स्वर्णप्राशन संस्कार से बच्चों की बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता: डॉ वंदना पाठक

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स्वर्णप्राशन संस्कार से बच्चों की बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता: डॉ वंदना पाठक

कानपुर,11 फरवरी (हि.स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल आफ हेल्थ साइंसेस द्वारा संचालित स्वास्थ्य केन्द्र, राजकीय बाल गृह कानपुर और आरोग्य क्लीनिक लाल बंगले में स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें लगभग 110 बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले इन बच्चों का निःशुल्क रूप से स्वर्णप्राशन कराया गया। यह जानकारी वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा0 वंदना पाठक ने दी।

उन्होंने बताया कि अभिभावकों और लोगों को ऋतु के अनुसार आहार-विहार और रोगों से बचाव पर विशेष रूप से परामर्श दिया। बसंत ऋतु को ऋतुराज की संज्ञा दी गयी है। इस समय प्रकृति में स्वाभाविक रूप से हर्षोल्लास पाया जाता है। इस समय में मौसम के अनुसार क्षेत्रीय फल और सब्जियों का प्रमुख रूप से सेवन करना चाहिए।

स्वर्णप्राशन संस्कार के बारे में बताते हुए कहा कि आयुर्वेद की यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। संस्कार की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में विशेष योगदान करता है। जिन बच्चों में यह संस्कार नियमित रूप से होता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी जाती हैं।

स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त होने वाली औषधि स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया जाता है। उन्होंने कहा बच्चों को नियंत्रित करने के लिए डांटना, पीटना आदि भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। अतः बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को मौसम के अनुसार फल और सब्जियों के सेवन के साथ-साथ स्वच्छता स्नेहपूर्ण लालन पालन पर विशेष बल दिया।

इस मौके पर संस्थान के निदेशक डा0 दिग्विजय शर्मा, सहायक निदेशक डा० मुनीश रस्तोगी, डा० राम किशोर, अनुराग मिश्रा, पंकज कुमार आदि ने दीप प्रज्वलन व धन्वन्तरि पूजन के साथ किया।


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