICS हो गया। इन देशों का मकसद ग्लोबल साउथ यानी विकासशील और गरीब देशों की आवाज को मजबूती देना था। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… ट्रम्प टैरिफ से 0.50% कम हो सकती है GDP ग्रोथ:मुख्य आर्थिक सलाहकार बोले- अगर टैरिफ अगले साल तक खिंचता है, तो असर और बड़ा होगा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 50% टैरिफ से इस साल भारत की GDP ग्रोथ 0.50% तक कम हो सकती है। ये बात देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कही। पूरी खबर पढ़ें…
जयशंकर बोले- ट्रेड पॉलिसी निष्पक्ष और सबके फायदे वाली हो:ब्रिक्स समिट में ट्रम्प का नाम लिए बिना कहा- दिक्कतें खड़ी करने से फायदा नहीं
