पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि जब उन्होंने इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में माना तो फिर अब तक बलवंत सिंह राजोआणा को फांसी क्यों नहीं दी गई?। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट राजोआणा की मर्सी पिटीशन पर सुनवाई में देरी के आधार पर उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। केस की सुनवाई शुरू होने पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने राजोआणा की सजा घटाने की याचिका का विरोध किया। इस पर जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस संदीप मेहता ने पूछा- आपने अब तक उसे फांसी क्यों नहीं दी? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कम से कम हमने तो फांसी पर रोक नहीं लगाई। सुप्रीम कोर्ट के इन तल्ख सवालों पर केएम नटराज ने कहा कि वह इस बारे में जल्द से जल्द जवाब देंगे। इसके बाद मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई। कोर्ट ने ये भी कहा कि केंद्र के कहने पर दोबारा इस मामले को स्थगित नहीं किया जाएगा। राजोआणा के पक्ष में ये दलीलें दी गईं 10 महीने पहले भाई के भोग में शामिल हुआ था
राजोआणा 20 नवंबर, 2024 को 3 घंटे के लिए जेल से बाहर आया था। सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक वह लुधियाना के राजोआणा कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई कुलवंत सिंह के भोग कार्यक्रम में शामिल हुआ था। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में उसे वापस पटियाला की जेल में ले जाया गया। राजोआणा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। इससे पहले जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी। बलवंत सिंह राजोआणा पर यह केस
बलवंत राजोआणा को 27 जुलाई, 2007 को CBI की एक विशेष अदालत ने IPC की धारा 120-बी, 302, 307 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 3(बी), 4(बी) और 5(बी) के साथ धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था। 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ सचिवालय परिसर में आत्मघाती बम हमला हुआ था, जिसमें पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 16 अन्य लोगों की हत्या कर दी गई थी।
————————- ये खबर भी पढ़ें… चिट्ठी लिखी-मौत चाहिए, पहले CM फिर PM की:मुख्यमंत्री के चीथड़े उड़ाने वाले को फांसी की सजा, घरवालों ने पैरवी ही नहीं की; सीएम मर्डर पार्ट-3 31 अगस्त 1995, वक्त शाम 5 बजकर 5 मिनट। पंजाब सिविल सचिवालय की बिल्डिंग से पगड़ी बांधे 6 फीट के सरदार जी NSG कमांडो के साथ पार्किंग की तरफ बढ़ रहे थे। उन्हें देखते ही गाड़ियों का काफिला पार्किंग में आकर रुका। सरदार दी एक सफेद रंग की एंबेसडर में बैठ गए। मेन गेट पर गाड़ी में बैठे बलवंत ने दिलावर की पीठ थपथपाई और बोला- ‘सफेद एंबेसडर में सरदार जी बैठे हैं। जा दिलावर, कौम के लिए शहादत देने का वक्त आ गया है।’ (पूरी खबर पढ़ें)
सुप्रीम कोर्ट के बलवंत राजोआणा पर केंद्र से तीखे सवाल:अब तक उसे फांसी क्यों नहीं दी, हमने तो रोक नहीं लगाई, इसके लिए कौन जिम्मेदार
