औरंगाबाद में महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के तहत गुरुवार की शाम बौद्ध बिच्छुओं ने शहर में शांति मशाल यात्रा निकाला। यह मशाल यात्रा आल इंडिया बुद्धिष्ट फॉर्म औरंगाबाद के बैनर तले शहर के गांधी मैदान से रमेश चौक तक निकाला गया। इस मशाल यात्रा को भीम आर्मी, दिव्यांग संघ, अर्जक संघ, कबीर रैदास पथ, कर्पूरी विकास मंच, संत गोडसे संस्थान, सावित्रीबाई फुले संस्थान, सम्राट अशोक बौद्ध बिहार समिति का भी समर्थन मिला। मशाल यात्रा का नेतृत्व कर रहे डॉ आकाश लामा ने बताया कि महाबोधि महाविहार बोधगया को बौद्ध समाज को सौंपने और असंवैधानिक बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 (बी.टी. एक्ट) को निरस्त करने की मांग को लेकर महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन अपने निर्णायक चरण की ओर बढ़ रहा है। इसी क्रम में आंदोलन के तृतीय चरण के प्रणेता डॉ. आकाश लामा के नेतृत्व में औरंगाबाद में शांति मशाल यात्रा का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा बौद्ध समाज की ऐतिहासिक मांग को बुलंद करेगी और महाबोधि महाविहार का पूर्ण प्रबंधन बौद्धों को सौंपे जाने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगी। डॉ आकाश लामा आंदोलन की रणनीति और आगामी चरणों की घोषणा करते हुए आगे बढ़ रहे है। उनके साथ अनेक विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिष्ट फोरम के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी मंच साझा करने में जुटे हैं। उनका कहना है कि महाबोधि महाविहार की मुक्ति बौद्ध समाज के सम्मान और आस्था से जुड़ा हुआ प्रश्न है। इसलिए हर अनुयायी की उपस्थिति आंदोलन को मजबूती देगी। शांति मशाल यात्रा को ऐतिहासिक और निर्णायक बताते हुए आयोजकों ने इसे एक जन-जागरण का रूप दिया है।
महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को लेकर मशाल यात्रा:बौद्ध भिक्षु बोले- पूर्ण प्रबंधन बुद्धिस्टों को सौंपी जाए, ये समाज के सम्मान और आस्था का प्रश्न
