स्वस्थ रहने के लिए दैनिक आहार में अन्न शामिल करें: डॉ. खादर वली…..

स्वस्थ रहने के लिए दैनिक आहार में अन्न शामिल करें: डॉ. खादर वली…..
Share Now

रायुपर: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर एवं कृषक कल्याण परिषद (छ.ग.) के सयुक्त तत्वाधान में “श्री अन्न (मिलेट) की उपयोगिता विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन सेमिनार हाल, कृषि महाविद्यालय रायपुर में आज किया गया। इस कार्यक्रम में पदम् श्री डॉ. खादर वली, (मिलेट मैन ऑफ़ इंडिया) ने मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित होकर संकाय सदस्यों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुरेन्द्र चंद्रवंशी, अध्यक्ष, कृषक कल्याण परिषद एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ आरती गुहे, अधिष्ठाता, डॉ विवेक कुमार त्रिपाठी, संचालक अनुसंधान सेवाये एवं डॉ एस एस टुटेजा, निर्देशक विस्तार सेवाएं उपस्थित थे।

मुख्य वक्ता पदम् श्री डॉ. खादर वली ने अपने संबोधन में बताया कि भारत में एक समय श्री अन्न (मिलेट्स) का व्यापक रूप से उत्पादन और उपभोग किया जाता था। ये फसलें न केवल जलवायु के अनुरूप होती हैं, बल्कि बहुत कम पानी एवं उर्वरकों में भी अच्छी पैदावार देती हैं। मिलेट्स को उगाने के लिए 10 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। ये सी4 श्रेणी के पौधे हैं जो कम संसाधनों में अधिक उत्पादकता देते हैं और पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालते हैं। इस प्रकार मिलेट्स का पुनः प्रसार भारत के कार्बन फुटप्रिंट को घटाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

उन्होंने बताया कि हरित क्रांति के पश्चात गेहूं और धान की ओर झुकाव बढ़ा, जिससे पारंपरिक फसलों की अनदेखी हुई तथा किसानों के अधिकार भी प्रभावित हुए, परंतु मिलेट्स को अपनाकर हम एक बार फिर सतत कृषि प्रणाली को सशक्त बना सकते हैं। श्री अन्न के स्वास्थ्य पर प्रभाव के संदर्भ में डॉ खादर वली ने बताया कि मिलेट्स में प्राकृतिक रेशे (फाइबर) की मात्रा अधिक होती है, जो पाचनतंत्र के लिए लाभकारी है और शुगर, हृदय रोग जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मददगार है। उन्होंने बताया कि पारंपरिक आहार न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों एवं विद्यार्थियों से मिलेट्स पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि अगले कुछ वर्षों में लोग मिलेट्स को अपने दैनिक आहार में पुनः शामिल करें, तो भारत स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों क्षेत्रों में एक उदाहरण बन सकता है।

कार्यक्रम के समापन में प्रतिभागियों को मिलेट न्यूट्री के विभिन उत्पाद ज्वार चिवड़ा, पीनट कूकीज, कोदो ग्लूटेन फ्री कूकीज, बाजरा पोप्स एवं रागी पापड़ी का वितरण किया गया इस कार्यक्रम में 200 से अधिक संकाय सदस्य शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शुभा बेनर्जी, सहायक प्राध्यापक ने किया।


Share Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *