यूपी के संभल में हुई हिंसा की 450 पन्नों की रिपोर्ट न्यायिक आयोग ने सीएम योगी को सौंप दी है। इसमें सिर्फ 24 नवंबर, 2024 को हुई हिंसा के बारे में ही नहीं बताया गया, बल्कि संभल में कब-कब दंगे हुए, इसका भी जिक्र है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में बताया गया कि बार-बार दंगों से संभल नगर निगम क्षेत्र में हिंदू आबादी कम होती गई। अब वहां सिर्फ 15 प्रतिशत हिंदू आबादी बची है। बाकी पलायन कर गई। आजादी के वक्त यानी 1947 में संभल में 45% हिंदू आबादी थी। 30% हिंदू जनसंख्या पिछले 78 सालों में घटी है। संभल में पिछले साल जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इसमें 4 लोगों की जान गई थी। 29 नवंबर, 2024 को यूपी सरकार ने हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, रिटायर्ड IAS अमित मोहन और रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन शामिल थे। न्यायिक आयोग ने गुरुवार को लखनऊ में सीएम योगी से मुलाकात कर गोपनीय जांच रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट को कैबिनेट में पास कराया जाएगा। वहां से विधानसभा पटल में रखी जाएगी। अरविंद कुमार जैन ने बताया- हमने एक-एक बिंदु को देखा है। जितने गवाह हैं, उनके भी बयान लिए हैं। जितना भी कर सकते थे, उसमें किया। अब तक 15 दंगे हुए, जबरन धर्मांतरण कराया गया
सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व के साक्ष्य मिलने का जिक्र है। कहा गया कि संभल में अब तक 15 दंगे हो चुके हैं। 1978 के दंगे के बाद हिंदुओं की संख्या घटती चली गई। जबरन धर्मांतरण कराया गया। लोगों ने अपने बयान में बताया कि मुस्लिम लोग हिंदुओं को डराते-धमकाते थे, उनकी संपत्ति पर कब्जा करते थे। मौत या पिटाई के डर से हिंदुओं ने धर्म बदलना कबूल किया। संभल में अभी भी सैकड़ों की संख्या में हिंदुओं की संपत्तियां हैं, लेकिन उनके मालिक हिंदू वहां आते-जाते नहीं हैं। नतीजतन, कुछ पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। आयोग से लोगों ने कहा- शिव मंदिर की जगह बनी मस्जिद
आयोग ने करीब 200 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए गए। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो 1978 के दंगों के समय थे। इसके बाद से बदले हुए हालात को उन्होंने देखा है। लोगों ने आयोग को बताया- पहले संभल में शिव मंदिर हुआ करता था। वे लोग सोमवार और सावन के महीने में पूजा-अर्चना करते थे। वहां अब मस्जिद बन गई है। पहले जहां हिंदुओं का कुआं हुआ करता था, जहां से हिंदू अपने धार्मिक तीज-त्योहार पर कार्यक्रम करते थे, उस कुएं को बंद कर मुसलमानों ने चबूतरा बना दिया है। भास्कर पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं… सांसद बर्क और मस्जिद कमेटी की पूर्वनियोजित साजिश थी सूत्रों के मुताबिक, सपा सांसद बर्क, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल और जामा मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी ने मिलकर हिंसा की साजिश रची थी। जब मस्जिद में सर्वे चल रहा था, तभी हिंसा भड़काई गई। ताकि सारा दोष हिंदुओं पर मढ़ा जा सके। 22 नवंबर, 2024 को संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने जामा मस्जिद से भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने कहा था, ‘हम इस देश के मालिक हैं, नौकर और गुलाम नहीं’। रिपोर्ट के मुताबिक तुर्क खुद को इस देश का मालिक और हिंदुओं व कन्वर्टेड हिंदू पठानों को अपना गुलाम तथा नौकर समझते हैं। इसलिए यह लड़ाई तुर्क और कन्वर्टेड हिंदू पठान के बीच हो गई। तुर्क समुदाय का संभल में राजनीतिक वर्चस्व है। डेमोग्राफी बदलने के बाद संभल में रह रहे कन्वर्टेड हिंदू पठानों को तुर्क अपना गुलाम मानते हैं। बर्क के इस बयान के बाद संभल में माहौल भड़काया गया। जब कन्वर्टेड हिंदू पठानों ने इसका विरोध किया तो 24 नवंबर को दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। इस दौरान क्रॉस फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई। प्रदेश सरकार की सख्ती और पुलिस की मौजूदगी ने हिंदू मोहल्लों को बचा लिया। हिंसा के लिए उपद्रवियों को बाहर से बुलाया गया था, फिर भी दंगा फैल नहीं सका। संभल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि पुलिस की सख्ती से हिंदू बच गए। सदन में पेश होगी रिपोर्ट, सीएम ने दिया कार्रवाई का निर्देश
रिपोर्ट में शासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने बताया- न्यायिक जांच आयोग ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी है, जिसका अध्ययन किया जाएगा। रिपोर्ट को सदन में पेश करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी भी ली जाएगी। संभल के लोग बोले- हालात बहुत गंभीर, सेना की तैनाती हो न्यायिक आयोग में अपना बयान दर्ज कराने दो व्यक्तियों से दैनिक भास्कर ने बात की। पढ़िए- संजय कुमार गुप्ता ने कहा- संभल के हालात बहुत गंभीर हैं। आयोग ने हमारी सही स्थिति को बताया है। संभल में सेना की तैनाती की जानी चाहिए। प्रशासनिक अमला बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि हिंदुओं की सुरक्षा का एहसास हो सके। श्रीओम चंद्रा ने बताया- 1947 में देश की आजादी के समय संभल में 45 प्रतिशत हिंदुओं की आबादी थी। आज मात्र 15 प्रतिशत आबादी बची है। न्यायिक आयोग ने सही रिपोर्ट सौंपी है। आने वाले समय में अगर यही हालत रहे तो यहां हिंदू और कम हो जाएंगे। यहां से मुख्यालय 25 किमी दूर है, यहां फोर्स आने में समय लगता है। इसमें सुधार की जरूरत है। सांसद बर्क की मुश्किल बढ़ सकती है
रिपोर्ट में कहा गया कि साजिशकर्ताओं को यह पता था कि वहां सर्वे होना है। प्रशासन ने संभल जामा मस्जिद के प्रबंधन को इसकी जानकारी दी थी। संभवतः वहीं से सर्वे की बात लीक हुई और भीड़ जुटी। रिपोर्ट के बाद संभल के सांसद बर्क की मुश्किल बढ़ सकती है। इसमें सामने आया है कि बर्क ने तुर्कों को भारत का असली मालिक और दूसरों को नौकर और गुलाम बताया था। 24 नवंबर को सर्वे के दौरान हिंसा में 4 की हुई थी मौत
संभल की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया था ये पहले हरिहर मंदिर था, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। इसे लेकर 19 नवंबर, 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर हुई। उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश दिया। कोर्ट ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम 4 बजे सर्वे के लिए टीम मस्जिद पहुंच गई। 2 घंटे सर्वे किया। हालांकि, उस दिन सर्वे पूरा नहीं हुआ। इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे की टीम जामा मस्जिद पहुंची। मस्जिद के अंदर सर्वे हो रहा था। इसी दौरान बड़ी संख्या में लोग जुट गए। भीड़ ने पुलिस टीम पर पत्थर फेंके। इसके बाद हिंसा भड़क गई। इसमें गोली लगने से 4 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा के बाद पुलिस ने 3 महिलाओं सहित 79 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा, सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 40 लोगों के खिलाफ नामजद और 2750 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। 18 जून को SIT ने 1128 पन्नों में सांसद बर्क सहित 23 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। हालांकि, सपा विधायक के बेटे सुहैल इकबाल का नाम चार्जशीट में शामिल नहीं है। प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने कहा- संभल में जो घटना हुई थी, उस पर प्रदेश सरकार ने जांच के न्यायिक आयोग का गठन किया था। आज न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी। जिले में कानून-व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और किसी भी प्रकार की शांति भंग की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुरक्षा और विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। भाजपा बोली- संभल में हिंदुओं का कत्लेआम हुआ भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, मानव जीवन के लिए सुरक्षा महत्वपूर्ण विषय है। जहां-जहां सुरक्षा के एहसास का अभाव होता है, वहां से व्यक्ति पलायन कर जाता है। संभल में जिस तरह से लगातार, बार-बार दंगे हुए, और हिंदुओं का कत्लेआम हुआ, उससे बड़ी संख्या में संभल से हिंदुओं को पलायन करना पड़ा। संभल हिंसा की जिस तरह से रिपोर्ट आई है, वह दर्शाती है कि संभल से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन हुआ है। हमने देश का इतिहास देखा है। दुनिया में जब-जब मजहब के नाम पर किसी जाति या धर्म को प्रताड़ित किया गया, वहां लोगों को प्रताड़ित होकर पलायन करना पड़ा है। यह देश के लिए बड़ा खतरा है। जानबूझकर डेमोग्राफी बदली जा रही है। यह आतंरिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा है। समाजवादी पार्टी के सांसद रविदास मेहरोत्रा ने कहा- संभल में पिछले 9 साल से जो हिंदू पलायन किए हैं, इसके लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। 9 साल से यूपी में भाजपा की सरकार है और लगातार पूरे प्रदेश में तनाव, हिंसा और नफरत फैलाने की दोषी और जिम्मेदार है। भाजपा की सरकार चाहती है कि जैसे संभल में दंगा और हिंसा हुआ वैसे ही पूरे प्रदेश के हर जिले और हर शहर में दंगा और हिंसा हो। भाजपा चाहती है कि प्रदेश का हर हिस्सा संभल बन जाए। मौलाना बोले- रिपोर्ट की बातें बाहर कैसे आईं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी संभल हिंसा की न्यायिक रिपोर्ट पर भड़क उठे हैं। उन्होंने कहा, रिपोर्ट की कुछ बातें बाहर आई हैं, जो नहीं आनी चाहिए थी। किसने रिपोर्ट लीक की, जांच होनी चाहिए। जो लोग ये कहते हैं कि पहले वहां पर 45% गैर मुस्लिम आबादी थी। वो आज घटकर 15% रह गई है। इसका कारण ये है कि लोग अपने बच्चों की बेहतर परवरिश और रोजगार के लिए यहां से पलायन किए हैं। ऐसे में डर कर संभल छोड़ने की बात गलत है। इसे एक अलग तरीके से पेश किया जा रहा है। संभल जामा मस्जिद की रिपोर्ट को मुस्लिम समाज खारिज करता है। इस रिपोर्ट में जो बातें कही गई उसे मुसलमान कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। इतिहास को तोड़ मरोड़ कर गलत तरीके से पेश किया गया है। लोगों की आंखों में धूल झोंकी जा रही है। मुस्लिम समाज पहले भी कुर्बानियां देता आया है और आगे भी तैयार है। लेकिन मस्जिद के नाम पर हम बिल्कुल भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं। ये पहले भी मस्जिद थी और आगे भी मस्जिद ही रहेगी। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा- रिपोर्ट में कहा गया है कि जामा मस्जिद हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। ये बात झूठ है। ये मस्जिद को बाबर के शासनकाल में बनाया गया था। इसके निर्माण कार्य की देखरेख की जिम्मेदारी बाबर ने एक हिंदू को दी थी। 1525 में इसका निर्माण शुरू हुआ और 1530 में ये बनकर तैयार हुई। ———— यह खबर भी पढ़िए:- ‘राजभर मुसलमानों के कारण मंत्री, उन्हें ही गाली देते हैं’:महासचिव का इस्तीफा, बोले- बाप, बेटे के बाद अब पोते का भी जिंदाबाद करना पड़ेगा योगी सरकार में मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर को झटका लगा है। उनकी पार्टी के महासचिव इजहार अली ने अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे में शायराना अंदाज में तंज भी कसा। लिखा- अगर आंधियों को जिद है बिजलियां गिराने की, तो हमें भी जिद है, वहीं आशियाना बनाने की। पढ़ें पूरी खबर…
संभल हिंसा पर न्यायिक आयोग ने योगी को रिपोर्ट सौंपी:450 पेज की रिपोर्ट, इसमें हिंदू आबादी घटकर 15% बचने का दावा
