SC बोला-मंदिर के फंड से मैरिज हॉल नहीं बना सकते:मंदिरों का पैसा शादियों के लिए नहीं; मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक से इनकार

SC बोला-मंदिर के फंड से मैरिज हॉल नहीं बना सकते:मंदिरों का पैसा शादियों के लिए नहीं; मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक से इनकार
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शादी धार्मिक कार्य नहीं है इसलिए विवाह के लिए मंदिर में दान दिए धन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि मंदिरों के फंड से मैरिज हॉल नहीं बनाए जा सकते। ये कोई सरकारी फंड नहीं है। मद्रास हाईकोर्ट ने 19 अगस्त को मंदिरों के फंड से मैरिज हॉल बनाने की अनुमति देने वाले सरकारी आदेश को रद्द कर दिया था। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। बेंच ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी से पूछा- यदि मंदिर परिसर में शादी पार्टी चल रही है और अश्लील गाने बजाए जाएंगे, तो क्या यही मंदिर का उद्देश्य है? मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने 19 अगस्त को आदेश दिया था कि सरकार का मैरिज हॉल बनाकर उसे किराए पर देने का निर्णय धार्मिक उद्देश्यों के अंतर्गत नहीं आता। तमिलनाडु के मंत्री ने मैरिज हॉल बनाने की घोषणा की थी कोर्ट के आदेश में तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के मंत्री पीके शेखर बाबू का बयान का भी जिक्र हुआ था, जिसमें उन्होंने विधानसभा में बजट भाषण के दौरान 27 मंदिरों में 80 करोड़ रुपए के मंदिर फंड से मैरिज हॉल के निर्माण की घोषणा की थी। याचिका में तर्क- मैरिज हॉल के लिए फंड के उपयोग का अधिकार नहीं हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि सरकार को तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती कानून और उसके नियमों के प्रावधानों के तहत मैरिज हॉल के निर्माण के लिए मंदिर फंड का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है। मंदिर फंड व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं होते और ये सरकारी आदेश तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1959 की धारा 35, 36 और 66 का उल्लंघन हैं। हालांकि, तमिलनाडु की तरफ से पेश एडवोकेट ने हाईकोर्ट में कहा था कि हिंदू विवाह का प्रदर्शन धार्मिक कार्य है। सरकार ने हिंदुओं को कम खर्च में शादी करने में मदद करने के लिए मैरिज हॉल बनाने का निर्णय लिया है। —————————————- सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… पूर्व मंत्री महेश जोशी जमानत के लिए पहुंचे सुप्रीम कोर्ट:हाईकोर्ट के जमानत खारिज करने के आदेश को दी चुनौती पूर्व मंत्री महेश जोशी राजस्थान हाईकोर्ट के जमानत याचिका खारिज करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। जोशी की याचिका पर जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बैंच ने ईडी को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है। जोशी की ओर से कहा गया है कि इस मामले में उन्हें फंसाया गया है। एसीबी में दर्ज मूल केस में उनका नाम नहीं है। जोशी को एक साल पहले नोटिस दिया गया था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पूरी खबर पढ़ें… ……………….. सुप्रीम कोर्ट का धर्मांतरण कानूनों पर 8 राज्यों को नोटिस:4 हफ्तों में जवाब मांगा; याचिकाकर्ता बोले- कानून अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को धर्मांतरण से जुड़े कानूनों पर 8 राज्यों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। पूरी खबर पढ़ें…


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