रामलला की आंखें बनाने के लिए सिर्फ 20 मिनटों का था मुहूर्त, मूर्तिकार अरुण योगीराज बोले- सरयू में नहाकर…

रामलला की आंखें बनाने के लिए सिर्फ 20 मिनटों का था मुहूर्त, मूर्तिकार अरुण योगीराज बोले- सरयू में नहाकर…
Share Now

अयोध्या के राम मंदिर में रोजाना लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।

22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, जिस समारोह में पीएम मोदी समेत पांच हजार से ज्यादा लोग मौजूद रहे। रामलला की जो मूर्ति राम मंदिर में लगाई गई है, उसे मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है।

उन्होंने कई इंटरव्यूज में यह बात बताई है कि कैसे पिछले नौ महीने की दिन-रात की मेहनत के बाद रामलला की यह मूर्ति बनकर तैयार हुई। 

‘विओन’ को इंटरव्यू देते हुए अरुण योगीराज ने बताया रामलला की मूर्ति की आंखें बनाने के लिए सिर्फ 20 मिनट का समय था। उन्होंने कहा, ”आंखें बनाने के लिए 20 मिनट का मुहूर्त था।

इसलिए, हमें आंखों का काम पूरा करने के लिए 20 मिनट का समय दिया गया था।” इसके आगे अरुण योगीराज ने बताया कि आंखों को बनाने से पहले मुझे सरयू नदी में स्नान करना पड़ा और हनुमान गढ़ी और कनक भवन में पूजा के लिए जाना पड़ा।

इसके अलावा, मुझे काम के लिए एक सोने की चिनाई वाली कैंची और एक चांदी का हथौड़ा दिया गया। उन्होंने बताया कि आंखें बनाने के समय काफी उलझन में थे। हालांकि, वे दस तरीकों से आंखें बना सकते हैं।

इससे पहले, एक इंटरव्यू में योगीराज ने बताया था मेरी मूर्ति राम मंदिर के लिए चुनी गई, इससे ज्यादा मुझे खुशी इस बात की है कि पूरी दुनिया उस मूर्ति को लेकर काफी खुश और आनंदित है। रामलला सिर्फ मेरे नहीं, बल्कि पूरे देश के हैं।

मैंने तो बहुत छोटा सा काम किया है। बता दें कि योगीराज का परिवार पिछले 300 सालों से मूर्ति बना रहा है। वे अपने परिवार की छठी पीढ़ी के शख्स हैं, जो मूर्ति बनाते हैं। योगीराज का कहना है कि उनके ऊपर पूर्वजों का आशीर्वाद है।

वह अपने पिता को ही अपना गुरु मानते हैं। अरुण योगीराज ने बताया था कि जब भी वे रामलला की मूर्ति बनाते थे, तब रोज शाम को चार से पांच बजे के बीच एक बंदर आता था।

बाद में उस जगह पर एक पर्दा लगा दिया गया था, लेकिन फिर भी वह वहां आकर उसे हटाता और फिर मूर्ति को देखकर वहां से चला जाता। मूर्तिकार ने यह जानकारी राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय को भी बाद में दी।


Share Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *