Homeराज्यमध्यप्रदेश“संभावना’’ गतिविधि में हुई भोजपुरी गायन एवं नृत्य प्रस्तुति

“संभावना’’ गतिविधि में हुई भोजपुरी गायन एवं नृत्य प्रस्तुति

भोपाल : जनजातीय संग्रहालय में नियमित आयोजन 'संभावना' के क्रम में रविवार को प्रहलाद कुर्मी एवं साथी (सागर) द्वारा राई नृत्य, केवल कुमार एवं साथी (अनूपपुर) द्वारा गोण्ड जनजातीय गुदुमबाजा नृत्य तथा नागेंद्रनाथ पाण्डेय एवं साथी (आरा, बिहार) द्वारा भोजपुरी गायन की प्रस्तुति दी गई।

“संभावना’’ गतिविधि में प्रहलाद एवं साथियों द्वारा राई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य बुंदेलखंड के जनमानस का हर्ष और उल्लास अभिव्यक्त करता है। इस नृत्य में कलाकार फाग गा कर नृत्य करता है। राई के गीत ख्याल, स्वांग आदि कई प्रकार के होते हैं। मृदंग की थाप पर घुंघरुओं की झंकारती राई और उसके साथ नृत्यरत स्वांग मनोरंजन के साथ परंपरा को व्यक्त करते हैं। राई नृत्य के साथ यहां विशेषतः सुप्रसिद्ध लोक कवि ईसुरी की फाग भी गाई जाती हैं।

सुदीप एवं साथियों ने कठपुतली प्रदर्शन में अलग-अलग कहानियों के साथ पर्यावरण बचाओ, पर्यावरण एवं मानव के संबंध को दिखाया। साथ ही प्रकृति बचाओ का संदेश दिया। कहानी में बताया कि एक हरा-भरा पेड़ प्रकृति की हरियाली में गर्व से खड़ा है और मधुमक्खियां उसके चारों ओर घूमती हैं और उससे शहद ग्रहण करती हैं। एक दिन एक लालची आदमी आता है। वह अपनी आरी निकाल कर उस पेड़ को काटने लगता है और काम करते करते उसकी आरी टूट जाती है फिर उस मानव को प्रकृति को ठेस पहुंचाने का एहसास होता है।

कार्यक्रम में केवल एवं साथियों द्वारा गोण्ड नृत्य प्रस्तुत किया। गुदुमबाजा नृत्य गोण्ड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है। समुदाय में गुदुम वाद्य वादन की सुदीर्घ परम्परा है। विशेषकर विवाह एवं अन्य अनुष्ठानिक अवसरों पर इस समुदाय के कलाकारों को मांगलिक वादन के लिए अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाता है। इस नृत्य में गुदुम, डफ, मंजीरा, टिमकी आदि वाद्यों के साथ शहनाई के माध्यम से गोण्ड कर्मा और सैला गीतों की धुनों पर वादन एवं रंगीन वेश-भूषा और कमर में गुदुम बांधकर लय और ताल के साथ, विभिन्न मुद्राओं में नृत्य किया जाता है।

अगली प्रस्तुति में नागेंद्रनाथ एवं साथियों द्वारा भोजपुरी गायन किया गया। कलाकारों ने देवी गीत- निमिमा के डाढ़ मैया…, शिव विवाह- शिव मोरा चलेले…, सत्रुन- अरे अरे सगुनी…, सहाना- अमवा से मीठ महुआ ए बाबा…, झूमर- पीपरा के पतवा…, चैता – रामजी के भइले जनमवा…, जैसे कई मधुर भोजपुरी गीतों की प्रस्तुति दी गई।

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