‘हमारे गांव में 52 एकड़ के जोगापुरा में 100 लोग कब्जेदार हैं। उनके खिलाफ एक्शन नहीं हुआ। प्रधान के साथ मिलकर 3 लोगों ने साजिश रची। हमें वहां से हटाया गया। पहले भी दो बार हमारा घर पहले भी उजाड़ दिया गया। जमीन से खाली कराने के लिए मेरी मां का हाथ-पैर तोड़ दिया। पिता को पीटा गया। मेरा सिर फोड़ दिया। इस बेइज्जती को पिता बर्दाश्त नहीं कर सके। उन्होंने सुसाइड कर लिया।’ यह कहना है अनिल गौड़ का। अनिल के पिता वशिष्ठ नारायण ने शुक्रवार को तहसील परिसर के मंदिर में आत्मदाह कर लिया। अनिल ने बताया- हम सभी भाई इसी जमीन पर पैदा हुए और यहीं बड़े हुए। हमें गुंडई के बल हटाया गया। 100 लोग कब्जा किए हैं। सभी का पट्टा या कब्जा निरस्त होना चाहिए। मगर कानून तो सिर्फ गरीबों के लिए है। इसलिए केवल हमें ही बेदखल किया गया। एक घंटे तक मां-बेटे चिपटकर रोते रहे
शनिवार को वशिष्ठ नारायण गौड का पोस्टमार्टम हुआ। यहां अनिल अपने पिता का शव देखकर अपनी मां से लिपट गया और जोर-जोर से रोने लगा। मां-बेटे को रिश्तेदारों ने ढांढस बंधाया। करीब एक घंटे तो मां-बेटे पोस्टमार्टम हाउस में रोते रहे। बेटे अनिल ने कहा- अगर पहले ही प्रशासन चेत गया होता तो ऐसा दिन नहीं देखना पड़ता। ग्राम प्रधान के साथ मिलकर 3 लोगों दुर्गा, अशोक और सोनू ने साजिश रची। इन लोगों ने पैसे देकर लोगों के बयान बदलवाए। मेरे पिता को कानून पर भरोसा था। मगर कानून ने भी हम गरीबों की नहीं सुनी। कहा- अब जब मेरे पिता की जान चली गई तो प्रशासन जागा है। एडीएम और एसडीएम ने मांगे पूरी करने का दावा किया है। हमें 20 लाख मुआवजा, आवास और जमीन आवंटन का आश्वासन दिया। पत्नी बोली- मेरे पति की ये हत्या है, प्रशासन ने जुर्माना भी लगा दिया
वशिष्ठ नारायण गौड की पत्नी गीता देवी ने बताया- मेरे पति की हत्या की गई है। इसके जिम्मेदार वही 3 लोग हैं। मेरे पति अफसरों के यहां चक्कर लगाते रहे। मगर उनकी नहीं सुनी गई। जब मारपीट हुई हमारे साथ तो मैंने पति से कहा- उस जमीन को छोड़ दो। मगर वह बोले- हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। गांव के लोग साजिश करते रहे। हमें हमारे खेत, जमीन और गांव से बेदखल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पति की मौत के लिए अफसर, प्रधान और ग्रामीण जिम्मेदार हैं। हमें हमारी जमीन से बेदखल कर दिया। 4.32 लाख का जुर्माना भी लगा दिया। हमारे पास तो कुछ भी नहीं है, जो बेचकर जुर्माना भरें। प्रधान ने एक कॉलोनी या कोई सरकारी सुविधा का लाभ तक नहीं दिया। अफसरों का दावा- मदद के साथ-साथ FIR भी दर्ज करेंगे
वशिष्ठ नारायण गौड की मौत के बाद एडीएम प्रशासन, एसडीएम राजातालाब शांतनु कुमार और एसीपी राजातालाब अजय श्रीवास्तव पहले गांव फिर पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। परिजनों को समझाते दिखे। अफसरों ने आश्वासन दिया कि परिवार को भूमि, सरकारी मदद और शासन से आर्थिक सहायता दिलवाई जाएगी। इसके साथ ही पीड़ित की तहरीर पर केस दर्ज किया जाएगा। अब जानिए पूरा मामला जमीन से बेदखली पर लगाई आग
वशिष्ठ नारायण गौड़ मिर्जामुराद के जोगापुर के रहने वाले थे। उनके तीन बेटे है। तीनों नौकरी करते है। वशिष्ठ नारायण ने अपने गांव जोगापुर कसवार में दो बीघा जमीन पर कब्जा जमा रखा था। इस जमीन का खेती के अलावा अन्य उपयोग करता था। इस जमीन को अपनी होने का दावा कर रहा था, जबकि लेखपाल के अनुसार वह जमीन सरकारी दस्तावेजों में सार्वजनिक संपत्ति थी। इस जमीन के खिलाफ तहसील राजातालाब की तहसीलदार कोर्ट ने वशिष्ठ को नोटिस जारी किया और केस की सुनवाई शुरू हुई। बुजुर्ग कमंडल में पेट्रोल लेकर पहुंचा था
सरकारी वकील ने नजरी नक्शा और भूमि 0.36 हेक्टेयर के रकबा नंबर 529 का दस्तावेज पेश किया, वहीं प्रतिवादी कोई साक्ष्य या कागज नहीं दिखा पाए। ग्राम समाज से पट्टे का दावा भी गलत निकला। इसके बाद कई महीनों सुनवाई चली और कोर्ट ने वशिष्ठ को उस भूमि से बेदखली का आदेश 17 मई 2025 को दे दिया। इस मामले में बेदखली के बाद पुलिस-प्रशासन ने भूमि का उपयोग नहीं करने की चेतावनी दी। इसके बाद उसने डीएम कोर्ट में अपील की, जहां से मामले में कोई ठोस आधार नहीं होने पर 3 दिन पहले निरस्त कर दिया गया। इसके बाद बुजुर्ग वशिष्ठ ने आज तहसील परिसर के मंदिर में आग लगा ली। बुजुर्ग कमंडल में पेट्रोल लेकर पहुंचा था। किसान के आत्मदाह के प्रयास के बाद तहसीलदार श्याम नारायण तिवारी मौके से भाग निकले थे। कोर्ट के कर्मचारी भी कोर्ट छोड़कर चले गए थे। मौत से पहले बुजुर्ग ने क्या कहा, वो पढ़िए … मुझे न्याय नहीं मिला, इसलिए आग लगाई
किसान वशिष्ठ नारायण झुलसने के बाद जमीन पर पड़े दर्द से कराह रहे थे। वे बार-बार कह रहे थे कि कहीं भी हमारा ठिकाना नहीं है। हमे न्याय नहीं मिला, तो क्या करें? हमको उन लोगों ने मारा। क्या जब जान से मार डालेंगे, तब ही कुछ प्रशासन करेगा। हमसे ज्यादा बात मत करिए। परेशान मत करिए। हमको बहुत तकलीफ दी गई। अधिकारी जांच नहीं करते, पैसा चाहते हैं
वशिष्ठ नारायण ने कहा था कि, हमारा केस यहां से लेकर वहां तक खारिज हो गया था। डीएम के वहां जगदीश जी लेकर गए। वहां भी न्या नहीं मिला। पैसे भी वापस करा दिए। मुझे न्याय नहीं मिला। मैं बहुत परेशान हूं। अधिकारी जांच नहीं करते, पैसा चाहते हैं, रिपोर्ट नहीं लगाई। हमें हाईकोर्ट भेज रहे है। मेरे पास पैसे नहीं है, कैसे जाऊं मैं हाईकोर्ट। ग्राम प्रधान चंद्रभूषण ने बताया- कब्जे का केस था
ग्राम प्रधान चंद्रभूषण ने बताया- संपत्ति पर कब्जे का केस था। आग लगाने वाले किसान थे और उनके तीन बेटे हैं, इनके तीनों बेटे नौकरी करते हैं। 3 दिन पहले डीएम के यहां से फाइल निरस्त हुई थी। आज तहसील पहुंच कर फिर सुनवाई के लिए दबाव बना रहे थे। कोई नई भूमि आवंटन करने के लिए कहा, जब अधिकारियों ने मना कर दिया तो आग लगा ली। ————————– ये खबर भी पढ़िए…
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