देवीपाटन मंदिर के गर्भगृह से पाताल तक सुरंग:त्रेता युग से जल रही अखंड ज्योति; VIDEO में देखिए जहां कर्ण को मिली सिद्धि

देवीपाटन मंदिर के गर्भगृह से पाताल तक सुरंग:त्रेता युग से जल रही अखंड ज्योति; VIDEO में देखिए जहां कर्ण को मिली सिद्धि
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नवरात्र की नवमी पर हम हम चलते हैं देवी पाटन माता मंदिर। यह यूपी के बलरामपुर से 25 KM दूर तुलसीपुर में है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर की स्थापना संत गुरु गोरखनाथ ने की थी। मान्यता है, माता का पाटंबर (वस्त्र) यहां गिरा था। इसीलिए इस स्थान को पाटेश्वरी मंदिर भी कहा जाता है। परिसर से सटा सूर्यकुंड भी यहां आने वाले भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है। इस कुंड पर राजा कर्ण ने सिद्ध प्राप्त की थी। जो श्रद्धालु यहां आते हैं, इस कुंड में स्नान के बाद माता का दर्शन करते हैं। मंदिर परिसर में एक अखंड ज्योति जल रही है। यह त्रेता युग से लगातार जलती चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सीता ने इसी पवित्र स्थान पर माता धरती से प्रार्थना की थी कि मुझे अपनी गोद में समा लो। इसके बाद धरती फट गई, माता सीता उसमें समा गई थी। इस मंदिर की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए VIDEO…


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