स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होंगे देवघर के केसरी दंपती:आयुष मंत्रालय से मिला इनविटेशन, औषधीय पौधे की खेती को दे रहे बढ़ावा

स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होंगे देवघर के केसरी दंपती:आयुष मंत्रालय से मिला इनविटेशन, औषधीय पौधे की खेती को दे रहे बढ़ावा

देवघर के पुरनदाहा निवासी सौरभ केसरी और उनकी पत्नी रजनी केसरी इस वर्ष 15 अगस्त को नई दिल्ली के लाल किले पर आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में स्पेशल गेस्ट के रूप में शामिल होंगे। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड ने उन्हें आमंत्रित किया है। यह सम्मान उन्हें और उनके परिवार को पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से औषधीय पौधों की खेती और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने में किए जा रहे कार्यों के लिए मिला है। केसरी परिवार की मेहनत और सेवा भावना ने न सिर्फ देवघर, बल्कि पूरे झारखंड को गर्व का अवसर दिया है। औषधीय पौधों की खेती में अग्रणी सौरभ केसरी और उनका परिवार विगत करीब 112 वर्षों से औषधीय पौधों, फसलों और बीजों की खेती को बढ़ावा दे रहा है। कालमेघ, कौंच, वन तुलसी जैसे औषधीय पौधों की खेती के साथ-साथ वे किसानों को इनके बीज, फसल और मार्केटिंग से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में जानकारी देते हैं। उनके प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों के किसान औषधीय पौधों की खेती से जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं और पलायन की समस्या में कमी आई है। गांव से दिल्ली तक की प्रेरक यात्रा देवघर की मिट्टी से जुड़ा यह परिवार अपनी जड़ों को संभाले रखते हुए आधुनिक बाजार की जरूरतों को समझकर आगे बढ़ा है। सौरभ और रजनी केसरी ने अपने कार्य को महज पेशा नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम माना। वे मानते हैं कि औषधीय पौधों की खेती न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारती है, बल्कि आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को भी नई ऊर्जा देती है। भारत सरकार का विशेष सम्मान आयुष मंत्रालय द्वारा केसरी दंपत्ति को भेजा गया यह आमंत्रण उनके दशकों के अथक प्रयासों का परिणाम है। नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड की ओर से राज्य के केवल पांच लोगों को यह सम्मान मिला है, जिनमें सौरभ और रजनी केसरी भी शामिल हैं। यह चयन न केवल उनके व्यक्तिगत कार्यों का सम्मान है, बल्कि यह कृषि और परंपरा से जुड़ा हर योगदान देश के लिए मूल्यवान है। युवा पीढ़ी के लिए संदेश सौरभ और रजनी केसरी की सफलता की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहकर भी बड़ा बदलाव लाने का सपना देखते हैं। उनका मानना है कि अपनी विरासत और परंपराओं से जुड़े रहकर भी आधुनिक सोच के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर लाल किले पर मौजूद रहना उनके लिए गर्व का पल होगा, जो आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाएगा कि मेहनत, समर्पण और धैर्य से हर सपना पूरा किया जा सकता है।

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