ये लकड़ी होती है… खिन्नी की, इसमें कोई महक नहीं होती। इसमें कंपाउंड (केमिकल मिक्सचर) मिलाया जाता है चंदन का… फिर यह महकती है चंदन जैसी। जब जलइयो चंदन-सी खुशबू होगी। अगर इसमें असली चंदन की लकड़ियां मिला दें, तो पहचानना मुश्किल हो जाता है। हम ही लोग पहचान पाते हैं। ये हैं यूपी के चंदन के बड़े कारोबारी, लेकिन ये चंदन होता नकली है। ये खिन्नी की लकड़ी पर चंदन की खुशबू वाले परफ्यूम का स्प्रे करके ऐसा नकली चंदन बनाते हैं कि आम लोग पकड़ ही नहीं पाते। यह सब हो रहा है इत्र की राजधानी कहे जाने वाले कन्नौज में। वैसे तो कन्नौज दुनियाभर में सदियों से ताजे फूलों से नेचुरल इत्र बनाने के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, अब यहां केमिकल स्प्रे से नकली चंदन बनाया जा रहा है। कन्नौज में ऐसे करीब 100 कारखाने चल रहे हैं। दैनिक भास्कर ने कन्नौज में इन्वेस्टिगेशन किया। नकली चंदन बनाने की प्रोसेस कैमरे में कैद की। हमने यहां 4 व्यापारियों का स्टिंग किया, जो ये धंधा खुलेआम कर रहे हैं। नकली चंदन के नाम पर लोगों को धोखा देने वालों को एक्सपोज करने के लिए हमने खुद को व्यापारी बताया। असली चंदन की डिमांड की। उन्होंने ठगी का तरीका बताते हुए नकली चंदन दिखाया। दावा किया कि इसे असली बताकर चला दीजिए। पढ़िए, पूरा खुलासा… हम जब यहां पहुंचे तो हमें भीतर जाने से रोक दिया। जब खुद को व्यापारी बताया, तो मालिक भोला शर्मा को लगा कि बड़ा ऑर्डर मिलेगा। इसके बाद उसने पूरा कारखाना घुमाया। बताया कि यह काफी पुराना कारखाना है। बंद हो गया था, अब उसने किराए पर लेकर फिर से शुरू किया है। उसने नकली चंदन बनाने की प्रोसेस बताई… रिपोर्टर: हवन के लिए चंदन की लकड़ी चाहिए? भोला शर्मा: कितनी चाहिए? रिपोर्टर: बड़ी मात्रा में चाहिए, हमारे सेठ जी को चाहिए। भोला शर्मा: एक सफेद-सफेद लकड़ी होती है। मुट्ठा होता है। खिन्नी की लकड़ी होती है। चंदन का अलग रेट होता है। चलिए… हम आपको दिखाते हैं। रिपोर्टर: अच्छा। भोला शर्मा: यह लकड़ी होती है खिन्नी की। इसमें कोई महक नहीं होती। इसमें कंपाउंड मिलाया जाता है चंदन का। फिर यह महकती है चंदन जैसी। रिपोर्टर: असली चंदन नहीं है? भोला शर्मा: असली चंदन होगा तो 1 किलो की कीमत होगी 5 हजार रुपए। कौन ले पाएगा? इसमें हम कंपाउंड मिलाते हैं। फिर यह चंदन बन जाता है। जब जलइयो… चंदन-सी खुशबू होगी। रिपोर्टर: कीमत क्या है? भोला शर्मा: यह थोक में जाता है 150 रुपए किलो। रिपोर्टर: यह काहे का पाउडर है? भोला शर्मा: खिन्नी का पाउडर है। इसी में चंदन की खुशबू डाल दी तो चंदन का पाउडर बन गया। यह हम लोग तैयार करके देते हैं- 100 रुपए किलो। रिपोर्टर: अच्छा। भोला शर्मा: (लकड़ी दिखाते हुए) यह कच्चा है। इसे कंपलीट करके देंगे। वैसे हम 150 रुपए किलो देते हैं। इसमें लेमिनेशन होगा, तो 250 रुपए किलो देंगे। रिपोर्टर: यहां ऐसे ही होता होगा? भोला शर्मा: हां, असली चंदन कोई नहीं खरीदेगा। यह 250 रुपए किलो और वह 4 हजार रुपए किलो। रिपोर्टर: अगर, ऑर्डर दें, तो कितने दिन में मिल जाएगा? भोला शर्मा: 10 दिन में। रिपोर्टर: ऑर्डर आता होगा, उसी हिसाब से तैयार होगा। भोला शर्मा: हां, अभी दो लोग आए थे, ले गए। इस बातचीत से यह साबित हो गया कि यहां सामान्य लकड़ी पर केमिकल का स्प्रे कर चंदन की महक डाली जाती है। यह काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसे और गहराई से समझने के लिए हम अगले दिन फिर भोला से मिलने उनके कारखाने पहुंचे। रायबरेली-फतेहपुर से लाते हैं खिन्नी की लकड़ी रिपोर्टर: कल आपने सैंपल देने के लिए बुलाया था। भोला शर्मा: (एक बोरी से कुछ सैंपल देते हुए) यह लीजिए। रिपोर्टर: आप तैयार माल का क्या लेंगे? भोला शर्मा: हम कल बता पाएंगे। क्वालिटी हम आपको अच्छी देंगे। जो यूज करेगा, वह कहेगा कि हां क्वालिटी अच्छी मिली है। रिपोर्टर: मतलब, लकड़ी कोई भी हो, मालूम देगा कि चंदन है। भोला शर्मा: हां, 5 इंच की लकड़ी होगी। मोटाई ज्यादा होगी तो आग (हवन) में थोड़ी देर रुकेगी। रिपोर्टर: यह लकड़ी काहे की है? भोला शर्मा: यह खिन्नी है। यह रायबरेली, फतेहपुर से मंगाते हैं। हमें भोला शर्मा ने इस बाजार के बारे में बताया। अगले दिन हम यहां पहुंचे। यहां 18-19 साल का एक लड़का सेठ की कुर्सी पर बैठा मिला। उसने अपना नाम पिंटू वर्मा बताया। बोला- कारखाना उसी का है। कुछ साल से वह देख रहा है, पहले पिताजी देखते थे। हमने उससे नकली चंदन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उगलवाने के लिए बातचीत शुरू की… रिपोर्टर: ये क्या है? पिंटू वर्मा: पूजा की लकड़ियां है। वह गाड़ी खड़ी है। उसमें रुल्ला (लकड़ी) है। वह भी पूजा में जाएगी। रिपोर्टर: इसकी कीमत क्या है? पिंटू वर्मा: मुट्ठा (लकड़ी) 50 रुपए किलो पड़ेगी। रुल्ला 150 रुपए पड़ेगा। रिपोर्टर: ये क्या है? पिंटू वर्मा: यह लिप्टिस (यूकेलिप्टस) है। रिपोर्टर: ये चंदन के नाम बिक सकती है? पिंटू वर्मा: हां, काहे नहीं…, बेस्ट क्वालिटी चंदन के नाम से जा सकता है… नंबर 2 में। इसके ऊपर मोहर लगेगी, हमारी फर्म की। इसके ऊपर कागज लगेगा। मुहर और खुशबू लगेगा। तब यह बन जाएगा चंदन। रिपोर्टर: अच्छा। पिंटू वर्मा: मुहर वाला है नहीं, तुमको दिखाते, हमारी फर्म की मुहर लगी है। रिपोर्टर: लकड़ी के ऊपर लगेगी कि पैकेट के ऊपर? पिंटू वर्मा: लकड़ी के ऊपर भी लगेगी। हर लकड़ी के ऊपर। लगभग 25 नग का एक किलो बनता है। लोकल में बेचेंगे तो 50 रुपए किलो। बाहर भेजेंगे तो 150 रुपए किलो। रिपोर्टर: हमको बेचना है, हवन के लिए। पिंटू वर्मा: तैयार करके दे देंगे, जो बताना हम वो माल तैयार करके दे देंगे। कहीं भी न मिले, हम दे देंगे, जो तुमको जरूरत है बताओ। रिपोर्टर: (मोबाइल पर फोटो दिखाते हुए) ऐसा चाहिए। पिंटू वर्मा: समझ गए… मिल जाएगा। कम्प्यूटर पर देखो तो इससे बहुत हाईएस्ट क्वालिटी, मतलब बहुत रेट लिखकर बेचते हैं। आपको हम मुट्ठा (लकड़ी का तैयार टुकड़ा) 50 रुपए में दे रहे हैं। ऑनलाइन ऐप पर कम से कम 400 रुपए किलो मिलेगा। पार्सल के जरिए लकड़ी भेजने का आइडिया भी दिया रिपोर्टर: क्या भाव पड़ेगा? पिंटू वर्मा: मेरी बात सुनिए, आप पार्सल करो। ट्रांसपोर्ट से 50 किलो माल भेज दो। उसके बाद आपको सप्लाई आए तो हमको बताना। हम आपको दे देंगे। रिपोर्टर: ये पैकिंग में है, वह कितने में पड़ेगा? पिंटू वर्मा: दो फर्म हैं हमारी, एक चक्की वाली, एक मुट्ठा वाली (लकड़ी वाली)। स्टॉक मेरा रोज चढ़ता है, आज 3 पिकअप रुल्ला आया है। रिपोर्टर: यह लकड़ी तो दूसरी है, फिर चंदन में कैसे बिकती है? पिंटू वर्मा: अरे, हवन में डालते हैं। हवन लकड़ी चंदन। डायरेक्ट थोड़ी चंदन लिख देंगे। वह तो दो नंबर में हो जाएगा। रिपोर्टर: चंदन लिखकर भेजेंगे? पिंटू वर्मा: हमें बताना। हम बिल काटकर दे देंगे। हमारा माल बहुत दूर-दूर तक जाता है। रिपोर्टर: स्प्रे सही होना चाहिए। पिंटू वर्मा: कंपाउंड बढ़िया लगा देंगे, थोड़ा महंगा लगा देंगे। कपड़े में लगा दो, कपड़ा धो दो, उसके बाद भी महक न जाए, ऐसा लगा देंगे। रिपोर्टर: आप लकड़ी को लेमिनेट करके, उसमें जो चंदन लगाकर देंगे हमको, ट्रांसपोर्ट से जाएगा तो पकड़-धकड़ नहीं होगी? पिंटू वर्मा: कुछ भी नहीं होगा। टेंशन मत लो। बिल ही काट देंगे। हवन की लकड़ी के नाम पर। चंदन की लकड़ी लिखेंगे ही नहीं उस पर। हवन की लकड़ी के नाम से चला जाएगा। हम पिंटू वर्मा के कारखाने से बाहर निकलकर 30 मीटर दूर रुके। यहां एक ई-रिक्शा से लकड़ियां उतारी जा रही थीं। यहां खड़े 3 लोगों से हमने चंदन की लकड़ियां खरीदने की बात की। हमें संदीप शर्मा मिले। वे अपने कारखाने ले गए। ये पहले के दोनों कारखानों से छोटा था। अब संदीप से हमने बातचीत शुरू की… रिपोर्टर: हमें चंदन के नाम पे लकड़ी चाहिए। संदीप शर्मा: चंदन के नाम पर…? चंदन तो है ही। उसके बाद सस्ते में आ जाओ तो खिन्नी आ गया, महुआ आ गया। उसके नीचे रुल्ला आ गया, लिप्टिस आ गया। पहले अमरूद भी चलता था। अब तो नहीं है। रिपोर्टर: अमरूद का कैसे होता था? संदीप शर्मा: अमरूद मतलब, उसका रेशा चंदन जैसा होता था। अब नहीं चलता है। बनाता ही नहीं है कोई। रुल्ला है, महुआ है, खिन्नी है, कच्चा चंदन है। रिपोर्टर: क्या रेट है? संदीप शर्मा: यह खिन्नी है… खिन्नी। ये एक फल है… नीम जैसा। उससे थोड़ा हल्का बड़ा होता है। तुम्हारे हरदोई साइड में होता है। मजबूत बहुत होती है। वजनदार बहुत। इसका रेशा चंदन के रेशे से मिलता है। अगर इसमें सेम कलर का माल मिला दिया जाए तो पहचानना मुश्किल हो जाता है। हम ही लोग पहचान पाते हैं। रिपोर्टर: यह क्या भाव चलता है? संदीप शर्मा: यह 130 रुपए किलो। इसमें ऊपर से परफ्यूम लगेगा, थोड़ा महंगा होगा। रिपोर्टर: अच्छा, माल जो लेता होगा ग्राहक, उसको पहुंचाते कैसे हैं? संदीप शर्मा: ट्रांसपोर्ट। रिपोर्टर: रास्ते में चंदन के नाम पे कोई लफड़ा नहीं होता है? संदीप शर्मा: नहीं, चंदन हम लिखकर कहां देते हैं? हम तो जो लकड़ी है, वही लिखकर देंगे। मुबारकपुर टीला के कारखाने से बाहर निकलते ही बाइक पर बोरी रखते हुए एक व्यक्ति ने व्यापारी समझकर हमसे बातचीत की। वह अपने घर ले गया। यहां एक कमरे में लकड़ियों की बोरियां रखी थीं। उसने हमें सस्ता माल देने का भरोसा दिलाया। हमने उससे नकली चंदन बनाकर बेचने की प्रोसेस समझी… अनुज मिश्रा: देखो, ये लकड़ी है। इस पर खुशबू लगेगी। इसके बाद लेमिनेशन होगा। ये महुआ और यूकेलिप्टस है। महुआ वजन में ज्यादा चढ़ेगी, यूकेलिप्टस कम। रिपोर्टर: कैसे देंगे? अनुज मिश्रा: 100 रुपए किलो। बिना लेमिनेशन के 70 में दे देंगे। रिपोर्टर: इन लकड़ियों को चंदन कैसे बताएंगे? अनुज मिश्रा: इसमें खुशबू लगेगी, ऊपर से। (एक छोटी बोतल में रखे तेल को निकाल कर लकड़ी पर मलने के बाद दिखाया) ये लीजिए। सूंघो आप। रिपोर्टर: महक आ रही है। अनुज मिश्रा: ये 100 रुपए पड़ेगी। लेमिनेशन के साथ। ये वाली आपको 70 पड़ेगी पन्नी के साथ। जो आपको उसने 100 बताई है, वह 70 रुपए पड़ेगी, आपको पन्नी के साथ। रिपोर्टर: …और क्या है? अनुज मिश्रा: एक यह है लाल, अंदर भी लाल है, बाहर भी लाल है। ये लाल चंदन है। इसमें खुशबू नहीं लगती है। ये 200 रुपए किलो है। बाजार में ये नकली चंदन 20 गुना रेट पर बिक रहा कन्नौज के कारखानों का स्टिंग के बाद सवाल उठा कि बाजार में ये नकली चंदन किस रेट पर बिक रहा है। इसके लिए हमने लखनऊ के अलीगंज की 2 दुकान और रिंग रोड से विकास नगर के रास्ते की 2 दुकानों पर रेट पूछे। महिला दुकानदार ने एक डिब्बे से नकली चंदन का एक टुकड़ा दिखाया और बोलीं- 160 रुपए का है। जब एक किलो के रेट पूछे तो कहा- 5000 रुपए किलो है। महिला का बेटा बोला- ये असली है। सरकार की मुहर लगी है हर लकड़ी पर। जबकि, कारखानों में देख चुके हैं कि वहां खिन्नी की लकड़ी पर मुहर कैसे लगाते हैं। ———————– भास्कर इन्वेस्टिगेशन की ये खबरें भी पढ़ें- महिलाएं कागजों पर ‘नेता’, कुर्सी पर पति का कब्जा:भास्कर टीम मिलने पहुंची तो पति बोले- हम ही सबकुछ संवैधानिक पदों पर महिलाओं को आरक्षण देने के बाद महिलाएं कितनी एक्टिव हुई हैं? क्या ये अपने क्षेत्र का काम खुद संभाल रही हैं? इन सवालों के जवाब के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने कुशीनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर में 10 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। हम कुशीनगर से 25 किमी दूर सेवरही ब्लॉक पहुंचे। ऑफिस में भीड़ थी। अंदर गए तो महिला ब्लॉक प्रमुख अनु तिवारी की कुर्सी खाली थी। पढ़िए पूरी खबर मंत्री-विधायकों के गांवों में भी नहीं पहुंचा ‘हर घर जल’:विधायक की मां हैंडपंप से भर रहीं पानी; यूपी के जलशक्ति मंत्री का गांव भी प्यासा ‘रामप्यारी देवी। उम्र 75 साल, लेकिन जोर लगाकर हैंडपंप से पानी भरने को मजबूर। रामप्यारी देवी कोई आम महिला नहीं। हमीरपुर के भाजपा विधायक डॉ. मनोज कुमार प्रजापति की मां हैं। इनके घर में जल जीवन मिशन की टोटी है, लेकिन पानी नहीं। पौथिया बुजुर्ग गांव विधायक डॉ. मनोज प्रजापति का पैतृक गांव है। सरकारी रिकॉर्ड में यहां जल जीवन मिशन का काम 100% हो गया है। अफसरों का दावा है कि यहां हर घर में पानी आ रहा है। पढ़ें पूरी खबर यूपी में कैमरे पर लाशों का सौदा, पोस्टमॉर्टम कर्मचारी-पुलिस की डील, बोले- एक लाश डेढ़ लाख में ‘महीने में 30 से 40 लाशें निकल जाती हैं। आप बहुत कम दे रहे हैं। अभी पुराना रिकॉर्ड देखा जाए… उस समय डेढ़ लाख का रेट चल रहा था। राममूर्ति वाले डेढ़ लाख रुपए देकर जाते थे।’ यह दावा है बरेली के पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारी सुनील का। यूपी के बरेली में लाशों का सौदा हो रहा है। पढ़ें पूरी खबर
आपकी पूजा में केमिकल वाला नकली चंदन:यूपी में खिन्नी की लकड़ी पर परफ्यूम; ऐसे 100 कारखाने, कैमरे में देखिए ठगी
