लखनऊ-कानपुर में सबसे ज्यादा युवा कर रहे सुसाइड:मध्य यूपी और बुंदेलखंड पूर्वांचल से आगे; 5 साल में 17000 ने जान दी

लखनऊ-कानपुर में सबसे ज्यादा युवा कर रहे सुसाइड:मध्य यूपी और बुंदेलखंड पूर्वांचल से आगे; 5 साल में 17000 ने जान दी

यूपी में पिछले 5 साल में 17,509 युवा सुसाइड कर चुके हैं। ये युवा 18 से 40 साल की उम्र वाले हैं। ये जानकारी सरकार ने विधानसभा में सपा विधायक अरमान खान के सवाल के जवाब में दी। ये आंकड़े इस वजह से डराते हैं कि हर साल सुसाइड की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। राजधानी लखनऊ युवाओं के सुसाइड के मामले में पहले पायदान पर है। लखनऊ के अलावा कानपुर नगर और बांदा में सुसाइड के आंकड़े 1 हजार से ज्यादा हैं। सरकार ने सुसाइड की वजह भी बताई है। इसमें पढ़ाई के प्रेशर से लेकर जॉब न मिलने और बीमारी से लेकर पारिवारिक कलह के मामले सबसे अधिक हैं। अलग-अलग कारणों से सुसाइड करने वालों की कहानी पैर पर लिखा सुसाइड नोट
14 जुलाई, 2025 को बागपत के छपरौली क्षेत्र के रठौंडा गांव में मनीषा (28) पुत्री तेजबीर ने आत्महत्या कर ली। इससे पहले उसने अपने शरीर पर ही सुसाइड नोट लिखा। इसमें मनीषा ने अपने साथ हुए दहेज उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना का दर्द बयां किया। मनीषा अपने मायके में रह रही थी। पिछले कई महीनों से गहरे मानसिक तनाव से जूझ रही थी। प्रेमी नौकरी छोड़ने का दबाव डालता था, सहन नहीं कर पाई
15 जुलाई, 2025 को कन्नौज पुलिस लाइन की बैरक में 23 साल की ट्रेनी कॉन्स्टेबल रानू जादौन ने दुपट्टे से फंदा लगाकर जान दे दी। रानू इसी साल पुलिस में भर्ती हुई थी। 17 जून से कन्नौज में ट्रेनिंग कर रही थी। उनके पिता श्यामबीर सिंह ने माधवनगर के रहने वाले देवेश उर्फ देबू पर गंभीर आरोप लगाए। देवेश रानू पर नौकरी छोड़ने का दबाव डालता था। बीमार बेटे को लेकर पति से होता था झगड़ा
30 जुलाई, 2025 को लखनऊ के रिजर्व पुलिस लाइन के ट्रांजिट हॉस्टल में नितेश सिंह (38) ने पंखे से दुपट्टा बांधकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। नितेश के पति मुकेश सिंह सीबीसीआईडी में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं। उनके 3 बच्चों में एक ऑटिज्म से पीड़ित है। उसको लेकर पति-पत्नी में अक्सर तनाव रहता था। नितेश के भाई प्रमोद ने मुकेश का किसी अन्य महिला से अफेयर का आरोप लगाया है। एमबीए में फेल होने के तनाव ने निगला
1 अगस्त, 2025 को लखनऊ के तालकटोरा में 21 साल के एमबीए छात्र आर्यन यादव ने फंदा लगाकर जिंदगी खत्म कर दी। मुंबई के कांदिवली में पढ़ाई कर रहे आर्यन 2 महीने पहले छुट्टियों में घर आए थे। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा- परीक्षा में फेल हो गया हूं, डिप्रेशन में हूं। मम्मी-पापा मुझे माफ कर देना। आर्थिक तंगी से परेशान होकर मां-बेटे की हत्या कर सुसाइड किया
11 फरवरी, 2024 को आगरा में तरुण की कहानी ने हर किसी को झकझोर दिया। नौकरी छूटने के बाद आर्थिक तंगी ने उसे इस कदर तोड़ दिया कि उसने न सिर्फ खुद की जान ली, बल्कि अपनी मां और बेटे को भी मौत के घाट उतार दिया। छोटे-मोटे कामों में घाटा होने के बाद कर्ज का बोझ तरुण को बर्दाश्त नहीं हुआ। यह त्रासदी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उस सामाजिक व्यवस्था की हकीकत बयां करती है, जहां आर्थिक असुरक्षा जिंदगियां निगल रही हैं। मध्य यूपी और बुंदेलखंड में सबसे अधिक जान दे रहे युवा
पश्चिमी यूपी के 26 जिलों में पांच साल में 4683 युवाओं ने सुसाइड किया है। मतलब औसतन हर जिले में 180 युवाओं ने जान दी है। इसी तरह मध्यांचल और बुंदेलखंड में 20 जिले हैं। यहां पांच साल में 7640 लोगों ने सुसाइड किया है। औसतन प्रति जिले की बात करें तो 382 लोगों ने आत्महत्या की। पूर्वांचल में 29 जिले हैं। पांच साल में 5165 लोगों ने जान दी है। औसत की बात करें तो हर जिले में 178 लोगों ने सुसाइड किया है। आंकड़ों से साफ है कि पश्चिमी यूपी में सुसाइड का औसत कम है, जबकि मध्यांचल और बुंदेलखंड में ज्यादा। पश्चिमी यूपी में लोग पूर्वांचल और बुंदेलखंड की अपेक्षा आर्थिक रूप से अधिक संपन्न हैं। यहां खेती पर अधिक जोर है। पलायन नहीं है। जबकि बुंदेलखंड में सबसे अधिक गरीबी और पलायन है। आंकड़ों से भी साफ है कि यहां सुसाइड सबसे अधिक युवा कर रहे हैं। पूर्वांचल में भी पलायन है। नौकरी का दबाव भी अधिक है। प्रदेश में ये अंचल दूसरे नंबर पर है, जहां लोग सुसाइड कर रहे हैं। बांदा से लखनऊ तक एक जैसी कहानी
5 सालों में 17,509 युवाओं की आत्महत्या का आंकड़ा डरावना है। बांदा (1,104), उन्नाव (814), हरदोई (617), सीतापुर (528), और महोबा (432) जैसे जिले आत्महत्याओं के हॉटस्पॉट बन गए हैं। कमिश्नरेट शहरों में लखनऊ (1,398), कानपुर नगर (1,183), और गौतमबुद्धनगर (877) सबसे आगे हैं। क्या यह संयोग है कि आर्थिक और सामाजिक दबाव वाले क्षेत्रों में आत्महत्याएं ज्यादा हैं? छोटे जिलों जैसे चंदौली (1) और बलरामपुर (8) में कम मामले हैं। यूपी में सुसाइड दर हर साल बढ़ रही
देश में युवाओं के सुसाइड की औसत दर 4 फीसदी है। ये कुल औसत सुसाइड दर 2 फीसदी से दोगुनी है। लेकिन, यूपी में युवाओं के सुसाइड की दर देश के औसत सुसाइड से दोगुना से भी अधिक 9 फीसदी की दर से हर साल बढ़ रही है। सरकार ने विधानसभा में बताए आत्महत्या के कारण
सरकार ने आत्महत्या के कारणों में कर्ज, प्रेम प्रसंग, पारिवारिक समस्याएं, परीक्षा में असफलता, मानसिक तनाव, नशे की लत और सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस जिम्मेदार ठहराया। रानू के मामले में प्रेम प्रसंग और दबाव, नितेश के मामले में घरेलू हिंसा और अवैध संबंधों का शक, आर्यन के मामले में पढ़ाई का दबाव और तरुण के मामले में आर्थिक तंगी साफ दिखती है। लेकिन, सवाल यह है कि इन कारणों को खत्म करने के लिए सरकार ने क्या किया? सरकारी काउंसलिंग का संकट, प्राइवेट महंगे
सपा विधायक अरमान खान कहते हैं- मेरे पूरक प्रश्न कि क्या सरकार प्रदेश में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने के लिए काउंसलिंग सेंटर का निर्माण करने पर विचार करेगी? इस पर सरकार की ओर से जवाब में बताया गया है कि सुसाइड रोकने के लिए विभिन्न संस्थाओं में काउंसिलिंग कार्यक्रम संचालित है। हालांकि सरकार की ओर से इसका ब्योरा नहीं दिया गया है। रानू, नितेश, आर्यन, और तरुण जैसे लोग अगर काउंसिलिंग तक पहुंच पाते, तो शायद उनकी जिंदगी बच सकती थी। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी प्रदेश में एक बड़ा संकट है। ग्रामीण इलाकों में तो काउंसलर का नामोनिशान तक नहीं है। शहरी क्षेत्रों में भी सरकारी अस्पतालों में मनोचिकित्सकों की भारी कमी है। प्राइवेट काउंसलिंग सेंटर महंगे हैं, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं। पढ़ाई का दबाव युवाओं की जान ले रहा
आर्यन यादव की कहानी सिर्फ एक छात्र की नहीं, बल्कि उस शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर है, जो बच्चों पर बेवजह मानसिक दबाव डाल रही है। यूपी में हर साल हजारों छात्र परीक्षा में असफल होने के डर से अपनी जान गंवा रहे हैं। IC3 कॉन्फ्रेंस 2024 की रिपोर्ट, ‘Student Suicides: An Epidemic Sweeping India’ के मुताबिक, यूपी उन 5 राज्यों में शामिल है, जहां छात्रों की आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2022 के आंकड़ों के आधार पर इस रिपोर्ट में बताया गया कि महाराष्ट्र (1,764), तमिलनाडु (1,416), मध्य प्रदेश (1,340), उत्तर प्रदेश (1,060) और झारखंड (824) में देश के 49% छात्र आत्महत्या के मामले दर्ज हुए। क्या सरकार इस दबाव को कम करने के लिए कोई कदम उठा रही है? कोचिंग सेंटरों का मकड़जाल और माता-पिता की उम्मीदें बच्चों को डिप्रेशन की गहरी खाई में धकेल रही हैं। आर्थिक तंगी का तनाव
तरुण की कहानी यूपी के उन लाखों युवाओं की है, जो बेरोजगारी और कर्ज के जाल में फंसकर जिंदगी से हार मान रहे हैं। 2022 में NCRB डेटा के अनुसार, यूपी में बेरोजगारों में आत्महत्या की दर 18.85% थी। यूपी में बेरोजगारी दर 2024 में भी चिंताजनक बनी हुई है। सरकारी नौकरियों की कमी और प्राइवेट सेक्टर में अनिश्चितता ने युवाओं को निराशा के दलदल में धकेल दिया है। सपा अक्सर प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर सरकार को घेरती रही है। इस बार 4 दिन के सत्र में भी सपा ने इस मुद्दे को मुखरता से उठाया। प्रताड़ना महिलाओं की जिंदगी पर पड़ रही भारी
मनीषा, नितेश और रानू की कहानियां महिलाओं पर होने वाली प्रताड़ना को उजागर करती हैं। घरेलू हिंसा, अवैध संबंधों का शक और सामाजिक दबाव ने इन महिलाओं को सुसाइड के लिए मजबूर किया। NCRB 2022 के अनुसार, यूपी में गृहिणियों में आत्महत्या की दर 19.95% थी। मनोचिकित्सक डॉ. आदर्श त्रिपाठी का कहना है कि विदेशों के उलट भारत में 40 साल से कम उम्र के लोगों में सबसे अधिक सुसाइड का चलन है। ऐसे लोगों पर निराशा हावी हो जाती है। उन्हें लगता है कि अब कोई विकल्प नहीं बचा। इनका व्यवहार अचानक बदल जाता है। ये गुमसुम और अकेले रहने लगते हैं। मध्य यूपी और बुंदेलखंड में सबसे अधिक जान दे रहे युवा पश्चिमी यूपी के 26 जिलों में पांच साल में 4683 युवाओं ने सुसाइड किया है। मतलब औसतन हर जिले में 180 युवाओं ने जान दी है। इसी तरह मध्यांचल और बुंदेलखंड में 20 जिले हैं। यहां पांच साल में 7640 लोगों ने सुसाइड किया है। औसतन प्रति जिले की बात करें तो 382 लोगों ने आत्महत्या की। पूर्वांचल में 29 जिले हैं। पांच साल में 5165 लोगों ने जान दी है। औसत की बात करें तो हर जिले में 178 लोगों ने सुसाइड किया है। आंकड़ों से साफ है कि पश्चिमी यूपी में सुसाइड का औसत कम है, जबकि मध्यांचल और बुंदेलखंड में ज्यादा। पश्चिमी यूपी में लोग पूर्वांचल और बुंदेलखंड की अपेक्षा आर्थिक रूप से अधिक संपन्न हैं। यहां खेती पर अधिक जोर है। पलायन नहीं है। जबकि बुंदेलखंड में सबसे अधिक गरीबी और पलायन है। आंकड़ों से भी साफ है कि यहां सुसाइड सबसे अधिक युवा कर रहे हैं। पूर्वांचल में भी पलायन है। नौकरी का दबाव भी अधिक है। प्रदेश में ये अंचल दूसरे नंबर पर है, जहां लोग सुसाइड कर रहे हैं। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… वीरता पदक पाने वाले पुलिसकर्मियों की कहानी, एक्सल गैंग के बदमाश को SI ने मार गिराया तारीख- 2 जुलाई 2020, जगह- अलीगढ़ के थाना टप्पल क्षेत्र। एक्सल गैंग के कुख्यात बदमाश बबलू उर्फ गंजा के आने की खबर STF को लग गई थी। STF ने अपना जाल फैलाया। गंजा टीम को आता दिखा। उसे रोकने का इशारा किया, तो फायरिंग करते हुए भागने लगा। इस ऑपरेशन में शामिल एसटीएफ के सब-इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार ने उसका पीछा किया और अकेले ही मार गिराया। गंजा पर 50 हजार का इनाम था और 27 मामले दर्ज थे। पढ़िए पूरी खबर…

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